17/06/2025

विश्व Hypertension Day: नमक घटाएं, BP Control करें

नलिनी मिश्रा
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Published on: 20/05/2025

शनिवार को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस -World Hypertension Day के अवसर पर चेन्नई में तीन प्रमुख चिकित्सा संगठनों ने एक साथ मिलकर भारत में बढ़ते उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) की समस्या पर प्रकाश डाला। विश्व हाइपरटेंशन लीग (डब्ल्यूएचएल) द्वारा भारतीय हाइपरटेंशन सोसाइटी और उसके तमिलनाडु चैप्टर के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में अनेक प्रतिभागियों और चिकित्सकों ने जागरूकता फैलाने और स्क्रीनिंग अभियान में भाग लिया।

उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर तब होता है जब हृदय को रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रक्त पंप करने के लिए सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड़ती है। अक्सर इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन यह समय के साथ हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क को चुपचाप नुकसान पहुंचाता रहता है। चिकित्सकों का कहना है कि यह असमय मौत के सबसे अधिक रोके जा सकने वाले कारणों में से एक है, फिर भी अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।

विश्व Hypertension Day: नमक घटाएं, BP Control करें

विश्व Hypertension Day: नमक घटाएं, BP Control करें

विश्व हाइपरटेंशन लीग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएन नरसिंगन ने कहा, “अगर हम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित नहीं करते, तो यह स्मृतिलोप और किडनी फेलियर से लेकर स्ट्रोक और हृदय गति रुकने जैसी किसी भी बीमारी का कारण बन सकता है। हर साल दस मिलियन लोग इससे मरते हैं और यह अन्य सभी बीमारियों से अधिक घातक है।”

भारत में उच्च रक्तचाप के कारण और समाधान

भारत में हाइपरटेंशन से संबंधित समस्याओं की भूमिका और इसके कारण आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, तनाव जैसे कई कारकों पर निर्भर करते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारक है नमक का अधिक सेवन।

“हम आमतौर पर प्रतिदिन 10-12 ग्राम नमक का सेवन करते हैं, जबकि यह 5 ग्राम से कम होना चाहिए। केवल इतना करने से ही जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है,” डॉ. नरसिंगन ने समझाया। “कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करें, अधिक प्रोटीन और फाइबर खाएं, और अपने वजन को नियंत्रित रखें। धूम्रपान और शराब भी प्रमुख योगदानकर्ता हैं।”

डॉ. नरसिंगन ने काम से संबंधित तनाव और अनियमित नींद पैटर्न पर भी चिंता व्यक्त की। “वर्काहोलिक्स और चिंता ब्लड प्रेशर को बढ़ाते हैं। अगर रात की शिफ्ट अपरिहार्य है, तो कम से कम आठ घंटे की नींद सुनिश्चित करें, भले ही वह दिन के दौरान हो,” उन्होंने कहा।

जागरूकता और नियमित जांच का महत्व

कार्यक्रम में उपस्थित लोगों, जिनमें से कई ने अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाई, ने एक सार्वजनिक संकल्प पर हस्ताक्षर किए, जिसमें नियमित ब्लड प्रेशर जांच और नमक सेवन, वजन और तनाव का प्रबंधन करने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन का वादा किया गया। आयोजकों ने कहा कि इसका उद्देश्य जनता के बीच प्रारंभिक पहचान और बेहतर स्व-प्रबंधन को बढ़ावा देना था, जिनमें से कई लोगों को उच्च रक्तचाप होने की जानकारी नहीं थी।

हाइपरटेंशन: एक मूक हत्यारा

उच्च रक्तचाप को अक्सर “मूक हत्यारा” कहा जाता है क्योंकि इसके शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। यही कारण है कि नियमित जांच अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में लगभग 30% वयस्क आबादी उच्च रक्तचाप से पीड़ित है, और इनमें से आधे से अधिक लोगों को अपनी स्थिति के बारे में पता भी नहीं है।

हाइपरटेंशन की पहचान और प्रबंधन के महत्व पर जोर देते हुए, चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि नियंत्रित न किया गया उच्च रक्तचाप हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी की विफलता और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है। हालांकि, समय पर पहचान और उचित प्रबंधन से इन जटिलताओं को रोका जा सकता है।

तनाव और आधुनिक जीवनशैली: एक बड़ी चुनौती

आधुनिक जीवनशैली में बढ़ता तनाव हाइपरटेंशन का एक प्रमुख कारक बन गया है। लंबे काम के घंटे, कम शारीरिक गतिविधि, अस्वस्थ खाने की आदतें और नींद की कमी सभी इस समस्या में योगदान करते हैं।

एक प्रमुख कार्डियोलॉजिस्ट ने बताया, “आज के डिजिटल युग में, हम लगातार स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं, जिससे हमारी शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है और तनाव बढ़ जाता है। इसके अलावा, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का बढ़ता उपधोग, जिनमें अत्यधिक नमक और वसा होती है, हाइपरटेंशन के जोखिम को बढ़ाता है।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तनाव प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर इस जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

भारतीय आहार में नमक: एक बड़ी चिंता

भारतीय व्यंजनों में नमक का उच्च स्तर विशेष चिंता का विषय है। पारंपरिक भारतीय व्यंजनों में अक्सर अधिक मसाले और नमक होता है, जो स्वाद तो बढ़ाता है लेकिन हाइपरटेंशन के जोखिम को भी बढ़ाता है।

एक पोषण विशेषज्ञ ने कहा, “हमें अपने खाना पकाने के तरीकों में बदलाव लाने की जरूरत है। नमक के बजाय जड़ी-बूटियों और मसालों का उपयोग करके स्वाद बढ़ाया जा सकता है। अचार, पापड़, चटनी जैसे नमकीन खाद्य पदार्थों के सेवन को सीमित करना भी महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि खाद्य पदार्थों के लेबल को पढ़ने की आदत डालें, क्योंकि कई प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में छिपा हुआ नमक होता है।

हाइपरटेंशन प्रबंधन के लिए व्यावहारिक टिप्स

विशेषज्ञों ने हाइपरटेंशन के प्रबंधन के लिए कुछ व्यावहारिक टिप्स साझा किए:

  1. नमक का सेवन कम करें: प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक का सेवन करें।
  2. डैश (DASH) आहार अपनाएं: फल, सब्जियां, साबुत अनाज, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, मछली, पोल्ट्री, बीन्स, नट्स और वनस्पति तेलों पर आधारित आहार।
  3. नियमित व्यायाम करें: हर दिन कम से कम 30 मिनट का मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम करें।
  4. स्वस्थ वजन बनाए रखें: अतिरिक्त वजन हाइपरटेंशन के जोखिम को बढ़ाता है।
  5. शराब का सेवन सीमित करें: पुरुषों के लिए प्रतिदिन दो से अधिक और महिलाओं के लिए एक से अधिक पेय न पिएं।
  6. धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाता है और हाइपरटेंशन को बदतर बना सकता है।
  7. तनाव का प्रबंधन करें: ध्यान, योग, गहरी सांस लेने के व्यायाम या अन्य आरामदायक गतिविधियों का अभ्यास करें।
  8. पर्याप्त नींद लें: प्रतिदिन 7-8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद का लक्ष्य रखें।
  9. कैफीन का सेवन सीमित करें: अत्यधिक कैफीन ब्लड प्रेशर को अस्थायी रूप से बढ़ा सकती है।
  10. नियमित जांच करवाएं: अपने ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवाएं और अपने चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवाओं का सेवन करें।

सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा का महत्व

हाइपरटेंशन से निपटने के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता और शिक्षा आवश्यक है। स्कूलों, कार्यस्थलों और सामुदायिक केंद्रों में स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को इसके जोखिमों और रोकथाम के उपायों के बारे में शिक्षित किया जा सकता है।

एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा, “हमें सभी आयु वर्गों के लोगों तक पहुंचने की जरूरत है। बच्चों को शुरुआती उम्र से ही स्वस्थ आदतें सिखाई जानी चाहिए, जबकि वयस्कों को नियमित स्क्रीनिंग और जीवनशैली में परिवर्तन के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।”

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग जागरूकता फैलाने के लिए किया जा सकता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों में हाइपरटेंशन का प्रबंधन

भारत सरकार ने “राष्ट्रीय हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह और कैंसर रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम” (NPCDCS) के माध्यम से हाइपरटेंशन सहित गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए कदम उठाए हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रारंभिक पहचान और उचित प्रबंधन के माध्यम से इन बीमारियों से होने वाली मृत्यु दर और रुग्णता को कम करना है।

स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञों का सुझाव है कि इन प्रयासों को और मजबूत किया जाना चाहिए, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में, जहां स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित हो सकती है।

स्वस्थ भविष्य के लिए कदम

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस हमें याद दिलाता है कि हाइपरटेंशन एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित और नियंत्रित किया जा सकता है। जागरूकता, शिक्षा और जीवनशैली में परिवर्तन के माध्यम से, हम इस “मूक हत्यारे” से लड़ सकते हैं और एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

डॉ. नरसिंगन के शब्दों में, “हाइपरटेंशन के खिलाफ लड़ाई व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों की मांग करती है। अपने ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवाकर, स्वस्थ आहार अपनाकर, शारीरिक रूप से सक्रिय रहकर और तनाव का प्रबंधन करके, हम सभी इस वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती का मुकाबला कर सकते हैं।”

चेन्नई में आयोजित यह कार्यक्रम हाइपरटेंशन के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए जीवनशैली में परिवर्तन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इस तरह के प्रयासों से निश्चित रूप से भारत में हाइपरटेंशन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने में मदद मिलेगी।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं