17/06/2025

वारिस पठान Detained: वक्फ विधेयक पर Mumbai Protest

नलिनी मिश्रा
Author Name:
Published on: 12/04/2025

मुंबई, 11 अप्रैल 2025 – जुमे की नमाज़ के बाद मुंबई के बायखला इलाके में वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में प्रदर्शन करने पर पुलिस ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान को हिरासत में ले लिया। प्रदर्शन के दौरान एआईएमआईएम के कई अन्य कार्यकर्ता भी हिरासत में लिए गए। घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वारिस पठान और अन्य कार्यकर्ता वक्फ कानून के विरोध में तख्तियां लिए हुए दिखाई दे रहे हैं। वारिस पठान ने विरोध प्रदर्शन के दौरान काली पट्टी बांध रखी थी।

प्रदर्शन की पूरी कहानी: क्या हुआ बायखला के हिंदुस्तानी मस्जिद के बाहर?

शुक्रवार दोपहर को जुमे की नमाज़ के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने वक्फ संशोधन विधेयक के विरुद्ध अपना विरोध दर्ज कराया। मुंबई के बायखला इलाके में स्थित हिंदुस्तानी मस्जिद के बाहर एआईएमआईएम इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही थी। जब वारिस पठान नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिद पहुंचे, तो वहां उपस्थित एक व्यक्ति ने उनके हाथ पर काली पट्टी बांधी। मीडिया के कैमरों के सामने उन्होंने कहा कि वह नमाज़ अदा करने जा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शन की संभावना को देखते हुए पुलिस पहले से ही मस्जिद के बाहर तैनात थी। मुंबई पुलिस ने बैरिकेड्स लगाए थे और वहां पुलिस की गाड़ियां भी मौजूद थीं। पुलिस मस्जिद के आगे जमा होने वाली भीड़ और यातायात को नियंत्रित कर रही थी। नमाज़ के बाद जैसे ही प्रदर्शन शुरू हुआ, पुलिस ने एहतियातन कार्रवाई करते हुए वारिस पठान और अन्य कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।

“यह काला कानून है, इसे वापस लिया जाए” – वारिस पठान का आरोप

हिरासत में लिए जाने से पहले वारिस पठान ने कहा, “बायखला मस्जिद ट्रस्ट ने हमें यहां आमंत्रित किया था। मोदी सरकार जो वक्फ का काला कानून लेकर आई है, उसके खिलाफ आज हमने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किया है। हमारा यह प्रदर्शन देशभर में जारी रहेगा।”

उन्होंने आगे कहा, “वक्फ संशोधन विधेयक का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और 16 अप्रैल को इस पर सुनवाई होने वाली है। हमें संविधान ने विरोध करने का अधिकार दिया है। यह काला कानून है और इससे संविधान का गला घोंटा जा रहा है। हम मांग करते हैं कि इस कानून को तुरंत वापस लिया जाए।”

वक्फ संशोधन विधेयक क्या है और क्यों हो रहा है विरोध?

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में कई बदलावों का प्रस्ताव है जो वक्फ बोर्डों के कामकाज और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को प्रभावित करेगा। इस विधेयक के प्रमुख बिंदुओं में शामिल हैं:

  1. वक्फ बोर्ड की संरचना में परिवर्तन: विधेयक में वक्फ बोर्ड की संरचना में महिलाओं और गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है।
  2. संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया में बदलाव: नई प्रक्रिया के अनुसार वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने का प्रयास किया गया है।
  3. वक्फ ट्रिब्यूनल की शक्तियों में बदलाव: विधेयक के अनुसार वक्फ ट्रिब्यूनल की शक्तियों में कुछ सीमाएं लगाई गई हैं।
  4. डिजिटल रिकॉर्ड प्रणाली: वक्फ संपत्तियों के लिए डिजिटल रिकॉर्ड प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव है।

मुस्लिम समुदाय के कई वर्गों का मानना है कि यह विधेयक उनकी धार्मिक स्वायत्तता पर हमला है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा। कई मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है, जिसमें एआईएमआईएम भी शामिल है।

देशभर में विरोध की लहर

मुंबई के अलावा, देश के अन्य हिस्सों में भी वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखे गए हैं। कई मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक को तुरंत वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप है।

हैदराबाद में एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस विधेयक का विरोध किया है और इसे संविधान के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध बताया है। उन्होंने कहा है कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सीधा हमला है।

वक्फ संपत्तियों का महत्व और इतिहास

वक्फ एक इस्लामिक संस्था है जिसके तहत किसी संपत्ति को धार्मिक, शैक्षिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित किया जाता है। भारत में वक्फ संपत्तियों का एक समृद्ध इतिहास है और ये संपत्तियां मस्जिदों, मदरसों, अस्पतालों, पुस्तकालयों और अन्य सामाजिक-धार्मिक संस्थानों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं।

वर्तमान में भारत में लगभग 5 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियां हैं जिनका प्रबंधन वक्फ बोर्डों द्वारा किया जाता है। ये बोर्ड राज्य स्तर पर गठित होते हैं और इनका काम वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और संरक्षण करना है।

विधेयक का सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

जैसा कि वारिस पठान ने उल्लेख किया था, वक्फ संशोधन विधेयक का मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और 16 अप्रैल को इस पर सुनवाई होने वाली है। कई मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, यह दलील देते हुए कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस विवादित मुद्दे पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा और इससे वक्फ संपत्तियों के भविष्य का निर्धारण होगा।

सरकार का पक्ष: विधेयक का उद्देश्य पारदर्शिता लाना

सरकार के अनुसार, वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार को रोकना है। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और इनका बेहतर प्रबंधन संभव बनाएगा।

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाना है। इससे मुस्लिम समुदाय को ही लाभ होगा क्योंकि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा।”

वारिस पठान का राजनीतिक प्रोफाइल

वारिस पठान एआईएमआईएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और मुस्लिम अधिकारों के मुद्दों पर अक्सर मुखर रहे हैं। वह मुंबई के बांद्रा पूर्व विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक भी रह चुके हैं। वारिस पठान अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं और अक्सर विवादों में रहे हैं।

एआईएमआईएम के साथ उनकी यात्रा लंबी रही है और वह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वह पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के करीबी माने जाते हैं और पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक हैं।

क्या होगा आगे?

वारिस पठान और अन्य एआईएमआईएम कार्यकर्ताओं की हिरासत के बाद, यह देखना होगा कि आगे क्या कदम उठाए जाते हैं। एआईएमआईएम ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ अपना विरोध जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया है।

वक्फ संशोधन विधेयक पर 16 अप्रैल को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई महत्वपूर्ण होगी और इससे इस विवाद के भविष्य का निर्धारण होगा। इस बीच, विधेयक के समर्थकों और विरोधियों के बीच बहस जारी है।

मुस्लिम समुदाय के कई वर्गों का मानना है कि वक्फ संशोधन विधेयक उनकी धार्मिक स्वायत्तता पर हमला है, जबकि सरकार का दावा है कि यह विधेयक पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक है। इस विवाद का समाधान आने वाले दिनों में न्यायिक और राजनीतिक स्तर पर होने की उम्मीद है।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

    View all posts

नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं