ट्रंप के टैरिफ़ गैरक़ानूनी: अपीलीय अदालत का बड़ा झटका
12/10/2025
7-4 से बड़ा झटका! अदालत ने ट्रंप के टैरिफ़ को अवैध बताया, अब आगे क्या?

7-4 से बड़ा झटका! अदालत ने ट्रंप के टैरिफ़ को अवैध बताया, अब आगे क्या?

नलिनी मिश्रा
Author Name:
Published on: 31/08/2025

अमेरिका की एक अपीलीय अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ज़्यादातर टैरिफ़ को ग़ैरक़ानूनी करार दे दिया है। इस फैसले से कानूनी टकराव तेज़ होने के आसार हैं, जो ट्रंप की विदेश और व्यापार नीति पर सीधा असर डाल सकता है।

यह आदेश ट्रंप के ‘रेसिप्रोकल’ टैरिफ़ को प्रभावित करता है, जो दुनिया के अधिकांश देशों पर लगाए गए थे। साथ ही चीन, मेक्सिको और कनाडा पर लगाए गए अन्य टैरिफ़ भी इसकी चपेट में आते हैं।

अमेरिकी फेडरल सर्किट की अपीलीय अदालत ने 7-4 के बहुमत से कहा कि ये टैरिफ़ आपातकालीन आर्थिक शक्तियों वाले क़ानून के तहत वैध नहीं हैं। कोर्ट ने इन्हें “क़ानून के ख़िलाफ़ और अमान्य” बताया।

हालाँकि फ़ैसला 14 अक्तूबर तक प्रभावी नहीं होगा ताकि ट्रंप प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके।

ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर लिखा, “आज एक अत्यधिक पक्षपाती अपीलीय अदालत ने ग़लत तरह से कहा कि हमारे टैरिफ़ हटा दिए जाएं, लेकिन अंत में अमेरिका जीतेगा… अगर टैरिफ़ हटे तो यह देश के लिए पूर्ण आपदा होगी।”

ट्रंप ने इन टैरिफ़ को इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत सही ठहराया था—एक ऐसा क़ानून जो राष्ट्रपति को ‘असामान्य और असाधारण’ ख़तरों से निपटने की शक्ति देता है। उन्होंने व्यापार असंतुलन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बताते हुए राष्ट्रीय आपातकाल का हवाला दिया था।

अदालत का कहना है कि टैरिफ़ लगाना राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता; शुल्क तय करना “संसद की मूल शक्ति” है।

कोर्ट ने क्या कहा?

127 पन्नों के फैसले में अदालत ने साफ़ लिखा कि IEEPA “न तो टैरिफ़ (या इसके किसी पर्याय) का ज़िक्र करता है, न ही ऐसी प्रक्रिया-संबंधी सुरक्षा देता है जो राष्ट्रपति की टैरिफ़ लगाने की शक्ति पर स्पष्ट सीमाएँ लगाती हों।”
निर्णय के मुताबिक कर और टैरिफ़ लगाने की शक्ति अब भी केवल कांग्रेस के पास है और IEEPA इस शक्ति से ऊपर नहीं जा सकता।

जजों ने कहा, जब भी कांग्रेस राष्ट्रपति को टैरिफ़ लगाने का अधिकार देना चाहती है, तो वह “टैरिफ़” और “ड्यूटी” जैसे स्पष्ट शब्दों का प्रयोग करती है—या फिर ऐसी कानूनी संरचना बनाती है जिससे यह बात साफ़ हो।

यह फ़ैसला छोटे कारोबारियों और अमेरिकी राज्यों के गठबंधनों की ओर से दायर दो मुक़दमों पर आया है।

ट्रेड कोर्ट भी टैरिफ़ को ठहरा चुका है अवैध

ये मुक़दमे अप्रैल में आए उन एग्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर्स के बाद दायर हुए थे जिनमें लगभग हर देश पर 10% बेसलाइन टैरिफ़ और कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाए गए थे। उस वक़्त ट्रंप ने इसे “अनुचित व्यापार नीतियों से आज़ादी” का दिन बताया था।

मई में न्यूयॉर्क स्थित इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने भी इन टैरिफ़ को अवैध ठहराया था, मगर अपील लंबित होने से आदेश रुका रहा।

अपीलीय अदालत ने शुक्रवार को कनाडा, मैक्सिको और चीन पर ड्रग्स आयात रोकने के नाम पर लगाए गए टैरिफ़ भी रद्द कर दिए। हाँ, स्टील और एल्युमीनियम पर लगे टैरिफ़ पर यह आदेश लागू नहीं होगा क्योंकि वे राष्ट्रपति को मिले अन्य अधिकारों के तहत लगाए गए थे।

फ़ैसले से पहले व्हाइट हाउस के वकीलों ने चेतावनी दी थी कि अगर टैरिफ़ अमान्य हुए तो 1929 के शेयर बाज़ार क्रैश जैसी आर्थिक तबाही आ सकती है। उनके मुताबिक IEEPA के तहत राष्ट्रपति की टैरिफ़ शक्तियों को अचानक ख़त्म करना राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और अर्थव्यवस्था के लिए “विनाशकारी” होगा। वकीलों का कहना था कि ऐसा हुआ तो अमेरिका दूसरे देशों द्वारा वादा की गई ट्रिलियन डॉलर राशि चुका नहीं पाएगा, जिससे आर्थिक बर्बादी हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट जाएगा मामला

यह फ़ैसला उन समझौतों पर भी सवाल उठाता है जिनके ज़रिए कुछ देशों ने अमेरिका के साथ कम टैरिफ़ दरें तय की थीं। अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचने की पूरी संभावना है। हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट उन राष्ट्रपतियों को लेकर सतर्क रहा है जो कांग्रेस की स्पष्ट मंज़ूरी के बिना बड़े पैमाने पर नीतियाँ लागू करने की कोशिश करते हैं।

जो बाइडेन के दौर में कोर्ट ने “मेजर क्वेश्चन्स डॉक्ट्रिन” के तहत पावर प्लांट्स के उत्सर्जन नियमों और स्टूडेंट लोन माफी जैसे कदमों पर कड़ा रुख दिखाया था। अगर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हुआ, तो वह तय करेगा कि ट्रंप का टैरिफ़ कार्यक्रम राष्ट्रपतिीय अधिकारों का अतिरेक है या क़ानून के दायरे में।

हालाँकि अपीलीय अदालत का फ़ैसला ट्रंप के ख़िलाफ़ गया, व्हाइट हाउस के लिए एक बात राहत वाली हो सकती है—11 में से केवल तीन न्यायाधीश रिपब्लिकन द्वारा नियुक्त थे। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में छह जज रिपब्लिकन द्वारा नियुक्त हैं, जिनमें से तीन को ख़ुद ट्रंप ने चुना था।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को उपलब्ध स्रोतों से सत्यापित करें।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञतानलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

    View all posts

नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञतानलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं