Published on: 24/12/2024
मुंबई: समानांतर सिनेमा आंदोलन के प्रमुख स्तंभ और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक श्याम बेनेगल का 90 वर्ष की आयु में मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी मृत्यु के साथ भारतीय सिनेमा में एक युग का अंत हो गया है।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई
श्याम बेनेगल का अंतिम संस्कार मुंबई में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इस मौके पर सिनेमा और साहित्य जगत की कई जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहीं। नसीरुद्दीन शाह, गुलजार, शबाना आज़मी, और बोमन ईरानी जैसे कलाकारों ने अपनी उपस्थिति से उन्हें श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उनकी फिल्मी यात्रा को “भारतीय समाज का आईना” बताया।
समानांतर सिनेमा के अग्रदूत
श्याम बेनेगल को 1970 के दशक में समानांतर सिनेमा की शुरुआत करने वाले प्रमुख निर्देशकों में से एक माना जाता है। उनकी फिल्मों ने भारतीय समाज की गहरी परतों को उजागर किया और सिनेमा को एक नई दिशा दी।
उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में अंकुर (1974), निशांत (1975), मंथन (1976), और भूमिका (1977) शामिल हैं। इन फिल्मों ने न केवल घरेलू दर्शकों के दिलों को छुआ, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा पाई।
‘भारत एक खोज’ के जरिए इतिहास को जीवंत किया
श्याम बेनेगल ने दूरदर्शन पर प्रसारित ऐतिहासिक टीवी श्रृंखला भारत एक खोज का निर्देशन किया, जो आज भी भारतीय टेलीविजन के इतिहास में मील का पत्थर मानी जाती है। इस श्रृंखला ने भारतीय इतिहास और संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाया और इसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया।
फिल्मी करियर की शुरुआत
14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद में जन्मे श्याम बेनेगल ने उस्मानिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। उनके करियर की शुरुआत विज्ञापन जगत से हुई। इस दौरान उन्होंने करीब 900 से अधिक वृत्तचित्र और विज्ञापन फिल्में बनाईं।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान
श्याम बेनेगल को उनके कार्यों के लिए 18 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें 1976 में पद्म श्री, 1991 में पद्म भूषण, और 2005 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। उनकी फिल्मों ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी ख्याति अर्जित की।
व्यक्तिगत जीवन और परिवार
बेनेगल अपने पीछे पत्नी नीरा बेनेगल और बेटी पिया बेनेगल को छोड़ गए हैं। पिया एक जानी-मानी कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर हैं और अपने पिता के कई प्रोजेक्ट्स में उनका सहयोग कर चुकी हैं।
सहकर्मियों और कलाकारों की श्रद्धांजलि
नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “श्याम बेनेगल न केवल एक निर्देशक थे, बल्कि वे सिनेमा के शिक्षक भी थे। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा।” गुलजार ने उनके निधन को “सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति” बताया। वहीं, महेश भट्ट ने कहा कि बेनेगल की फिल्मों ने बिना किसी दिखावे के समाज की सच्चाई को प्रस्तुत किया।
एक प्रेरणादायक विरासत
श्याम बेनेगल की फिल्में भारतीय समाज के विभिन्न मुद्दों और संघर्षों को उजागर करती हैं। उनकी रचनात्मकता ने भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी। नई पीढ़ी के फिल्मकारों के लिए उनका जीवन और कार्य प्रेरणा स्रोत रहेगा।