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प्रीतिश नंदी निधन: सिनेमा ने खोया सितारा

Pritish Nandy Dies: A Legacy Remembered

प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, कवि, पत्रकार और राजनीतिज्ञ प्रीतिश नंदी का 8 जनवरी 2025 को मुंबई स्थित उनके आवास पर 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मृत्यु का कारण हृदयाघात बताया गया है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

प्रीतिश नंदी का जन्म 15 जनवरी 1951 को बिहार के भागलपुर में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनकी माता, प्रफुल्ला नलिनी नंदी, कोलकाता के ला मार्टिनियर कॉलेज में शिक्षिका थीं और बाद में वहां की पहली भारतीय उप-प्राचार्या बनीं। प्रीतिश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ला मार्टिनियर कॉलेज, कोलकाता से प्राप्त की और बाद में प्रेसिडेंसी कॉलेज में अध्ययन किया।

साहित्यिक योगदान

प्रीतिश नंदी ने अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत 1967 में अपनी पहली कविता संग्रह ‘ऑफ गॉड्स एंड ऑलिव्स’ से की। उन्होंने अंग्रेजी में 40 से अधिक कविता संग्रह लिखे और बंगाली, उर्दू, पंजाबी से अंग्रेजी में कई कविताओं का अनुवाद किया। उनकी कविता ‘Calcutta If You Must Exile Me’ आधुनिक भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

पत्रकारिता और संपादन

1982 से 1991 तक, प्रीतिश नंदी ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ समूह के प्रकाशन निदेशक रहे। उन्होंने ‘द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया’, ‘द इंडिपेंडेंट’ और ‘फिल्मफेयर’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया। उनके संपादन के दौरान, ‘द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया’ ने अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की।

राजनीतिक जीवन

1998 में, प्रीतिश नंदी महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य चुने गए, जहां उन्होंने 2004 तक सेवा की। वे शिवसेना पार्टी के प्रतिनिधि थे और रक्षा, संचार और विदेश मामलों की संसदीय समितियों के सदस्य रहे।

फिल्म निर्माण और टेलीविजन

1993 में, प्रीतिश नंदी ने ‘प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशंस’ (PNC) की स्थापना की, जो भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रमुख नाम बना। उन्होंने ‘द प्रीतिश नंदी शो’ जैसे टेलीविजन कार्यक्रमों की मेजबानी की और ‘झंकार बीट्स’, ‘चमेली’, ‘प्यार के साइड इफेक्ट्स’ जैसी सफल फिल्मों का निर्माण किया। उनकी कंपनी ने ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज!’ जैसे वेब सीरीज का भी निर्माण किया, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया।

सामाजिक कार्य

प्रीतिश नंदी ने ‘पीपल फॉर एनिमल्स’ नामक भारत की पहली पशु अधिकार संगठन की स्थापना की, जिसे वर्तमान में मेनका गांधी संचालित करती हैं। उन्हें 2012 में लॉस एंजिल्स में ‘इंटरनेशनल ह्यूमैनिटेरियन अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।

पुरस्कार और सम्मान

प्रीतिश नंदी को 1977 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें ‘बांग्लादेश लिबरेशन वॉर अवार्ड’ और ‘कर्मवीर पुरस्कार’ जैसे सम्मान भी प्राप्त हुए।

निधन और श्रद्धांजलि

प्रीतिश नंदी के निधन पर फिल्म और पत्रकारिता जगत की कई प्रमुख हस्तियों ने शोक व्यक्त किया। वयोवृद्ध अभिनेता अनुपम खेर ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, “मेरे सबसे प्रिय मित्रों में से एक प्रीतिश नंदी के निधन की खबर से गहरा दुख हुआ। वे मेरे शुरुआती दिनों में मेरे समर्थन का स्रोत थे।”

पत्रकार शीला भट्ट ने ट्वीट किया, “प्रीतिश नंदी ने 80 के दशक की पत्रिका पत्रकारिता में जबरदस्त ऊर्जा का संचार किया।” वहीं, वरिष्ठ पत्रकार दिबांग ने कहा, “उन्होंने ‘द इलस्ट्रेटेड वीकली’ को पुनर्जीवित किया, जिससे यह अपने समय की सबसे प्रभावशाली पत्रिकाओं में से एक बन गई।”

प्रीतिश नंदी का जीवन बहुआयामी था, जिसमें उन्होंने साहित्य, पत्रकारिता, राजनीति, फिल्म निर्माण और सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रचनात्मकता, साहस और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें सदैव यादगार बनाएगी। उनका निधन भारतीय सांस्कृतिक और साहित्यिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

लेखक

  • नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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