
Published on: 31/10/2025
मुंबई (पवई): वेब सीरीज़ ऑडिशन के नाम पर 17 नाबालिगों (और 2 अभिभावकों) को कमरे में बंदकर बंधक बनाने वाले रोहित आर्य को पुलिस ने ऑपरेशन के दौरान जवाबी फायरिंग में घायल किया। अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। सभी बच्चे सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए हैं।
मुख्य बातें
- घटना महावीर क्लासिक बिल्डिंग स्थित RA स्टूडियो में हुई। 
- आरोपी ने पहले पुलिस पर गोली चलाई; पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में एक राउंड फायर किया, गोली आरोपी के सीने में लगी। 
- 17 बच्चे सुरक्षित, रेस्क्यू के दौरान एक वरिष्ठ महिला और एक बच्ची घायल हुईं—उन्हें अस्पताल में उपचार मिला। 
- आरोपी ने वीडियो में कहा कि वह “आत्महत्या के बजाय संवाद के लिए बच्चों को बंदी” बना रहा है; खुद को आतंकवादी न बताते हुए “साधी मांगें” रखने का दावा किया। 
- स्टूडियो की खिड़कियों पर सेंसर लगाए गए थे और हॉल में ज्वलनशील पदार्थ छिड़का हुआ था; आशंका है कि अंदर घुसने पर आग लगाने की योजना थी। 
- ऑपरेशन में पवई पुलिस ने बाथरूम की खिड़की के रास्ते प्रवेश कर बच्चों को छुड़ाया। 
पूरी घटना—कब, कैसे
दोपहर करीब 2 बजे ऑडिशन के बाद बच्चों को भोजन के लिए छोड़ा गया। इसी दौरान रोहित आर्य ने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। सूचना मिलते ही पुलिस, अग्निशमन दल और विशेष इकाइयाँ पहुँचीं। लगातार बातचीत के बीच, पुलिस टीम ने बाथरूम की खिड़की से अंदर घुसकर बच्चों को सुरक्षित निकाला। इस दौरान आरोपी ने एअरगन/शॉटगन जैसे हथियार से फायर किया, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी फायरिंग की और वह घायल हुआ; अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। पवई थाने के एपीआई अमोल वाघमारे द्वारा फायरिंग किए जाने की जानकारी सामने आई है। रेस्क्यू में हवलदार शिवाजी सावंत ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आरोपी का वीडियो और कथित वजह
वीडियो में रोहित आर्य ने कहा कि वह आतंकवादी नहीं है, पैसों की माँग नहीं कर रहा; उसे “कुछ अफसरों/लोगों से बात” करनी है। उसका दावा था कि शिक्षा विभाग के ‘स्वच्छता मॉनिटर’ प्रोजेक्ट में उसका पैसा अटका है—कर्ज लेकर काम किया, पर भुगतान नहीं मिला, जिससे भारी नुकसान हुआ। उसने 1 मई से आंदोलन/उपवास का हवाला भी दिया और कहा कि अब वह पानी भी नहीं पिएगा।
पुलिस अंदर कैसे पहुँची?
कॉल मिलने पर पुलिस ने तुरंत स्पेशल यूनिट्स और क्विक एक्शन फोर्स को बुलाया। बातचीत के साथ-साथ वैकल्पिक प्रवेश-मार्ग खोजे गए। खिड़कियों पर सेंसर लगे होने के बावजूद टीम ने बाथरूम विंडो का रास्ता चुना और अंदर मौजूद एक व्यक्ति की मदद से बच्चों को बाहर निकाला। इमारत की सुरक्षा-व्यवस्था में चूक की भी चर्चा है, जिसकी जांच होगी।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना
सुबह शूट/ऑडिशन के लिए 25–30 बच्चे अलग-अलग जिलों से आए थे। दोपहर में आरोपी ने बंदूक की नोंक पर इन्हीं बच्चों को कमरे में बंद किया और मांगें रखने लगा। समय रहते पुलिस पहुँची और सभी को निकाल लिया। स्थानीय लोगों ने सुरक्षा में लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
बच्चों की हालत
बच्चों को सेवन हिल्स अस्पताल ले जाया गया था; अब उन्हें डिस्चार्ज दे दिया गया है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चे डरे हुए थे, पर अब सामान्य हो रहे हैं। कुछ बच्चे नांदेड, कोल्हापुर और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों से आए थे।
सरकार और विभाग का पक्ष
राज्य के शालेय शिक्षा विभाग और सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया:
- अफसरा/अप्सरा मीडिया एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स को शिक्षा विभाग/शासन से कोई औपचारिक मान्यता नहीं थी। 
- इस संस्था द्वारा “स्वच्छता मॉनिटर” के नाम पर सरकारी निधि के उपयोग/भुगतान का कोई प्रमाण नहीं मिला। 
- घटना का शिक्षा विभाग/शासन से सीधा संबंध नहीं पाया गया। 
- 2023–24 में चला “स्वच्छता मॉनिटर” उपक्रम सरकारी मंजूरी के बिना सामाजिक संस्था के रूप में चलाया गया बताया जाता है; विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। 
शालेय शिक्षण मंत्री दादा भुसे ने कहा कि दो दिनों में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी; बिना स्वीकृत प्रक्रियाओं के किसी योजना/खर्च को मान्यता नहीं मिलती।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
- गृहराज्य मंत्री योगेश कदम ने कहा कि 10–12 वर्ष के 17 बच्चों को बिना चोट के निकालना प्राथमिकता थी; आरोपी की कार्रवाई का पुलिस ने प्रत्युत्तर दिया। 
- मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम ने पुलिस की चुस्ती की सराहना की और कहा कि सोसायटीज़ को हॉल देने से पहले उचित रिकॉर्ड/जांच रखनी चाहिए; अभिभावकों को भी भ्रामक विज्ञापनों से सावधान रहना होगा। 
मामले की जांच अब मुंबई क्राइम ब्रांच कर रही है। आरोपी के पृष्ठभूमि, हथियार, सेंसर और ज्वलनशील पदार्थ जैसे पहलुओं की तकनीकी जांच होगी। साथ ही इमारत/स्टूडियो की सुरक्षा चूक पर भी कार्रवाई होगी।
 
 


 
                                         
 
 
 
 
 
