
Published on: 01/09/2025
भारत सरकार की PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana का मकसद घरों की छतों पर सोलर पैनल लगवाकर बिजली बिल घटाना और ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाना है। योजना 2026–27 तक प्रभावी है और आवेदन राष्ट्रीय पोर्टल (pmsuryaghar.gov.in) से ही स्वीकार किए जाते हैं।
सब्सिडी कितनी मिलेगी? (CFA स्लैब 2025)
सरकार केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) इस तरह देती है:
क्षमता (kW) | CFA (साधारण राज्य) | नोट |
---|---|---|
पहले 2 kW तक | ₹30,000/kW | अधिकतम 2 kW तक यही दर |
2–3 kW का अतिरिक्त 1 kW | ₹18,000/kW | 3 kW से ऊपर अतिरिक्त CFA नहीं |
कुल अधिकतम (3 kW) | ₹78,000 | 2×₹30,000 + 1×₹18,000 |
विशेष श्रेणी राज्यों (जैसे उत्तराखंड, उत्तर-पूर्व, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप) के लिए दरें कुछ अधिक हैं।
बेंचमार्क कॉस्ट (रेफरेंस): पहले 2 kW के लिए ₹50,000/kW, और अतिरिक्त kW के लिए ₹45,000/kW (विशेष श्रेणियों में थोड़ा अधिक)।
2) कौन पात्र है?
भारतीय नागरिक, अपनी छत/घर पर इंस्टॉलेशन
वैध बिजली कनेक्शन
किसी अन्य सोलर सब्सिडी का पहले लाभ न लिया हो
आवेदन सिर्फ राष्ट्रीय पोर्टल से करें (मानक/गाइड वहीं उपलब्ध)
3) किन डॉक्युमेंट्स की ज़रूरत पड़ेगी?
आधार/KYC, बिजली बिल (CA/कंज़्यूमर नंबर)
बैंक डिटेल्स (सब्सिडी क्रेडिट के लिए)
स्वामित्व/पॉज़ेशन प्रूफ
साइट/मीटर की फोटो/ड्रॉइंग (जहां लागू)
अद्यतन सूची और स्टेप-बाय-स्टेप गाइड आधिकारिक पोर्टल/माय-स्कीम पेज पर मिलती है।
आवेदन कैसे करें? (pmsuryaghar.gov.in—स्टेप-बाय-स्टेप)
रजिस्ट्रेशन: राज्य और DISCOM चुनकर अकाउंट बनाएं। पोर्टल पर सिस्टम साइज/बेनिफिट कैलकुलेटर और वेंडर कंपैरिजन जैसे टूल मिलते हैं।
वेंडर चुनें: पोर्टल के एम्पैनल्ड वेंडर में से चयन करें। रेट्स व क्वालिटी पर सीधे वेंडर से एग्रीमेंट करें (सैंपल एग्रीमेंट गाइडलाइंस उपलब्ध)।
फीज़िबिलिटी/सैंक्शन: DISCOM नियमों के मुताबिक साइट फीज़िबिलिटी और अनुमति।
इंस्टॉलेशन: मॉड्यूल/इन्वर्टर आदि मिनिमम टेक्निकल स्पेसिफिकेशन के अनुरूप लगवाएं।
इंस्पेक्शन व कमिशनिंग: DISCOM निरीक्षण के बाद नेट-मीटरिंग/बिडायरेक्शनल मीटर लगती है।
सब्सिडी क्रेडिट: कमिशनिंग व पोर्टल पर क्लेम स्वीकृति के बाद सब्सिडी सीधे आपके खाते में। सरकारी जानकारी के अनुसार सरलीकृत/त्वरित ट्रांसफर प्रक्रिया लागू है।
नेट-मीटरिंग: बिल कैसे बदलेगा?
दिन में बनी अतिरिक्त यूनिट्स ग्रिड को जाती हैं और बिल में क्रेडिट बनती हैं; रात या कमी के समय वही क्रेडिट एडजस्ट हो जाती है। नियम/समय-सीमा राज्य-वार बदल सकती है, पर DISCOM को मीटर उपलब्धता, समय पर निरीक्षण व कमिशनिंग सुनिश्चित करनी होती है।
DCR, क्वालिटी और वारंटी—क्या जानें?
DCR अनिवार्य: CFA पाने के लिए देश में बनी सेल्स व मॉड्यूल्स (DCR) का उपयोग ज़रूरी। गैर-DCR लगने पर सब्सिडी नहीं।
इन्वर्टर साइजिंग: CFA की गणना DC मॉड्यूल क्षमता पर होगी; इन्वर्टर रेटिंग अलग हो सकती है, बस टेक्निकल स्पेक्स पूरी हों।
अपग्रेड/एड-ऑन: पहले कम क्षमता पर सब्सिडी ली है और बाद में 3 kW तक बढ़ाते हैं, तो बचे हुए kW पर वर्तमान दर से अतिरिक्त CFA मिल सकता है (उदा.: 1→4 kW अपग्रेड केस में 3 kW तक का हिस्सा पात्र)।
फाइनेंसिंग: सस्ती लोन सुविधा
सरकार ने जानकारी दी है कि 12 पब्लिक सेक्टर बैंक तक ₹2 लाख के कोलेटरल-फ्री लोन ~6.75% सब्सिडाइज़्ड ब्याज़ दर पर उपलब्ध कराते हैं। आवेदन/डिस्बर्सल की अपडेटेड स्थिति के लिए अपना बैंक/पोर्टल देखें।
त्वरित चेकलिस्ट (कॉपी-पेस्ट के लायक)
छत की स्पेस/छाया जांच; 1–3 kW से शुरुआत
पोर्टल रजिस्ट्रेशन, सही DISCOM चयन
डॉक्युमेंट्स स्कैन: KYC, बिल, बैंक, स्वामित्व
रजिस्टर्ड वेंडर तुलना, कोट + वारंटी
फीज़िबिलिटी → इंस्टॉलेशन → निरीक्षण/कमिशनिंग
पोर्टल पर CFA क्लेम और स्टेटस ट्रैक
FAQs
Q1. 3 kW से ऊपर सब्सिडी मिलती है?
नहीं, 3 kW से ऊपर अतिरिक्त CFA नहीं है; अधिकतम कुल CFA ₹78,000 तक।
Q2. क्या किराएदार लाभ ले सकते हैं?
स्कीम घर/छत के स्वामित्व और वैध कनेक्शन से जुड़ी है—नियम राज्य/दस्तावेज़ के अनुसार; विवरण/अपडेट पोर्टल पर देखें।
Q3. DCR क्या है और क्यों ज़रूरी?
DCR = देश में बनी सेल + मॉड्यूल। CFA के लिए DCR मॉड्यूल अनिवार्य हैं।
Q4. अगर पहले 1 kW लग चुका है तो अपग्रेड पर कितना CFA?
पहले ली गई सब्सिडी को ध्यान में रखकर बचे हुए kW (3 kW तक) पर वर्तमान दर से CFA मिल सकता है; गाइडलाइंस में उदाहरण दिए हैं।
Q5. 300 यूनिट ‘फ्री’ बिजली का मतलब?
योजना का उद्देश्य घरेलू बिल में लगभग 300 यूनिट/माह तक राहत पहुँचाना है; वास्तविक बिल राज्य-नियम/खपत/नेट-मीटरिंग पर निर्भर करता है। आधिकारिक ओवरव्यू देखें।