प्रयागराज के अरैल क्षेत्र में रहने वाले नाविक पिंटू महरा (Pintu महारा) की कहानी एक ऐसी प्रेरणा है जो हर किसी के मन में आशा और संभावनाओं का दीपक जलाती है। महाकुंभ 2025 में, एक साधारण नाविक परिवार ने अपने साहस और दृढ़ संकल्प से 30 करोड़ रुपये की अभूतपूर्व कमाई की, जिसने पूरे उत्तर प्रदेश में हलचल मचा दी।
जोखिम और निवेश: सफलता का मूल मंत्र
पिंटू महरा के लिए यह यात्रा किसी साधारण व्यावसायिक विस्तार से कहीं अधिक थी। उन्होंने अपनी मां के जेवर तक गिरवी रख दिए और बैंक से ऋण लियाउन्होंने बैंक ऋण लिया और अपने गहने तक गिरवी रख दिए, ताकि 70 नावें बनवा सकें। परिवार में करीब 100 लोग थे, जिन्होंने इस महत्वाकांक्षी परियोजना में अपनी पूरी ऊर्जा झोंक दी।
संख्याओं में सफलता
महाकुंभ 2025 के दौरान, पिंटू महरा के परिवार ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं:
- कुल नावें: 130
- परिवार के स्वामित्व वाली नावें: 70
- कुल कमाई: 30 करोड़ रुपये
- प्रति नाव दैनिक आय: लगभग 50,000-52,000 रुपये
- कुल श्रद्धालु: 66 करोड़
सरकारी मान्यता और प्रशंसा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में पिंटू महरा के परिवार की सफलता का उल्लेख कियामुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि नाविक समुदाय महाकुंभ के सबसे बड़े लाभार्थी रहे। उनके अनुसार, इस 45 दिवसीय अवधि में प्रत्येक नाव ने लगभग 23 लाख रुपये की कमाई की।
समुदाय पर व्यापक प्रभाव
महाकुंभ ने केवल पिंटू परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे नाविक समुदाय को लाभान्वित किया:
- 4,500 से अधिक नावें लगातार संचालित
- प्रत्येक नाव में कम से कम 3 नाविक
- लगभग 13,000 नाविकों ने 8-9 लाख रुपये की कमाई की
चुनौतियां और विवाद
हालांकि, इस असाधारण सफलता के साथ कुछ विवाद भी जुड़े:
- विपक्ष ने कमाई के आंकड़ों पर सवाल उठाए
- GST और कर भुगतान को लेकर सवाल
- आय के स्रोतों की जांच की मांग
व्यक्तिगत संघर्ष और सपने
पिंटू महरा के लिए यह केवल एक व्यावसायिक सफलता नहीं थी। उनके लिए यह आस्था, अवसर और दृढ़ संकल्प का परिणाम था। उन्होंने कहा, “मौनी अमावस्या के बाद मुझे लगा कि मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिला है।”
भविष्य की योजनाएं
परिवार पहले से ही अगले महाकुंभ (12 वर्ष बाद) की तैयारी में जुटा हुआ है। उनके लिए यह केवल धन कमाने का मामला नहीं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने का अवसर है।
पिंटू महरा का परिवार महाकुंभ 2025 की एक ऐसी कहानी है जो साबित करती है कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और परिवार के सामूहिक प्रयास असंभव को संभव कर सकते हैं।