जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी, जिनमें पर्यटक भी शामिल थे। हमले के बाद से ही भारत सरकार द्वारा कई कड़े कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है – सिंधु जल संधि का निलंबन।
भारत के इस निर्णायक कदम ने पाकिस्तान को हिला कर रख दिया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सरकार ने चोलिस्तान नहर परियोजना को तत्काल प्रभाव से रोकने का फैसला किया है। यह परियोजना पहले से ही पाकिस्तान के अंदरूनी प्रांतीय विवादों का कारण बनी हुई थी।
भारत द्वारा सिंधु जल संधि निलंबित करने का निर्णय क्यों लिया गया?
1956 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता है। यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी, जिसके तहत सिंधु नदी प्रणाली की छः नदियों – रावी, ब्यास, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम का बंटवारा किया गया था।
संधि के अनुसार, पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलज) पर भारत का पूर्ण अधिकार है, जबकि पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब और झेलम) का पानी पाकिस्तान के लिए निर्धारित है। हालांकि, भारत को इन पश्चिमी नदियों पर गैर-उपभोगी उपयोग जैसे बिजली उत्पादन का अधिकार है।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान से सख्ती से निपटने के लिए सिंधु जल संधि को निलंबित किया जाए। गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में कहा, “भारत अब आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहा है और हम हर मोर्चे पर पाकिस्तान को जवाब देंगे।”
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: चोलिस्तान नहर परियोजना का निलंबन
भारत के इस कड़े कदम के बाद पाकिस्तान सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए अपनी विवादास्पद चोलिस्तान नहर परियोजना को रोकने का फैसला किया है। फरवरी 2025 में सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने इस परियोजना का उद्घाटन किया था। इसका उद्देश्य पंजाब प्रांत के रेगिस्तानी क्षेत्र की सिंचाई करना था।
हालांकि, यह परियोजना शुरू होते ही विवादों में घिर गई थी। पाकिस्तान के सिंध प्रांत ने इस परियोजना का जोरदार विरोध किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि चोलिस्तान नहर परियोजना को रोकने का निर्णय भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के कारण लिया गया है। क्योंकि अब पानी के स्रोत ही सीमित हो जाएंगे, तो नई नहर बनाने का औचित्य नहीं रहता।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो की मुलाकात
भारत के कदम के बाद पाकिस्तान में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी से मुलाकात की। यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण थी क्योंकि पीपीपी केंद्र में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, और साथ ही चोलिस्तान नहर परियोजना के विरोध में भी अग्रणी रही है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मीडिया को बताया, “पीपीपी और पीएमएल-एन के बीच बैठक में हमने आपसी सहमति से फैसला किया है कि जब तक आपसी सहमति से कोई फैसला नहीं हो जाता, तब तक कोई और नहर नहीं बनाई जाएगी। प्रांतों के बीच आम सहमति के बिना नहरों पर आगे कोई प्रगति नहीं होगी।”
इस बैठक के बाद यह भी तय हुआ कि विवादास्पद नहर परियोजना तब तक निलंबित रहेगी जब तक कि प्रांतों के बीच विवादों से निपटने के लिए उच्चस्तरीय अंतर-प्रांतीय निकाय ‘काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स’ में इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं बन जाती।
पाकिस्तान पर सिंधु जल संधि निलंबन का प्रभाव
सिंधु जल संधि के निलंबन का पाकिस्तान पर गहरा प्रभाव पड़ने वाला है। पाकिस्तान की कृषि और बिजली उत्पादन बड़े पैमाने पर सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस निलंबन से पाकिस्तान के कम से कम 65% कृषि क्षेत्र प्रभावित होंगे।
जल संसाधन विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र सिंह के अनुसार, “सिंधु जल संधि का निलंबन पाकिस्तान के लिए एक बहुत बड़ा आर्थिक झटका है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में है, और यह कदम उसकी आर्थिक स्थिति को और भी कमजोर कर देगा।”
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के कदम को समर्थन मिल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए भारत के साथ एकजुटता दिखाई है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। सुरक्षा परिषद ने एक बयान में कहा, “हम निर्दोष नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा करते हैं और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत है।” सुरक्षा परिषद ने सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने का आह्वान किया है।
इस बीच, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकवाद पर अंकुश नहीं लगाता, तब तक द्विपक्षीय संबंधों में सुधार संभव नहीं है।
पहलगाम आतंकी हमले का नया वीडियो आया सामने
इस बीच, पहलगाम आतंकी हमले का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें आतंकी को पर्यटकों पर गोलियां बरसाते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और देश भर में आक्रोश बढ़ा है।
कश्मीर में सुरक्षा बलों ने संदिग्ध आतंकियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू कर दिया है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम हर कीमत पर इस आतंकी हमले के दोषियों को पकड़ेंगे और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलाएंगे।”
भारत सरकार के अन्य कड़े कदम
सिंधु जल संधि के निलंबन के अलावा, भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई अन्य कड़े कदम भी उठाए हैं:
- पाकिस्तानी नागरिकों का निष्कासन: गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर देश भर में पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। पुणे, अलीगढ़ और अहमदाबाद जैसे शहरों से पाकिस्तानी नागरिकों को बाहर किया जा रहा है।
- सीमा पर सुरक्षा बढ़ाना: सीमा सुरक्षा बल (BSF) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सीमा पर निगरानी बढ़ाई गई है और घुसपैठ रोकने के लिए विशेष उपाय किए गए हैं।
- कूटनीतिक दबाव: भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति अपनाई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “दुनिया के सभी देशों को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है।”
सीज़फायर का उल्लंघन
भारत के कदम से बौखलाए पाकिस्तान ने लगातार दूसरे दिन सीज़फायर का उल्लंघन किया है। सीमावर्ती इलाकों में पूरी रात पाकिस्तानी सेना द्वारा फायरिंग की गई। भारतीय सेना ने इस फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया है।
रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारी सेना हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। हम पाकिस्तान की किसी भी उकसावे वाली कार्रवाई का करारा जवाब देंगे।”
क्या होगा आगे?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अभी और बढ़ सकता है। भारत के रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अशोक मेहता के अनुसार, “भारत ने अब आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है। पाकिस्तान को इससे सबक लेना चाहिए और आतंकी ढांचे को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।”
हालांकि, कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों को संयम बरतने की जरूरत है। पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन के अनुसार, “भारत का कदम उचित है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि तनाव एक सीमा से आगे न बढ़े। परमाणु शक्ति संपन्न दो पड़ोसी देशों के बीच युद्ध की स्थिति पूरे क्षेत्र के लिए खतरनाक हो सकती है।”
पहलगाम आतंकी हमले का विवरण
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। हमले में देश-विदेश से आए 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। अधिकारियों के अनुसार, आतंकवादियों ने पर्यटक बस पर हमला किया था जो पहलगाम घाटी की ओर जा रही थी।
सुरक्षा बलों के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारी प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किया गया था। हमने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है और जांच जारी है।”
इस आतंकी हमले के बाद कश्मीर में पर्यटन उद्योग पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के पर्यटन विभाग ने आश्वासन दिया है कि वे सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं ताकि पर्यटकों का विश्वास बहाल किया जा सके।
निष्कर्ष: भारत-पाक संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभाव
पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा उठाए गए कदमों से भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया मोड़ आ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिंधु जल संधि जैसे महत्वपूर्ण समझौते का निलंबन दोनों देशों के बीच रिश्तों में दीर्घकालिक प्रभाव डालेगा।
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर ब्रह्म चेलानी के अनुसार, “सिंधु जल संधि का निलंबन एक संकेत है कि भारत अब पाकिस्तान के साथ अपनी नीति में बड़ा बदलाव ला रहा है। यह संदेश दिया जा रहा है कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी।”
हालांकि, जल संसाधन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस कदम को आगे बढ़ाते समय अंतरराष्ट्रीय कानूनों और प्रतिबद्धताओं का ध्यान रखना चाहिए। जल संरक्षण कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने कहा, “जल विवादों को हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए। नदियां किसी एक देश की नहीं होतीं, वे प्रकृति की देन हैं।”
अंत में, यह स्पष्ट है कि भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा। पाकिस्तान के लिए भी यह एक संकेत है कि अगर वह भारत के साथ संबंधों में सुधार चाहता है, तो उसे आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे। दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग की राह आतंकवाद के खात्मे से ही होकर गुजरती है।