पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है। भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) ने पाकिस्तान के बहावलपुर में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी ठिकाने मरकज सुभान अल्लाह को निशाना बनाया और भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के संयुक्त अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के तहत इसे नष्ट कर दिया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
मरकज सुभान अल्लाह: आतंकवाद का गढ़
मरकज सुभान अल्लाह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बहावलपुर के बाहरी इलाके में एनएच-5 (कराची-तोर्कहम राजमार्ग) पर कराची मोड़ के पास स्थित था। यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य प्रशिक्षण और प्रचार केंद्र था, जो लगभग 15 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ था। इस केंद्र से ही 14 फरवरी 2019 के पुलवामा हमले समेत कई आतंकी हमलों की योजना बनाई गई थी।
“पिछले कई महीनों से हमारी खुफिया एजेंसियां इस ठिकाने पर नजर रखे हुए थीं। हमें जानकारी मिली थी कि इस केंद्र से कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में बड़े आतंकी हमलों की तैयारी चल रही थी,” एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया।
खुफिया जानकारी से शुरू हुआ अभियान
सूत्रों के अनुसार, RAW के विशेष अभियान विभाग ने पिछले छह महीनों से इस ठिकाने पर नजर रखी हुई थी। उनकी टीम ने मरकज सुभान अल्लाह में होने वाली हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी और महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्र कीं। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, इस केंद्र में लगभग 600 आतंकवादी प्रशिक्षण ले रहे थे और नए आतंकी हमलों की योजना बना रहे थे।
“30 नवंबर 2024 को मौलाना मसूद अजहर ने दो साल बाद मारकज सुभान अल्लाह में जैश कैडर को संबोधित किया था। उन्होंने भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए और बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने की बात दोहराई। हमारे पास इस बैठक की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है,” खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया।
तीनों सेनाओं ने मिलकर बनाई रणनीति
पहलगाम हमले के बाद, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक हुई, जिसमें इस आतंकी ठिकाने को नष्ट करने का निर्णय लिया गया। तीनों सेनाओं के प्रमुखों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की उपस्थिति में एक विस्तृत योजना तैयार की गई।
“हमें पता था कि यह एक जोखिम भरा मिशन होगा, क्योंकि लक्ष्य पाकिस्तान की मुख्य भूमि में 150 किलोमीटर अंदर स्थित था। लेकिन हमारी सेनाएं इस चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार थीं,” थल सेना प्रमुख ने मीडिया को बताया।
ऑपरेशन सिंदूर: बेहद गोपनीय मिशन
7 मई 2025 की रात करीब 2 बजे भारतीय वायुसेना के राफेल और मिराज 2000 विमानों ने भारतीय सीमा से उड़ान भरी। इस मिशन में कुल 12 लड़ाकू विमान शामिल थे, जिनमें से 6 राफेल और 6 मिराज 2000 थे। इनके साथ 2 हेरॉन ड्रोन भी थे, जो रियल-टाइम इंटेलिजेंस प्रदान कर रहे थे।
“हमारे विमानों ने पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर बहावलपुर तक पहुंचने में सफलता हासिल की। पाकिस्तान के पास चीन से खरीदे गए HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम था, लेकिन वह हमारे विमानों का पता लगाने में विफल रहा,” एक वायुसेना अधिकारी ने बताया।
राफेल विमानों ने स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हैमर मिसाइल दागीं, जबकि मिराज 2000 विमानों ने SPICE 2000 और Popeye बम गिराए। इन्हें विशेष रूप से बंकरों और अंडरग्राउंड कमांड सेंटर को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था।
“हमारे द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार अत्याधुनिक और बेहद सटीक थे। स्कैल्प मिसाइल की रेंज 250-560 किलोमीटर है और वे स्टील्थ डिजाइन के साथ आती हैं, जिन्हें रडार पर पकड़ना मुश्किल है। हैमर मिसाइलें लेजर और इन्फ्रारेड गाइडेंस सिस्टम से लैस हैं, जो 20-70 किलोमीटर की दूरी से भी छोटे लक्ष्यों को सटीकता से निशाना बना सकती हैं,” हथियार विशेषज्ञ ने बताया।
भारतीय नौसेना का महत्वपूर्ण योगदान
जबकि वायुसेना हमले का मुख्य हिस्सा थी, भारतीय नौसेना ने भी इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य दोनों विमानवाहक पोत अरब सागर में तैनात किए गए थे, ताकि किसी भी प्रतिक्रिया का जवाब दिया जा सके।
“नौसेना के MiG-29K विमान पूरे ऑपरेशन के दौरान हवा में थे और जरूरत पड़ने पर सहायता के लिए तैयार थे। साथ ही, ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस युद्धपोत भी तैयार थे,” एक नौसेना अधिकारी ने बताया।
हमले का प्रभाव और नुकसान
सैटेलाइट इमेजरी से मिली जानकारी के अनुसार, मरकज सुभान अल्लाह केंद्र को गंभीर नुकसान पहुंचा है। प्रशिक्षण शिविर, जिम्नेजियम, स्विमिंग पूल और हथियार डिपो पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।
अनुमान है कि इस हमले में लगभग 200-300 आतंकवादी मारे गए हैं, जिनमें जैश के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हो सकते हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार, मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर और यूसुफ अजहर जैसे वरिष्ठ आतंकी नेता भी मारे गए हो सकते हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
“यह हमला जैश-ए-मोहम्मद और ISI के लिए एक बड़ा झटका है। हमने उनके सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र को नष्ट कर दिया है, जहां से वे कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते थे,” भारतीय सुरक्षा विश्लेषक ने कहा।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने इस हमले में हुए नुकसान से इनकार किया है। ISPR के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने दावा किया कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है।
“यह भारत का एक और झूठा अभियान है। हमारे पास कोई आतंकवादी ठिकाना नहीं है और न ही किसी तरह का प्रशिक्षण केंद्र है। भारत अपनी आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए ऐसी कहानियां गढ़ रहा है,” गफूर ने कहा।
हालांकि, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों से पता चलता है कि बहावलपुर में बड़ा विस्फोट हुआ था और आसपास के क्षेत्र से धुएं के गुबार उठते देखे गए थे।
भारत का कूटनीतिक प्रयास
हमले के बाद भारत ने अपने कूटनीतिक प्रयासों को तेज कर दिया है। विदेश मंत्री ने विश्व के प्रमुख देशों से संपर्क किया और उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के पीछे के कारणों से अवगत कराया।
“हमने आत्मरक्षा में यह कदम उठाया है। हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दृढ़ हैं और किसी भी देश से आतंकी हमलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे,” विदेश मंत्री ने कहा।
अमेरिका, रूस, फ्रांस और कई अन्य देशों ने भारत के इस कदम का समर्थन किया है और पाकिस्तान से आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
आगे की चुनौतियां
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
“2019 के बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तान ने जवाबी हवाई हमला किया था। ऐसी संभावना है कि वे इस बार भी कुछ प्रतिक्रिया दे सकते हैं,” एक सुरक्षा विश्लेषक ने बताया।
इसके अलावा, जैश-ए-मोहम्मद नए नामों (जैसे TRF – द रेजिस्टेंस फ्रंट) के तहत पुनर्गठन कर सकता है और कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ा सकता है।
जनता की प्रतिक्रिया
भारत में ऑपरेशन सिंदूर को व्यापक समर्थन मिल रहा है। सोशल मीडिया पर लोग भारतीय सेना और सरकार के इस कदम की प्रशंसा कर रहे हैं।
“आतंकवाद के खिलाफ यह एक बड़ी जीत है। हमें अपनी सेना और खुफिया एजेंसियों पर गर्व है, जिन्होंने इतने जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया,” मुंबई के एक नागरिक ने कहा।
विपक्षी दलों ने भी इस कार्रवाई का समर्थन किया है और सरकार की प्रशंसा की है।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभियान भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमता और तैयारी को दर्शाता है, जो देश की सुरक्षा के लिए हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले से जैश-ए-मोहम्मद को गंभीर झटका लगा है और आने वाले महीनों में उनकी आतंकी गतिविधियों में कमी आ सकती है। हालांकि, भारत को सतर्क रहने और अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत रखने की आवश्यकता है।
आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई लंबी है, और ऑपरेशन सिंदूर इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दर्शाता है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।