03/05/2025

नॉर्वे बना पहली ऑल-इलेक्ट्रिक कारों वाला देश

नॉर्वे इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में बना विश्व नेता

नॉर्वे ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में एक नया आयाम स्थापित किया है। वर्ष 2024 के आरंभ में, ओस्लो स्थित कार डीलरशिप हेराल्ड ए मोलर ने पेट्रोल और डीजल कारों को अलविदा कहते हुए केवल इलेक्ट्रिक वाहन बेचने का निर्णय लिया।

पेट्रोल और डीजल कारों का युग समाप्त

हेराल्ड ए मोलर के सीईओ उल्फ टोरे हेकेनबी ने स्पष्ट रूप से कहा, “हम मानते हैं कि आज के समय में ग्राहक को आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) कार खरीदने की सलाह देना अनुचित होगा, क्योंकि भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों का है।” नॉर्वे की राजधानी ओस्लो की सड़कों पर बैटरी चालित कारें अब असामान्य नहीं बल्कि आम हैं। हर दूसरी कार के लाइसेंस प्लेट पर “E” अक्षर दिखाई देना आम दृश्य है।

इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति के पीछे नॉर्वे का दृष्टिकोण

नॉर्वे की 55 लाख की आबादी ने ईवी को तेजी से अपनाया है और यह देश नए जीवाश्म ईंधन वाले वाहनों की बिक्री को समाप्त करने के कगार पर है। 2024 में, नॉर्वे की सड़कों पर पेट्रोल वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या पहली बार अधिक हो गई।

चौंकाने वाले आंकड़े

नॉर्वे रोड फेडरेशन (OFV) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में देश में बेची गई नई कारों में से 88.9% इलेक्ट्रिक थीं। कुछ महीनों में तो इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का प्रतिशत 98% तक पहुंच गया। वहीं, ब्रिटेन में यह आंकड़ा मात्र 20% था और अमेरिका में केवल 8%।

तीन दशकों की मेहनत का परिणाम

नॉर्वे में इलेक्ट्रिक वाहनों की इस सफलता की कहानी तीन दशकों पहले शुरू हुई थी। 1990 के दशक की शुरुआत में सरकार ने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर भारी टैक्स लगाना शुरू किया, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों को टैक्स से छूट दी गई।

क्रिस्टीना बु, जो नॉर्वे इलेक्ट्रिक वाहन एसोसिएशन की महासचिव हैं, बताती हैं, “हमारा उद्देश्य है कि शून्य-उत्सर्जन वाहन चुनना हमेशा एक बेहतर विकल्प बना रहे।” उन्होंने बताया कि नॉर्वे ने अपनी नीति में स्पष्टता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण को अपनाया है।

सरकार की प्रोत्साहन योजनाएं

सरकार ने न केवल जीवाश्म ईंधन वाहनों पर भारी कर लगाया, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर वैट और आयात शुल्क को माफ कर दिया। इसके साथ ही मुफ्त पार्किंग, सस्ते रोड टोल और बस लेन का उपयोग करने की अनुमति जैसी कई सुविधाएं दी गईं।

अन्य देशों से तुलना

यूरोपीय संघ ने 2035 तक नए जीवाश्म ईंधन वाहनों की बिक्री पर रोक लगाने की योजना बनाई है, जबकि ब्रिटेन का लक्ष्य 2030 है। लेकिन नॉर्वे में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। इसके बावजूद, लोग अब पेट्रोल या डीजल वाहन खरीदना पसंद नहीं कर रहे हैं।

आर्थिक रूप से सही फैसला

नॉर्वे के निवासी स्टाले फयन ने 15 महीने पहले अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार खरीदी। वे बताते हैं, “ईवी पर टैक्स नहीं होने की वजह से हमें काफी फायदा हुआ।” हालांकि सर्दियों में बैटरी की रेंज थोड़ी कम हो जाती है, लेकिन उनका कहना है कि देश के विशाल चार्जिंग नेटवर्क के कारण यह समस्या नहीं होती।

ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर

नॉर्वे में 27,000 से अधिक सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं, जबकि ब्रिटेन में 73,699 स्टेशन हैं, जो जनसंख्या के हिसाब से बहुत कम हैं। प्रति 1 लाख लोगों पर नॉर्वे में 447 चार्जिंग पॉइंट हैं, जबकि ब्रिटेन में यह संख्या केवल 89 है।

टेस्ला और चीनी ब्रांड्स की बढ़त

पिछले वर्ष टेस्ला, वोक्सवैगन और टोयोटा सबसे अधिक बिकने वाले ईवी ब्रांड रहे। वहीं, चीनी ब्रांड्स जैसे MG, BYD, Polestar और XPeng ने भी नॉर्वे के बाजार में 10% हिस्सेदारी हासिल की। नॉर्वे ने चीनी ईवी आयात पर किसी प्रकार के शुल्क नहीं लगाए हैं, जो इसे अन्य देशों से अलग बनाता है।

नॉर्वे के सफल मॉडल से सीख

क्रिस्टीना बु का मानना है कि नॉर्वे का मॉडल अन्य देशों में भी लागू किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए प्रत्येक देश को अपनी परिस्थितियों के अनुसार योजना बनानी होगी। नॉर्वे के लोग स्वभाव से अधिक पर्यावरण-हितैषी नहीं हैं, लेकिन मजबूत नीतियों और सुविधाजनक उपायों ने उन्हें इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

धनी राष्ट्र होने का फायदा

नॉर्वे की समृद्धि का एक बड़ा कारण उसका तेल और गैस निर्यात है, जिससे देश के पास $1.7 ट्रिलियन (\u00a31.3 ट्रिलियन) का सॉवरेन वेल्थ फंड है। इससे बड़े बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद मिली है और पेट्रोल व डीजल कारों से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई भी संभव हुई है।

हरित ऊर्जा का सहयोग

नॉर्वे में 88% ऊर्जा उत्पादन जलविद्युत से होता है। देश की हरित ऊर्जा क्षमता ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए स्थायी आधार प्रदान किया है। परिवहन अनुसंधान केंद्र के केजेल वर्नर जोहानसेन कहते हैं, “अब कोई भी डीजल कार खरीदना नहीं चाहता।”

अन्य देशों के लिए प्रेरणा

नॉर्वे का इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति का मॉडल स्पष्ट करता है कि सशक्त नीतियों, जागरूकता और प्रोत्साहन के माध्यम से अन्य देश भी जीवाश्म ईंधन वाहनों पर अपनी निर्भरता कम कर सकते हैं।

नॉर्वे का ईवी अपनाने का सफर बताता है कि पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को अपनाने के लिए आवश्यक है कि सरकारें दीर्घकालिक और मजबूत नीतियां लागू करें। इसके साथ ही ईवी चार्जिंग नेटवर्क और आर्थिक प्रोत्साहन का भी अहम योगदान होता है। अन्य देश नॉर्वे के मॉडल से प्रेरणा लेकर अपनी नीतियों को सुदृढ़ कर सकते हैं और कार्बन उत्सर्जन में कटौती कर सकते हैं।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं