Published on: 09/06/2025
मुंबई की जीवनरेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेनों में एक बार फिर दर्दनाक हादसा, अत्यधिक भीड़ के चलते आठ यात्री ट्रेन से गिरे, पांच की मौत
सुबह की भागदौड़, ऑफिस पहुंचने की जल्दी और मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली मुंबई लोकल ट्रेनों में रोज़ की तरह भयंकर भीड़। सोमवार सुबह यह नित्य का दृश्य एक भयावह त्रासदी में बदल गया जब मुंबरा और दिवा स्टेशन के बीच दो विपरीत दिशाओं में जा रही लोकल ट्रेनों के फुटबोर्ड पर यात्रा कर रहे कई यात्री आपस में टकराकर पटरियों पर गिर गए। इस दर्दनाक हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य घायल हो गए।
सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी स्वप्निल धनराज निला के अनुसार, “यह हादसा सुबह लगभग 9:30 बजे हुआ, जब कसारा की ओर जा रही एक ट्रेन और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) की ओर जा रही दूसरी ट्रेन के फुटबोर्ड पर यात्रा कर रहे यात्री आपस में टकरा गए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ट्रेनों की टक्कर नहीं थी, बल्कि विपरीत दिशाओं में जा रही ट्रेनों के फुटबोर्ड पर यात्रा कर रहे यात्रियों का आपस में उलझना था, जिससे वे पटरियों पर गिर गए।
“दो ट्रेनों के बीच की दूरी आमतौर पर 1.5 से 2 मीटर होती है, लेकिन मोड़ पर ट्रेनें थोड़ा झुक जाती हैं, जो इस हादसे का एक अतिरिक्त कारण हो सकता है,” निला ने कहा।
मुंबई की लोकल ट्रेनें, जिन्हें शहर की जीवनरेखा कहा जाता है, रोजाना लगभग 75 लाख यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाती हैं। हालांकि, अत्यधिक भीड़ इन ट्रेनों की एक बड़ी समस्या रही है, खासकर पीक आवर्स के दौरान जब लोग अपने कार्यस्थलों पर पहुंचने के लिए जल्दबाजी में रहते हैं।
हादसे के बाद आसपास के क्षेत्र में हड़कंप मच गया। घटनास्थल पर रेलवे प्रशासन और पुलिस तुरंत पहुंच गई। घायलों को तत्काल नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां पांच लोगों को मृत घोषित कर दिया गया। घायलों को कल्वा के अस्पताल में ले जाया गया, जहां चिकित्सकों की टीम ने उनका उपचार शुरू किया।
प्राथमिक जानकारी के अनुसार, सभी मृतक 30-35 वर्ष की आयु के बीच के थे, जो संभवतः अपने कार्यस्थलों पर जाने के लिए सुबह की ट्रेन में सफर कर रहे थे। रेलवे अधिकारी अभी मृतकों की पहचान करने का प्रयास कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, “दिवा-मुंब्रा स्थानकादरम्यान लोकलमधून एकूण 8 प्रवासी खाली पडून झालेल्या दुर्घटनेत काही जणांचा मृत्यू झाल्याची घटना अतिशय दुर्दैवी आहे। मी त्यांना भावपूर्ण श्रद्धांजली अर्पण करतो। त्यांच्या कुटुंबियांच्या दुःखात आम्ही सहभागी आहोत। जखमींना तातडीने शिवाजी हॉस्पिटल आणि ठाणे सामान्य रुग्णालयात दाखल करण्यात आलं असून त्यांच्यावर उपचार सुरू आहेत। स्थानिक प्रशासन समन्वय साधत आहे। जखमींना लवकरात लवकर आराम मिळावा, अशी मी ईश्वरचरणी प्रार्थना करतो। या घटनेचं नेमकं कारण काय याची चौकशी रेल्वे विभागाने सुरू केली आहे।”
इस हादसे के बाद सेंट्रल रेलवे ने बंद दरवाजे वाली ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
हादसे के चश्मदीद एक यात्री राकेश सिंह (नाम बदला हुआ) ने बताया, “मैं रोज की तरह ऑफिस जाने के लिए सुबह की ट्रेन पकड़ी थी। ट्रेन में इतनी भीड़ थी कि सांस लेना मुश्किल हो रहा था। मुंब्रा स्टेशन के पास जब दूसरी ट्रेन हमारी ट्रेन के पास से गुजरी, तब अचानक चीख-पुकार की आवाजें आईं और कुछ यात्री जो फुटबोर्ड पर खड़े थे, वे पटरियों पर गिर गए। मैं बस इतना ही देख पाया, उसके बाद चारों ओर अफरा-तफरी मच गई।”
एक अन्य यात्री सुनीता पाटिल ने कहा, “हर रोज हम जान जोखिम में डालकर सफर करते हैं। कई बार तो ट्रेन में चढ़ना ही इतना मुश्किल होता है कि लोग दरवाजे के पास या फुटबोर्ड पर लटककर यात्रा करने को मजबूर हो जाते हैं। आज जो हुआ वह दुखद है, लेकिन ऐसे हादसे होते रहेंगे जब तक प्रशासन इस समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं निकालता।”
मुंबई की लोकल ट्रेनों में होने वाली दुर्घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। हर साल सैकड़ों लोग ट्रेन से गिरने, पटरी पार करने या अन्य हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं। रेलवे सुरक्षा आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई लोकल में हर साल औसतन 2,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवाते हैं और हजारों घायल होते हैं।
यह हादसा मुंबई के परिवहन बुनियादी ढांचे की दयनीय स्थिति को उजागर करता है। शहर की जनसंख्या और यात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि के बावजूद, लोकल ट्रेन सेवाओं का विस्तार उसी अनुपात में नहीं हुआ है। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने इस संदर्भ में कहा, “मुंब्रा कल्वा में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। हम परिवहन प्रणाली का विस्तार उसी दर के अनुसार नहीं कर पाए हैं जिस दर से जनसंख्या बढ़ी है।”
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम लगातार लोगों को सुरक्षित यात्रा के लिए जागरूक करते हैं, लेकिन ऑफिस पहुंचने की जल्दी में लोग अपनी सुरक्षा की अनदेखी कर देते हैं। फुटबोर्ड पर यात्रा करना या दरवाजे पर लटककर सफर करना कानूनन अपराध है, लेकिन भीड़ के कारण लोग ऐसा करने को मजबूर हो जाते हैं।”
इस हादसे के बाद मुंबई की लोकल ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं और कई ट्रेनें देरी से चलीं। रेलवे ने घटना की जांच शुरू कर दी है और प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों ट्रेनों में अत्यधिक भीड़ हादसे का मुख्य कारण थी।
शहर के एक यातायात विशेषज्ञ अशोक दत्ता ने कहा, “मुंबई की लोकल ट्रेनों में भीड़ एक गंभीर समस्या है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें अधिक ट्रेनें चलाने, मौजूदा रेल नेटवर्क का विस्तार करने और वैकल्पिक परिवहन साधनों को बढ़ावा देने की जरूरत है। मेट्रो और मोनोरेल जैसे प्रोजेक्ट्स को तेजी से पूरा किया जाना चाहिए ताकि लोकल ट्रेनों पर दबाव कम हो सके।”
यात्री कल्याण संघ के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने इस हादसे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम पिछले कई वर्षों से लोकल ट्रेनों में सुरक्षा के मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं। पीक आवर्स के दौरान प्रति कोच में क्षमता से तीन गुना अधिक यात्री होते हैं, जिससे हादसे होने का खतरा बढ़ जाता है। हमने रेलवे प्रशासन से अधिक ट्रेनें चलाने और यात्रियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए उपाय करने की मांग की है।”
हादसे के बाद घायलों के परिजनों ने अस्पताल के बाहर जमा होकर अपनों का हाल जानने की कोशिश की। कल्वा अस्पताल के बाहर एक दर्दनाक दृश्य देखने को मिला, जहां मृतकों के परिजन विलाप कर रहे थे। एक मृतक की पत्नी ने कहते हुए सुना गया, “वह सिर्फ अपना काम करने के लिए घर से निकले थे, किसने सोचा था कि वे कभी वापस नहीं आएंगे।”
मुंबई के महापौर ने इस हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, “यह एक बहुत ही दुखद घटना है। हम पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेंगे। साथ ही, हम रेलवे प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि वे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएं।”
शहर के सामाजिक कार्यकर्ता और लोकल ट्रेन यात्री अभियान के संयोजक अमित शर्मा ने कहा, “हर बार ऐसे हादसे के बाद सिर्फ जांच की बात होती है, लेकिन वास्तविक समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। मुंबई की लोकल ट्रेनों में भीड़ कम करने के लिए लंबे समय से कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। हमें तत्काल एक व्यापक योजना की आवश्यकता है जिसमें अधिक ट्रेनें चलाना, नई रेल लाइनें बिछाना और वैकल्पिक परिवहन साधनों का विकास शामिल हो।”
इस बीच, सेंट्रल रेलवे ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि वे हादसे की विस्तृत जांच कर रहे हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएंगे। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “हादसे का कारण ट्रेन में अत्यधिक भीड़ माना जा रहा है। हम इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं और जल्द ही एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही, हम यात्रियों से अपील करते हैं कि वे अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें और फुटबोर्ड पर यात्रा करने से बचें।”
मुंबई के लोकल ट्रेन नेटवर्क, जो दुनिया के सबसे व्यस्त रेल नेटवर्क में से एक है, में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई उपाय प्रस्तावित किए गए हैं, जिनमें ऑटोमेटिक दरवाजे वाली ट्रेनें, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर और भीड़ प्रबंधन प्रणाली शामिल हैं। हालांकि, इनमें से अधिकांश प्रस्ताव अभी तक क्रियान्वित नहीं हुए हैं।
रेलवे के पूर्व अधिकारी और परिवहन विशेषज्ञ राजेश प्रसाद ने कहा, “मुंबई की लोकल ट्रेनें शहर की जीवनरेखा हैं, लेकिन वे मौत की पटरियां भी बन चुकी हैं। हमें तत्काल व्यापक सुधारों की आवश्यकता है। स्वचालित दरवाजे वाली ट्रेनें, अधिक फ्रीक्वेंसी, नई रेल लाइनें और भीड़ प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करके ही हम इस समस्या से निपट सकते हैं।”
इस हादसे ने एक बार फिर मुंबई के परिवहन बुनियादी ढांचे की कमियों को उजागर किया है और यात्रियों की सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर चिंताएं पैदा की हैं। यह देखना बाकी है कि अधिकारी इस समस्या से निपटने के लिए क्या ठोस कदम उठाते हैं, ताकि भविष्य में ऐसे दर्दनाक हादसों से बचा जा सके और लाखों मुंबईकरों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके।
इस बीच, इस त्रासदी में अपनों को खोने वाले परिवारों के लिए संवेदनाएं आ रही हैं और कई सामाजिक संगठन पीड़ित परिवारों की मदद के लिए आगे आए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और घायलों के इलाज का खर्च उठाने का आश्वासन दिया है।
मुंबई के नागरिकों ने इस हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं साझा की हैं और अधिकारियों से लोकल ट्रेनों में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। कई लोगों ने इस त्रासदी को “अपरिहार्य” बताया है और कहा है कि अगर समय रहते उचित कदम उठाए जाते, तो इसे टाला जा सकता था।
जैसे-जैसे यह दुखद खबर पूरे शहर में फैली, वैसे-वैसे लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों को फोन करके उनका हालचाल पूछा, जो लोकल ट्रेन से यात्रा करते हैं। कई ऑफिस में काम करने वालों ने अपने साथियों की सलामती जानने के लिए संपर्क किया। यह घटना मुंबई के लिए एक बड़ा झटका है, जिसने एक बार फिर शहर के परिवहन ढांचे की कमजोरियों को उजागर किया है।
अब जबकि रेलवे द्वारा जांच शुरू कर दी गई है, आशा की जाती है कि इस त्रासदी से सबक लेकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। मुंबई के लाखों यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए, और इसके लिए सरकार, रेलवे प्रशासन और नागरिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
इस दुखद घटना के पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं।