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“तानाशाही के खिलाफ जंग जीत गईं मारिया कोरीना मचाडो! वेनेजुएला की विपक्षी नेता को मिला नोबेल शांति पुरस्कार”

“तानाशाही के खिलाफ जंग जीत गईं मारिया! वेनेजुएला की विपक्षी नेता को मिला नोबेल शांति पुरस्कार”

ओस्लो: वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। यह सम्मान उन्हें देश में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करने और तानाशाही शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण परिवर्तन की दिशा में उनके प्रयासों के लिए मिला है।

58 वर्षीय मचाडो एक औद्योगिक इंजीनियर हैं और फिलहाल गोपनीय रूप से वेनेजुएला में रह रही हैं, क्योंकि सरकार ने उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए हैं। 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में उन्होंने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के खिलाफ चुनाव लड़ने की कोशिश की थी, लेकिन अदालतों ने उन्हें चुनाव से बाहर कर दिया था।

नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने शुक्रवार को ओस्लो में आयोजित कार्यक्रम में मचाडो का नाम घोषित करते हुए कहा कि यह पुरस्कार “वेनेजुएला की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और एक तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव की दिशा में उनके अथक प्रयासों” के लिए दिया जा रहा है।

कमेटी ने मचाडो को “लैटिन अमेरिका में नागरिक साहस की मिसाल” बताया और कहा कि उन्होंने एक समय बेहद बंटी हुई विपक्ष को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। “उन्होंने स्वतंत्र चुनावों और प्रतिनिधिक शासन की मांग के लिए सबको एक मंच पर लाया,” बयान में कहा गया।

पुरस्कार की घोषणा के बाद मचाडो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “यह सम्मान सभी वेनेजुएलावासियों के संघर्ष की पहचान है। हम आज आज़ादी के दरवाज़े पर खड़े हैं और हमें अमेरिका, लैटिन अमेरिकी देशों और लोकतांत्रिक विश्व से समर्थन की पहले से ज़्यादा ज़रूरत है।”

मचाडो 2024 में विपक्ष की ओर से लोकतांत्रिक उम्मीदवार थीं, लेकिन अयोग्य ठहराए जाने के बाद उन्होंने एडमुंडो गोंजालेज़ उरुतिया को समर्थन दिया। राष्ट्रपति मादुरो ने उस चुनाव में 51% वोट के साथ तीसरी बार जीत का दावा किया, हालांकि विपक्ष ने परिणामों को धांधलीपूर्ण बताया। विपक्ष का दावा था कि असल में मादुरो को केवल 30% वोट मिले थे और असली विजेता उरुतिया थे।

इसके बाद पूरे देश में प्रदर्शन भड़क उठे। लोगों ने चुनाव परिणामों की पारदर्शिता की मांग की, जबकि मादुरो सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई की।

नोबेल कमेटी के अध्यक्ष जॉर्गेन वाट्ने फ्रिडनेस ने मचाडो की तारीफ करते हुए कहा कि वह “अपने जीवन पर गंभीर खतरे के बावजूद देश में रहकर संघर्ष जारी रख रही हैं,” जो लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (OHCHR) ने भी मचाडो को बधाई दी। आयोग के प्रवक्ता थामीन अल-खीतान ने कहा, “यह पुरस्कार वेनेजुएला की जनता की स्पष्ट आकांक्षा को दर्शाता है — स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव, नागरिक अधिकार और क़ानून का शासन।”

नोबेल शांति पुरस्कार की राशि 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (करीब 1.2 मिलियन डॉलर) है, जो 10 दिसंबर को ओस्लो में समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा।

कमेटी ने कहा कि नोबेल पुरस्कार हमेशा उन “बहादुर महिलाओं और पुरुषों” को दिया गया है जिन्होंने दमन के खिलाफ आवाज़ उठाई और साबित किया कि शांतिपूर्ण विरोध से भी दुनिया बदली जा सकती है।

पिछले विजेताओं में 2023 की नरगिस मोहम्मदी (ईरान), 2018 के डेनिस मुक्वेगे (कांगो), और 2014 की मलाला यूसुफजई जैसे नाम शामिल हैं। वहीं 2024 में यह पुरस्कार जापानी संगठन निहोन हिदानक्यो को मिला था, जिसने दशकों से परमाणु हथियारों के विरोध में अभियान चलाया।

इस साल के पुरस्कार से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी खुद को संभावित विजेता बताते हुए बयान दिए थे। हालांकि कमेटी ने स्पष्ट किया कि चयन केवल “शांति और मानवाधिकारों के प्रति समर्पण” के आधार पर किया जाता है।

व्हाइट हाउस ने मचाडो के चयन पर नाराज़गी जताई, लेकिन दुनिया भर में लोकतंत्र समर्थकों ने इस फैसले को “तानाशाही के खिलाफ साहस की जीत” बताया।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को उपलब्ध स्रोतों से सत्यापित करें।

लेखक

  • नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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