Published on: 04/06/2025
बॉलीवुड की प्रमुख अभिनेत्री दीपिका पादुकोण इन दिनों एक नए विवाद में घिरी हुई हैं। संदीप रेड्डी वांगा की आगामी पैन-इंडिया फिल्म ‘स्पिरिट’ से उनके बाहर होने की खबरों ने फिल्म उद्योग में हलचल मचा दी है। अनुष्ठित रिपोर्ट्स के अनुसार, दीपिका ने फिल्म से जुड़ने के लिए कई शर्तें रखी थीं, जिसमें केवल 8 घंटे काम करना, 20 करोड़ रुपये की फीस, मुनाफे में हिस्सेदारी और तेलुगु में संवाद बोलने से इनकार शामिल है। इन शर्तों के कारण उन्हें “अव्यावसायिक” करार दिया जा रहा है, लेकिन अब कई प्रसिद्ध हस्तियां उनके समर्थन में सामने आ रही हैं।
दिग्गज फिल्मकार मणि रत्नम, जिन्होंने पहले दीपिका को ‘पोन्नियिन सेल्वन II’ में निर्देशित किया था, ने अभिनेत्री का मजबूती से समर्थन किया है। उन्होंने दीपिका को मिल रही आलोचना को अनुचित बताते हुए कहा, “मुझे लगता है कि यह एक उचित मांग है। मुझे खुशी है कि वह ऐसी स्थिति में हैं जहां वह इसकी मांग कर सकती हैं। एक फिल्मकार के रूप में, आप कास्टिंग करते समय इस बात को ध्यान में रखेंगे। यह मांगना कोई अनुचित बात नहीं है, बल्कि एक पूर्ण आवश्यकता है। आपको इसे स्वीकार करना होगा, समझना होगा और इसके अनुसार काम करना होगा।”
परिवार और कार्य संतुलन पर बहस
दीपिका पादुकोण हाल ही में मां बनी हैं, और एक नवजात शिशु की मां के रूप में उनकी प्राथमिकताएं स्वाभाविक रूप से बदल गई हैं। 8 घंटे की कार्य अवधि की मांग को लेकर हो रही आलोचना के बीच, कई फिल्म उद्योग के लोग इस मुद्दे पर अपनी राय दे रहे हैं।
अजय देवगन ने भी इस विवाद पर अपनी राय व्यक्त की। जब उनसे दीपिका द्वारा कथित तौर पर रखी गई 8 घंटे की शिफ्ट की आवश्यकता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि यह लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। अधिकांश ईमानदार फिल्मकारों को इससे कोई समस्या नहीं होगी। और इसके अलावा, एक मां होने के नाते और आठ घंटे काम करने के लिए, अधिकांश लोगों ने आठ-नौ घंटे की शिफ्ट में काम करना शुरू कर दिया है।”
सैफ अली खान ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए हैं, जिससे यह साफ होता है कि फिल्म उद्योग में कई लोग दीपिका की मांगों को समझते हैं और उनका समर्थन करते हैं।
‘स्पिरिट’ फिल्म का विवाद
दीपिका को ‘स्पिरिट’ में प्रभास के साथ साइन किया गया था, जो ‘कल्कि 2898 AD’ के बाद उनकी दूसरी तेलुगु-भाषा की पैन-इंडिया फिल्म होती। हालांकि, हाल ही में उनके फिल्म से बाहर होने की खबरें सामने आईं, जिसमें अटकलें लगाई जा रही थीं कि उनकी शर्तें पूरी नहीं की गईं। अभिनेत्री ने इस विकास पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है।
इस बीच, फिल्म निर्माताओं ने घोषणा की है कि त्रिप्ति डिमरी को प्रभास के साथ मुख्य भूमिका निभाने के लिए साइन किया गया है। यह त्रिप्ति और निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा का ‘एनिमल’ के बाद दूसरा सहयोग है।
इसके तुरंत बाद, वांगा ने अप्रत्यक्ष रूप से X (पूर्व में ट्विटर) पर स्थिति को संबोधित किया। बिना किसी का नाम लिए, उन्होंने एक लीक हुई स्क्रिप्ट पर निराशा व्यक्त की और इसके पीछे के इरादों पर सवाल उठाया।
उन्होंने लिखा, “जब मैं किसी अभिनेता को एक कहानी सुनाता हूं, तो मैं 100% विश्वास रखता हूं। हमारे बीच एक अनकहा NDA (नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट) होता है। लेकिन ऐसा करके, आपने उस व्यक्ति को ‘प्रकट’ कर दिया है जो आप हैं… एक युवा अभिनेता को नीचा दिखाना और मेरी कहानी को बाहर निकालना? क्या यह वह है जिसके लिए आपका नारीवाद खड़ा है?”
फिल्म उद्योग में बदलते मानक
यह विवाद केवल दीपिका और ‘स्पिरिट’ की टीम के बीच का मामला नहीं है, बल्कि यह भारतीय फिल्म उद्योग में बदलते मानकों और अभिनेत्रियों के अधिकारों के बारे में एक व्यापक बहस को दर्शाता है। पिछले कुछ वर्षों में, कई प्रमुख अभिनेत्रियों ने अपने अधिकारों, समान वेतन और बेहतर काम करने की स्थितियों के लिए आवाज उठाई है।
मणि रत्नम जैसे अनुभवी फिल्मकारों का समर्थन इस बात का संकेत है कि उद्योग धीरे-धीरे इन मुद्दों के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहा है। उन्होंने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि दीपिका की मांगें न केवल उचित हैं, बल्कि आवश्यक भी हैं।
मातृत्व और करियर का संतुलन
दीपिका ने हाल ही में अपने पति रणवीर सिंह के साथ एक बेटी का स्वागत किया है, और नई मां के रूप में, उनकी प्राथमिकताएं स्वाभाविक रूप से बदल गई हैं। 8 घंटे की कार्य अवधि की मांग इस बात का एक स्पष्ट संकेत है कि वह अपने करियर और परिवार के बीच संतुलन बनाना चाहती हैं।
अजय देवगन ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा, “एक मां होने के नाते और आठ घंटे काम करने के लिए, अधिकांश लोगों ने आठ-नौ घंटे की शिफ्ट में काम करना शुरू कर दिया है।” यह टिप्पणी दर्शाती है कि फिल्म उद्योग में काम के घंटों के संबंध में एक बदलाव आ रहा है, और यह बदलाव विशेष रूप से कामकाजी माताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
दीपिका का करियर और वर्तमान स्थिति
दीपिका पादुकोण बॉलीवुड की सबसे सफल और प्रभावशाली अभिनेत्रियों में से एक हैं। उन्होंने अपने करियर में कई हिट फिल्में दी हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई है। हाल ही में, उन्होंने ‘पठान’, ‘फाइटर’ और ‘कल्कि 2898 AD’ जैसी बड़ी फिल्मों में काम किया है।
मातृत्व के बावजूद, दीपिका ने अपने करियर को जारी रखने का फैसला किया है, लेकिन अपनी शर्तों पर। यह दर्शाता है कि वह अपने करियर और निजी जीवन के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाना चाहती हैं, जो कि कई आधुनिक कामकाजी माताओं की आकांक्षा है।
फिल्म उद्योग में महिलाओं के अधिकार
यह विवाद भारतीय फिल्म उद्योग में महिलाओं के अधिकारों और समानता के मुद्दे को भी उजागर करता है। पिछले कुछ वर्षों में, कई अभिनेत्रियों ने उद्योग में मौजूद असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई है, जिसमें वेतन अंतर, भूमिकाओं की कमी और काम करने की अनुचित स्थितियां शामिल हैं।
दीपिका की मांगें इस संदर्भ में देखी जा सकती हैं – वे न केवल व्यक्तिगत प्राथमिकताएं हैं, बल्कि एक व्यापक संदेश भी हैं कि महिलाओं को अपने करियर के साथ-साथ अपने निजी जीवन और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का अधिकार है।
संदीप रेड्डी वांगा का रुख
फिल्म के निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा ने हालांकि दीपिका का नाम लिए बिना, सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से अपनी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने स्क्रिप्ट लीक होने और एक युवा अभिनेता को नीचा दिखाने का आरोप लगाया है।
वांगा के पोस्ट से यह स्पष्ट होता है कि दोनों पक्षों के बीच मतभेद गहरे हैं और मामला केवल व्यावसायिक शर्तों तक सीमित नहीं है। हालांकि, इस मुद्दे पर दीपिका की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
उद्योग के अन्य नेताओं के विचार
मणि रत्नम और अजय देवगन के अलावा, कई अन्य फिल्म उद्योग के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। अधिकांश ने दीपिका की मांगों को उचित और समझदारी भरा बताया है, विशेष रूप से एक नई मां के संदर्भ में।
यह इस बात का संकेत है कि फिल्म उद्योग में एक बदलाव आ रहा है, जहां कलाकारों के अधिकारों और कल्याण को अधिक महत्व दिया जा रहा है। पारंपरिक रूप से, भारतीय फिल्म उद्योग में लंबे काम के घंटे और कठिन परिस्थितियां आम रही हैं, लेकिन अब यह धारणा बदल रही है।
निष्कर्ष
दीपिका पादुकोण और ‘स्पिरिट’ का विवाद भारतीय फिल्म उद्योग में बदलते मानकों और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। मणि रत्नम जैसे सम्मानित फिल्मकारों का समर्थन इस बात का संकेत है कि उद्योग धीरे-धीरे अभिनेत्रियों के अधिकारों और उनकी प्राथमिकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहा है।
दीपिका की मांगें न केवल उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं को दर्शाती हैं, बल्कि एक व्यापक संदेश भी देती हैं कि महिलाओं को अपने करियर के साथ-साथ अपने निजी जीवन और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का अधिकार है। यह विवाद फिल्म उद्योग में काम करने की स्थितियों, मातृत्व के दौरान करियर संतुलन और कलाकारों के अधिकारों के बारे में एक महत्वपूर्ण बहस को प्रोत्साहित करता है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दीपिका इस मुद्दे पर अपना पक्ष सार्वजनिक रूप से रखती हैं, और क्या यह विवाद फिल्म उद्योग में व्यापक बदलावों को प्रेरित करता है।