03/05/2025

मकरविलक्कु 2025: सबरीमाला यात्रा और ज्योति दर्शन

भारतीय पर्वों की भव्यता और धार्मिक परंपराओं में केरल का प्रसिद्ध मकरविलक्कु उत्सव अनूठा स्थान रखता है। यह पर्व सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में भक्तों के अद्वितीय समर्पण का प्रतीक है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु इस पर्व के साक्षी बनने के लिए सबरीमाला की कठिन यात्रा करते हैं। आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं मकरविलक्कु 2025 की तिथियां, उससे जुड़े अनुष्ठान और इसके धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक पहलुओं की महत्वपूर्ण जानकारी।

### मकरविलक्कु 2025 की तिथि और समय

मकरविलक्कु पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व 15 जनवरी को आयोजित होगा। इस दिन सबरीमाला मंदिर में भक्तों का विशाल जनसमूह उमड़ता है। खास बात यह है कि इसी दिन भक्तों को पोनाम्बलमेडु की पहाड़ियों से अद्भुत ‘मकर ज्योति’ के दर्शन होते हैं, जिसे लेकर श्रद्धालुओं की अपार आस्था जुड़ी हुई है।

### मकरविलक्कु का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

भगवान अयप्पा की कथा भारतीय धर्मशास्त्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान अयप्पा का जन्म भगवान शिव और मोहिनी (भगवान विष्णु का रूप) के समन्वय से हुआ था। मकरविलक्कु पर्व को भगवान अयप्पा के दिव्य स्वरूप और उनके संघर्षों की याद में मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान अयप्पा की अलौकिक शक्ति और धर्म की विजय का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि मकरविलक्कु ज्योति के दर्शन से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वे आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं।

### मकरविलक्कु के मुख्य अनुष्ठान

मकरविलक्कु पर्व के दौरान कई पारंपरिक अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं। इनमें कुछ प्रमुख अनुष्ठान निम्नलिखित हैं:

  1. पेट्टा थुल्लल: मकरविलक्कु उत्सव का प्रारंभ ‘पेट्टा थुल्लल’ नामक अनुष्ठानिक नृत्य से होता है। यह नृत्य भक्तों के उत्साह और भक्ति भाव का जीवंत उदाहरण है। इसमें शामिल भक्त भगवान अयप्पा के प्रति समर्पण का प्रतीकात्मक प्रदर्शन करते हैं।
  2. मकर ज्योति दर्शन: पोनाम्बलमेडु की पहाड़ियों से दिखाई देने वाली ‘मकर ज्योति’ इस उत्सव की सबसे महत्वपूर्ण घटना है। इस दिव्य ज्योति के दर्शन को भक्तों के लिए शुभ संकेत माना जाता है। वर्षों से इस ज्योति को देखने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां जुटते हैं।
  3. ध्वजारोहण: सबरीमाला मंदिर में पर्व के आरंभ में पवित्र ध्वजारोहण अनुष्ठान संपन्न होता है। इस ध्वज को विजय और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
  4. विशेष पूजा और भजन-कीर्तन: मंदिर में मकरविलक्कु के अवसर पर विशेष आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इन अनुष्ठानों के दौरान भक्त भगवान अयप्पा की स्तुति में डूबकर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।

### सबरीमाला यात्रा का कठिन लेकिन पवित्र सफर

मकरविलक्कु के अवसर पर सबरीमाला यात्रा को अद्भुत आस्था और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह यात्रा आसान नहीं होती है—यहां तक पहुंचने के लिए भक्त 41 दिनों का कठिन व्रत रखते हैं, जिसमें संयम, शुद्ध आचरण और सादगी का पालन अनिवार्य होता है। इस दौरान भक्त काले या नीले वस्त्र धारण करते हैं और सिर पर ‘इरुमुडी’ लेकर यात्रा करते हैं। यह इरुमुडी भगवान अयप्पा के लिए अर्पित प्रसाद और सामग्रियों से भरा होता है। इस यात्रा का हर कदम भक्तों के लिए तपस्या और आत्मशुद्धि का अवसर होता है।

### मकरविलक्कु उत्सव के प्रमुख आकर्षण

  1. मकर ज्योति के दर्शन: पर्व का सबसे बड़ा आकर्षण दिव्य ज्योति के दर्शन करना है। इसे देखने के लिए श्रद्धालु मीलों दूर से आते हैं।
  2. पम्पा नदी में स्नान: सबरीमाला जाने से पहले भक्त पम्पा नदी में स्नान करते हैं, जिसे पवित्रता और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  3. विशाल भंडारे: इस अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं।

### सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक संदेश

मकरविलक्कु का पर्व केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर को भी दर्शाता है। यह पर्व अनुशासन, एकता और समर्पण का संदेश देता है। मकरविलक्कु में निहित परंपराएं भारतीय समाज के जीवन दर्शन को जीवंत करती हैं। इस पर्व में भाग लेकर भक्त न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करते हैं बल्कि सामूहिकता के महत्व को भी आत्मसात करते हैं।

### पर्यावरण संरक्षण का नया दृष्टिकोण

आधुनिक युग में मकरविलक्कु पर्व के दौरान पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। श्रद्धालुओं और प्रशासन द्वारा प्लास्टिक मुक्त आयोजन सुनिश्चित किया जा रहा है। जैविक अपशिष्ट प्रबंधन, पवित्र स्थलों की सफाई और पौधारोपण जैसे अभियान इस पर्व का हिस्सा बन चुके हैं। प्रशासन और स्वयंसेवक मिलकर सबरीमाला क्षेत्र को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखने में जुटे रहते हैं।

मकरविलक्कु 2025 का पर्व धार्मिक आस्था, भक्ति और परंपरा का संगम है। यह उत्सव हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को अपने दिव्य आकर्षण से बुलाता है। अगर आप इस भव्य आयोजन के साक्षी बनना चाहते हैं तो सबरीमाला की यात्रा आपके जीवन को एक नई आध्यात्मिक दिशा दे सकती है। मकरविलक्कु के इस पर्व में सम्मिलित होकर भक्त अपने मन और आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं। 2025 में मकरविलक्कु के दिव्य आयोजन का हिस्सा बनने का यह सही अवसर हो सकता है।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं