Site icon BigNews18

महाकुंभ 2025: नागा साधु क्यों करते पहला स्नान?

महाकुंभ 2025: नागा साधु क्यों करते पहला स्नान?

महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से प्रयागराज में प्रारंभ हो चुका है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करने के लिए एकत्रित हुए हैं। महाकुंभ के दौरान ‘अमृत स्नान’ का विशेष महत्व है, और इस अवसर पर सबसे पहले नागा साधुओं को स्नान करने का अधिकार प्रदान किया जाता है। आइए, इस परंपरा के पीछे के धार्मिक और ऐतिहासिक कारणों को समझें।

नागा साधुओं का परिचय

नागा साधु सनातन धर्म के उन तपस्वियों का समूह है, जो कठोर तपस्या, संयम और भगवान शिव की भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। ये साधु नग्न रहते हैं, शरीर पर भस्म लगाते हैं, और अपने जीवन को सांसारिक बंधनों से मुक्त रखते हैं। नागा साधुओं की दीक्षा प्रक्रिया अत्यंत कठिन और रहस्यमयी होती है, जिसमें सांसारिक जीवन का पूर्ण त्याग शामिल है।

महाकुंभ में नागा साधुओं की भूमिका

महाकुंभ के दौरान शाही स्नान का आयोजन होता है, जिसमें नागा साधु प्रमुख भूमिका निभाते हैं। शाही स्नान के समय, नागा साधु भव्य जुलूस के साथ संगम तट पर पहुंचते हैं और सबसे पहले पवित्र डुबकी लगाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसका धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।

नागा साधुओं को प्रथम स्नान का अधिकार क्यों?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से चार बूंदें पृथ्वी पर गिरीं, जिनमें से एक प्रयागराज में गिरी थी। नागा साधुओं को भगवान शिव का अनुयायी माना जाता है, और उनकी गहन तपस्या और भक्ति के कारण उन्हें अमृत स्नान का प्रथम अधिकार प्रदान किया गया है। यह परंपरा नागा साधुओं की आध्यात्मिक ऊर्जा और धार्मिक महत्व को दर्शाती है।

शाही स्नान की प्रक्रिया

शाही स्नान के दिन, सभी 13 अखाड़ों के साधु-संत भव्य जुलूस के साथ संगम तट पर पहुंचते हैं। इस जुलूस में हाथी, घोड़े, रथ, बैंड-बाजे और अखाड़ों के ध्वज शामिल होते हैं। सबसे पहले नागा साधु और प्रमुख संत स्नान करते हैं, जिसे ‘प्रथम स्नान अधिकार’ कहा जाता है। इसके बाद अन्य अखाड़े और फिर आम श्रद्धालु स्नान करते हैं।

नागा साधुओं का श्रृंगार

शाही स्नान से पूर्व, नागा साधु विशेष 17 प्रकार के श्रृंगार करते हैं, जिसमें भस्म, रुद्राक्ष, फूलों की माला, त्रिशूल, डमरू आदि शामिल हैं। यह श्रृंगार उनकी आध्यात्मिक शक्ति और भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति को दर्शाता है।

महाकुंभ 2025 की तिथियां

महाकुंभ 2025 में प्रमुख स्नान तिथियां निम्नलिखित हैं:

  • 13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा (प्रथम शाही स्नान)
  • 14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति (द्वितीय शाही स्नान)
  • 29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या (तृतीय शाही स्नान)
  • 3 फरवरी 2025: वसंत पंचमी (चौथा पवित्र स्नान)
  • 12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा (पांचवां पवित्र स्नान)
  • 26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि (समापन दिवस)

महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का भव्य उत्सव है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का भी एक अहम हिस्सा है। लाखों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं।

महाकुंभ में नागा साधुओं को प्रथम स्नान का अधिकार प्रदान करना उनकी तपस्या, भक्ति और धर्म की रक्षा के प्रति उनके योगदान का सम्मान है। यह परंपरा हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा और धार्मिक महत्व को दर्शाती है।

लेखक

  • नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

    View all posts
Exit mobile version