नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफे के बाद अपने पहले बयान में एक बार फिर भारत पर हमला बोला है। ओली ने साफ कहा कि अगर उन्होंने भारत के खिलाफ आवाज न उठाई होती, तो आज भी प्रधानमंत्री पद पर बने रहते। उनका यह बयान नेपाल की राजनीति और भारत-नेपाल संबंधों को लेकर एक बार फिर चर्चा में है।
इस्तीफे के बाद पहला रिएक्शन
नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बीच ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद पार्टी महासचिव को लिखे पत्र में उन्होंने दावा किया कि भारत पर तीखे सवाल उठाना ही उनकी कुर्सी छिनने की वजह बना।
ओली ने लिखा कि अगर वह लिपुलेख जैसे मुद्दों पर भारत को चुनौती नहीं देते, तो वह आज भी सत्ता में होते। उनके मुताबिक, उन्होंने ऐसे संवेदनशील मामलों पर खुलकर आवाज उठाई, जिसके कारण उन्हें राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ी।
भारत विरोधी सुर बरकरार
ओली ने अपने पत्र में कहा कि उन्होंने हमेशा भारत के दबाव को चुनौती दी और नेपाल की संप्रभुता के लिए सख्त रुख अपनाया। उनका आरोप है कि भारत को चुनौती देने की वजह से ही उन्हें सत्ता से बाहर किया गया।
यही नहीं, ओली ने एक बार फिर से अयोध्या और भगवान राम का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि अयोध्या पर उनके रुख के कारण ही उन्हें राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा।
अयोध्या विवाद पर फिर टिप्पणी
ओली ने कहा कि जब उन्होंने यह दावा किया था कि भगवान राम भारतीय नहीं, बल्कि नेपाली थे, तब भारत में विरोध शुरू हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि असली अयोध्या नेपाल के बीरगंज के पास है, जबकि भारत ने एक विवादित अयोध्या का निर्माण किया है।
ओली का मानना है कि इस बयान की वजह से उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी और यही उनकी सत्ता छिनने का एक बड़ा कारण बना।
2020 का विवादित बयान याद आया
साल 2020 में जब ओली प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने दावा किया था कि भगवान राम का जन्म नेपाल में हुआ था, न कि भारत के अयोध्या में। इस बयान से न सिर्फ नेपाल बल्कि भारत की राजनीति भी गरमा गई थी।
अब इस्तीफे के बाद उनके फिर से इस बयान का जिक्र करने से दोनों देशों के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
नेपाली सेना की सुरक्षा में ओली
फिलहाल, इस्तीफे के बाद ओली शिवपुरी बैरक में नेपाली सेना की सुरक्षा में ठहरे हुए हैं। उनका कहना है कि राजनीतिक विरोधियों से उन्हें खतरा है।
नेपाल की मौजूदा हालातों और ओली के बयानों को देखते हुए, यह साफ है कि आने वाले समय में नेपाल की राजनीति और भारत-नेपाल रिश्ते और भी ज्यादा सुर्खियों में रहेंगे।