Published on: 17/05/2025
हिसार की लोकप्रिय यात्रा यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। “ट्रैवल विद जो” नाम के अपने यूट्यूब चैनल से पहचान बनाने वाली मल्होत्रा के 3.77 लाख से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं। अब वह उत्तरी भारत में कथित तौर पर संचालित पाकिस्तान से जुड़े जासूसी नेटवर्क की जांच में एक केंद्रीय व्यक्ति बन गई है।
हिसार पुलिस ने ज्योति मल्होत्रा को भारत की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों को देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उन पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 की धारा 3, 4 और 5 के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उनके कबूलनामे और गिरफ्तारी के बाद उन्हें पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है, और अब उनका मामला आगे की जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा के पास है।
पाकिस्तानी संपर्कों से जुड़ाव: एक गहरा रहस्य
हिसार सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में उप-निरीक्षक संजय द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, मल्होत्रा 2023 में एक यात्रा के दौरान नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग (पीएचसी) के एक कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ डेनिश के संपर्क में आई थीं। डेनिश ने कथित तौर पर उनके हैंडलर के रूप में काम किया, उन्हें पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों (पीआईओ) से मिलवाया, और एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म के माध्यम से उनके साथ नियमित संवाद बनाए रखा।
ज्योति मल्होत्रा: Pak के लिए Spying में Arrest हुई YouTuber
रिपोर्ट के अनुसार, मल्होत्रा ने 2023 में दो बार पाकिस्तान का दौरा किया, जहां वह अली एहवान, शाकिर और राणा शहबाज जैसे एजेंटों से मिलीं। उन्होंने संदेह से बचने के लिए अपने संपर्कों को “जट्ट रंधावा” जैसे छद्म नामों से सहेज रखा था।
आरोपों के अनुसार, वह खुफिया एजेंटों में से एक के साथ इंडोनेशिया के बाली भी गई थीं, जो महज संवाद से परे एक गहरी संलिप्तता का संकेत देता है।
हरियाणा और पंजाब में फैला जासूसी नेटवर्क
अधिकारियों ने खुलासा किया है कि मल्होत्रा हरियाणा और पंजाब में फैले एक बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा थीं। अब तक छह लोगों को, जिनमें वह भी शामिल हैं, जासूसी करने, संवेदनशील जानकारी प्रसारित करने और पाकिस्तानी हैंडलर्स को वित्तीय और रसद संबंधी सहायता प्रदान करने में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, सुरक्षा एजेंसियां अब नेटवर्क के अन्य संभावित सदस्यों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए एक व्यापक अभियान चला रही हैं। सूत्रों के अनुसार, यह नेटवर्क कई वर्षों से सक्रिय था और भारत के विभिन्न हिस्सों से महत्वपूर्ण सूचनाएं एकत्र कर रहा था।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग: जनधारणा को प्रभावित करने की रणनीति
जबकि मल्होत्रा अपने यूट्यूब चैनल “ट्रैवल विद जो” के माध्यम से खुद को एक हानिरहित यात्रा ब्लॉगर के रूप में प्रस्तुत करती थीं, उन पर सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की एक सकारात्मक छवि पेश करने का आरोप है, जिसे जांचकर्ताओं के अनुसार एक समन्वित प्रभाव अभियान के हिस्से के रूप में किया गया था।
उनके 3.77 लाख अनुयायियों के बड़े आधार ने उन्हें महत्वपूर्ण पहुंच और विश्वसनीयता दी, जिसका उनके पाकिस्तानी संपर्कों द्वारा कथित तौर पर शोषण किया गया। उनके वीडियो और पोस्ट में पाकिस्तान की संस्कृति, भोजन और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने वाली सामग्री शामिल थी, जो जांचकर्ताओं का मानना है कि एक व्यापक रणनीति का हिस्सा था।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के प्रभाव अभियान आधुनिक जासूसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं, जहां सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का उपयोग जनमत को आकार देने और विदेशी हितों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अप्रैल के हमले के बाद से बढ़ गया है, जिसमें आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी थी। कुछ बचे लोगों ने बताया कि हमलावरों ने हिंदू पुरुषों को अलग किया और उन्हें करीब से गोली मार दी।
भारत ने पाकिस्तान पर हमले के पीछे होने का आरोप लगाया है, जिसकी जिम्मेदारी “कश्मीर रेजिस्टेंस” नामक एक आतंकवादी समूह ने ली है। भारत का कहना है कि यह समूह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है, एक भंग पाकिस्तानी आतंकवादी समूह जिसे नई दिल्ली लंबे समय से पाकिस्तान समर्थित होने का आरोप लगाती रही है।
हमले के जवाब में, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसके तहत उसने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया।
मल्होत्रा की गिरफ्तारी: जासूसी से जुड़े पांच महत्वपूर्ण तथ्य
1. जासूसी के लिए गिरफ्तारी
ज्योति मल्होत्रा को हिसार पुलिस द्वारा कथित रूप से जासूसी करने और भारत की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों को देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
2. पाकिस्तानी अधिकारियों से संबंध
अधिकारियों के अनुसार, मल्होत्रा 2023 में एक यात्रा के दौरान नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ डेनिश के संपर्क में आईं थीं। डेनिश ने कथित तौर पर उनके हैंडलर के रूप में काम किया और उन्हें पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों से मिलवाया।
3. पाकिस्तान और बाली की यात्रा
रिपोर्ट के अनुसार, मल्होत्रा ने 2023 में दो बार पाकिस्तान का दौरा किया, जहां वह अली एहवान, शाकिर और राणा शहबाज जैसे एजेंटों से मिलीं। वह कथित तौर पर एक खुफिया अधिकारी के साथ इंडोनेशिया के बाली भी गईं थीं।
4. हरियाणा और पंजाब में जासूसी नेटवर्क
अधिकारियों के अनुसार, मल्होत्रा हरियाणा और पंजाब में फैले एक बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा थीं। अब तक छह लोगों को विभिन्न जासूसी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
5. सोशल मीडिया प्रभाव अभियान
मल्होत्रा पर सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की एक सकारात्मक छवि पेश करने का आरोप है, जो जांचकर्ताओं के अनुसार एक समन्वित प्रभाव अभियान का हिस्सा था। उनके 3.77 लाख अनुयायियों के बड़े आधार ने उन्हें महत्वपूर्ण पहुंच और विश्वसनीयता प्रदान की।
सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई और भविष्य की चुनौतियां
सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है और एक व्यापक जांच शुरू की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला डिजिटल युग में जासूसी के बदलते स्वरूप को उजागर करता है, जहां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नए खतरे पैदा कर रहे हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियां अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और कंटेंट क्रिएटर्स पर अधिक बारीकी से नज़र रख रही हैं, विशेष रूप से उन पर जो संवेदनशील क्षेत्रों और विषयों पर काम करते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि विदेशी खुफिया एजेंसियां अब अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का तेजी से उपयोग कर रही हैं, जिससे पारंपरिक सुरक्षा संरचनाओं के लिए नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं।
समाज पर प्रभाव और जन जागरूकता की आवश्यकता
ज्योति मल्होत्रा का मामला सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के प्रभाव और उनके द्वारा फैलाई जा सकने वाली जानकारी के बारे में समाज में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि नागरिकों को ऑनलाइन सामग्री का अधिक आलोचनात्मक मूल्यांकन करना चाहिए और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
शिक्षाविदों और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल साक्षरता और मीडिया जागरूकता अब राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का एक अभिन्न अंग होना चाहिए, विशेष रूप से युवा पीढ़ी के लिए जो सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताती है।
सरकार ने भी नागरिकों से अपील की है कि वे संदिग्ध गतिविधियों के बारे में सतर्क रहें और उनकी रिपोर्ट करें, यह स्पष्ट करते हुए कि राष्ट्रीय सुरक्षा एक सामूहिक जिम्मेदारी है।
इस प्रकरण से सीखे गए सबक
ज्योति मल्होत्रा का मामला सुरक्षा एजेंसियों और नागरिकों के लिए कई महत्वपूर्ण सबक प्रदान करता है:
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अब जासूसी और प्रभाव अभियानों के लिए महत्वपूर्ण मैदान बन गए हैं, जिन्हें सावधानीपूर्वक निगरानी की आवश्यकता है।
- उच्च प्रोफ़ाइल वाले इंफ्लुएंसर्स का उपयोग विदेशी एजेंटों द्वारा विश्वसनीयता प्राप्त करने और व्यापक दर्शकों तक पहुंचने के लिए किया जा सकता है।
- जासूसी अब केवल सैन्य या राजनयिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं है; यह जनता के बीच आम लोगों को भी लक्षित कर सकती है जिनके पास महत्वपूर्ण पहुंच या प्रभाव है।
- डिजिटल सुरक्षा और मीडिया साक्षरता में निवेश राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो गया है।
- अंतरराष्ट्रीय तनाव के समय अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से सीमा पार प्रभाव अभियानों से संबंधित।
डिजिटल युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां
ज्योति मल्होत्रा का मामला डिजिटल युग में राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों का एक स्पष्ट उदाहरण है। जैसे-जैसे सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बनते जा रहे हैं, वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नए खतरे और संभावित कमजोरियां भी पैदा कर रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियों, तकनीकी कंपनियों और आम नागरिकों को मिलकर इन चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है। इसमें बेहतर कानून, नई प्रौद्योगिकियों में निवेश, और सबसे महत्वपूर्ण, जन जागरूकता का निर्माण शामिल है।
ज्योति मल्होत्रा के मामले से मिली सीख यह है कि आज के इंटरकनेक्टेड विश्व में, राष्ट्रीय सुरक्षा अब केवल सीमाओं की रक्षा के बारे में नहीं है, बल्कि हमारे डिजिटल स्पेस की सुरक्षा के बारे में भी है, जहां युद्ध अक्सर बिना किसी गोली के लड़े जाते हैं, लेकिन परिणाम उतने ही गंभीर हो सकते हैं।
अंत में, यह मामला हमें याद दिलाता है कि डिजिटल युग में, हर नागरिक राष्ट्रीय सुरक्षा में एक भूमिका निभाता है, और हमारे ऑनलाइन विकल्प और क्रियाएं व्यापक राष्ट्रीय हितों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।