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हवाई में झामनदास वटुमल की सफलता कहानी

हवाई में झामनदास वटुमल की सफलता कहानी

दुनिया में कई ऐसी कहानियां हैं जो संघर्ष, दृढ़ संकल्प और सफलता को दर्शाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है झामनदास वटुमल की, जिन्होंने भारत के सिंध प्रांत से हवाई तक एक समृद्ध व्यवसायिक साम्राज्य खड़ा किया। यह कहानी सिर्फ एक व्यवसायी की नहीं, बल्कि एक सपने को सच करने वाले व्यक्ति की है, जिसने बाधाओं को पार कर एक नई जमीन पर पहचान बनाई।


सिंध से हवाई तक की यात्रा

1915 में, 29 वर्षीय झामनदास वटुमल और उनके साथी धरमदास ने भारत से हवाई की यात्रा की। उनका लक्ष्य था पूर्वी देशों की वस्तुओं को पश्चिमी बाजार में लाना। होनोलूलू की होटल स्ट्रीट पर उन्होंने ‘वटुमल एंड धरमदास’ नामक एक दुकान खोली। यह दुकान रेशम, हाथीदांत के शिल्प, पीतल की वस्तुएं और अन्य खूबसूरत सामान बेचने के लिए मशहूर हुई।

लेकिन किस्मत ने जल्दी ही कठिन चुनौती पेश की। 1916 में, धरमदास की हैजा से मृत्यु हो गई। झामनदास ने अपने भाई गोबिंदराम को बुलाया, ताकि वे व्यापार को संभालने में मदद कर सकें। यह निर्णय दोनों भाइयों के जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आया।


वटुमल परिवार का प्रभाव

आज वटुमल परिवार का नाम हवाई में सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने न केवल खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया, बल्कि परिधान, रियल एस्टेट, शिक्षा और कला परोपकार जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

यह परिवार हवाई में बसने वाले पहले दक्षिण एशियाई परिवारों में से एक था और अब यह वहां के सबसे प्रतिष्ठित परिवारों में गिना जाता है।


संघर्ष और परिश्रम की प्रेरणा

झामनदास का जन्म सिंध प्रांत के हैदराबाद में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उनके पिता एक ईंट ठेकेदार थे, लेकिन एक दुर्घटना के बाद उनके लकवे से पीड़ित होने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। अपनी मां के सुझाव पर, झामनदास फिलीपींस चले गए और वहां कपड़ा मिलों में काम किया।

जल्द ही, उन्होंने धरमदास के साथ मिलकर मनीला में एक व्यापार शुरू किया। हालांकि, अमेरिकी सरकार द्वारा विदेशी व्यवसायों पर प्रतिबंध लगाने के बाद, उन्हें हवाई में अपने व्यापार का विस्तार करना पड़ा।


अलोहा शर्ट का नया अध्याय

1930 के दशक में, हवाई एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरा। इसी दौरान, ‘अलोहा शर्ट’ नामक रंगीन शर्ट्स ने पर्यटकों के बीच लोकप्रियता हासिल की। वटुमल की दुकान ने इस मौके का लाभ उठाया और अपनी खुद की डिजाइन वाली शर्ट्स बेचना शुरू किया।

इन शर्ट्स को गोबिंदराम की भाभी एल्सी जेनसेन ने डिजाइन किया था। इनमें स्थानीय हवाईयन पैटर्न और रंग शामिल थे, जो पर्यटकों के बीच हिट साबित हुए।


नागरिकता पाने की लंबी लड़ाई

सफल व्यवसाय के बावजूद, वटुमल भाइयों को अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने में काफी संघर्ष करना पड़ा। 1922 में, गोबिंदराम ने अमेरिकी नागरिक एलन जेनसेन से विवाह किया, लेकिन उस समय के भेदभावपूर्ण कानूनों के कारण एलन की नागरिकता छीन ली गई।

इसके बाद, परिवार ने कानूनी लड़ाई लड़ी, और 1931 में एलन ने अपनी नागरिकता दोबारा प्राप्त की। गोबिंदराम को 1946 में और झामनदास को 1961 में अमेरिकी नागरिकता प्राप्त हुई।


परोपकार और शिक्षा के प्रति समर्पण

वटुमल परिवार ने भारत और हवाई दोनों जगह परोपकार के कार्य किए। उन्होंने हवाई और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन भी किया।

आज भी, वटुमल परिवार की नई पीढ़ी व्यवसाय, शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय है।


वटुमल परिवार की विरासत

2020 में, वटुमल परिवार ने अपनी आखिरी खुदरा दुकान बंद कर दी। हालांकि, उनकी रियल एस्टेट कंपनी ने हवाई में एक बड़ा बाजार क्षेत्र खरीदा। परिवार के सदस्य जेडी वटुमल का कहना है, “हवाई द्वीप आज और भविष्य में हमारे परिवार का केंद्र बिंदु हैं।”


सफलता की प्रेरणा

झामनदास वटुमल की कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी सपना सच किया जा सकता है। यह कहानी सिर्फ एक व्यवसायिक सफलता नहीं, बल्कि संस्कृति, पहचान और समर्पण का प्रतीक है।

हवाई के व्यापारिक और सांस्कृतिक इतिहास में वटुमल परिवार की भूमिका कभी भुलाई नहीं जा सकती। भारत से हवाई तक उनका सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

लेखक

  • नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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