
Published on: 09/09/2025
जकार्ता – इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने हालिया विरोध प्रदर्शनों के बीच बड़ा कदम उठाते हुए देश की सम्मानित वित्त मंत्री श्री मुल्यानी इंद्रावती को पद से हटा दिया है। कभी निवेशकों का सबसे भरोसेमंद चेहरा कही जाने वाली श्री मुल्यानी का कार्यकाल अब अचानक समाप्त हो गया।
निवेशकों की भरोसेमंद थीं श्री मुल्यानी
श्री मुल्यानी पिछले एक दशक से ज़्यादा समय तक निवेशकों के लिए भरोसे की प्रतीक बनी रहीं। वर्ल्ड बैंक की टॉप एग्जीक्यूटिव रह चुकीं मुल्यानी ने इंडोनेशिया की नीतियों को वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय चेहरा दिया।
पूर्व राष्ट्रपति जोकवी (जोकॉ विडोडो) के समय उन्हें बजट और करेंसी पॉलिसी पर पूरी छूट मिली थी। जब भी अर्थव्यवस्था डगमगाती दिखी, ट्रेडिंग रूम्स से यही आवाज़ उठती थी– “थैंक गॉड, श्री मुल्यानी अभी वहीं हैं।”
प्रबोवो के साथ टकराव और विवाद
जोकवी के उत्तराधिकारी प्रबोवो सुबियांतो ने उन्हें मंत्रिमंडल में बनाए रखा, ताकि निवेशकों को भरोसा मिल सके। लेकिन बीते 11 महीनों में मुल्यानी को कई बार ऐसे फैसले पेश करने पड़े, जिनसे वे खुद सहमत नहीं थीं।
प्रबोवो ने उनकी टीम द्वारा बनाई गई VAT बढ़ोतरी योजना रद्द कर दी।
इसके बाद उन्होंने सरकारी खर्चों में भारी कटौती की शुरुआत कर दी।
प्रबोवो की फिस्कल प्रोजेक्शन भी संदिग्ध मानी जा रही हैं—वे 2028 तक बैलेंस्ड बजट का दावा कर रहे हैं, जबकि खर्च योजनाएँ बहुत बड़ी हैं और टैक्स नए कम हैं।
सुनहरे दौर से विवादित फैसलों तक
अगर मुल्यानी का कार्यकाल जोकवी के साथ ही खत्म होता तो उनकी प्रतिष्ठा सुनहरी रहती। उन्होंने टैक्स सिस्टम की सफाई की, कोविड के दौरान विवादित डेब्ट मोनेटाइजेशन पॉलिसी को भी सफलतापूर्वक मैनेज किया।
हालांकि, कभी-कभी वे सख्त कदम भी उठाती थीं—जैसे जेपी मॉर्गन चेस को इंडोनेशिया की इक्विटी डाउनग्रेड करने के बाद सरकारी एजेंसियों से बैन कर देना। आलोचकों ने इसे रिसर्च पर रोक की कोशिश माना।
हालिया विरोध और इस्तीफे का दबाव
पिछले कुछ हफ्तों में बड़े पैमाने पर हुए प्रदर्शनों ने सरकार को हिला दिया। असमानता और आर्थिक नीतियों से नाराज़ प्रदर्शनकारियों ने राजधानी जकार्ता में मुल्यानी के आवास पर हमला कर दिया। हिंसा में कम से कम 10 लोगों की मौत हुई।
इस हालात में किसी बड़े चेहरे को हटाना ज़रूरी हो गया और बलि की बकरी बनीं श्री मुल्यानी।
नए वित्त मंत्री के लिए चुनौती
अब यह जिम्मेदारी पुरबाया युधि सादेवा पर होगी, जो 2020 से डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के चेयरमैन रहे हैं। उन्हें तुरंत निवेशकों का भरोसा जीतना होगा।
मुल्यानी हमेशा कहती थीं– “बिना क्रेडिबिलिटी के कोई भी मंत्री असफल होता है।” शायद यही संदेश वे अपने उत्तराधिकारी को भी देना चाहेंगी।
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