01/07/2025

चौंका देने वाला खुलासा: भारत का क्वांटम नेविगेशन सिस्टम जो दुनिया को बदल देगा!

नलिनी मिश्रा
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Published on: 29/06/2025

भारतीय क्वांटम डीप टेक स्टार्टअप QuBeats ने रक्षा मंत्रालय की प्रतिष्ठित ADITI 2.0 डिफेंस चैलेंज में बड़ी सफलता हासिल की है। कंपनी ने भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी क्वांटम पोजिशनिंग सिस्टम (QPS) विकसित करने का अवसर जीता है। इस पुरस्कार के साथ 25 करोड़ रुपये (3 मिलियन डॉलर) का अनुदान मिला है, जिससे QuBeats अगली पीढ़ी के उच्च-सटीकता वाले क्वांटम सेंसर बना सकेगा।

यह क्वांटम सेंसर GPS-जैमिंग या स्पूफिंग वाले वातावरण में भी सटीक नेविगेशन की सुविधा प्रदान करेगा – जो आधुनिक सैन्य अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षमता है। QuBeats ने अपने बयान में कहा कि वह अपनी नवीनतम क्वांटम मैग्नेटोमीटर तकनीक के साथ पारंपरिक प्रणालियों को चुनौती दे रहा है, खासकर उस युग में जहां GPS जैसे उपग्रह-आधारित नेविगेशन पर अत्यधिक निर्भरता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत, यह परियोजना भारत की रक्षा तकनीकी क्षमताओं को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि क्वांटम नेविगेशन सिस्टम न केवल सैन्य अनुप्रयोगों के लिए बल्कि आपदा प्रबंधन, खोज और बचाव अभियानों, और यहां तक कि वाणिज्यिक नौवहन के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “यह भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रमाण है और हमारे स्वदेशी रक्षा निर्माण के प्रयासों को मजबूत करता है।”

क्वांटम पोजिशनिंग सिस्टम कैसे काम करता है? यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगाकर स्थिति की जानकारी प्रदान करता है। इसके लिए अत्याधुनिक क्वांटम सेंसर का उपयोग किया जाता है जो पारंपरिक GPS सिग्नल पर निर्भर नहीं करता। इसका मतलब है कि दुश्मन द्वारा GPS सिग्नल को जाम या स्पूफ करने पर भी, भारतीय नौसेना के जहाज अपनी सटीक स्थिति जान सकेंगे।

QuBeats के सीईओ ने बताया, “हमारा लक्ष्य भारत को क्वांटम तकनीक में आत्मनिर्भर बनाना है। यह सिर्फ एक नेविगेशन सिस्टम नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने का एक साधन है।”

सरकार के “ईज़ ऑफ इनोवेशन” और “ईज़ ऑफ डूइंग रिसर्च” पहल के तहत, इस तरह के स्टार्टअप्स को अनुसंधान और विकास में तेजी लाने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है। यह पहल देश भर के नवप्रवर्तनकर्ताओं, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और संस्थानों को लंबे समय से प्रतीक्षित राहत प्रदान कर रही है।

भारत-मध्य एशिया संवाद के चौथे सत्र में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया था। इस तरह के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से भारत की तकनीकी क्षमताओं को और बढ़ावा मिलेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में यह सफलता भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी। आने वाले वर्षों में, इस तकनीक के विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयोगों की उम्मीद है, जिससे भारत की तकनीकी प्रगति और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं