हैदराबाद के चारमीनार के पास स्थित गुलजार हाउस-Gulzar House में रविवार सुबह भीषण आग लगने से 8 बच्चों सहित कुल 17 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है। तेलंगाना अग्निशमन विभाग द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, यह आग 18 मई की सुबह 6:16 बजे दो मंजिला इमारत में लगी, जिसमें अनेक परिवार रहते थे। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आग पर काबू पाने में लगभग 2 घंटे का समय लगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रत्येक मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है।
मृतकों की पहचान
अग्निशमन विभाग के अनुसार, इस दुर्घटना में मारे गए लोगों की पहचान प्रह्लाद (70 वर्ष), मुन्नी (70 वर्ष), राजेंदर मोदी (65 वर्ष), सुमित्रा (60 वर्ष), हमे (7 वर्ष), शीतल (35 वर्ष), प्रियांश (4 वर्ष), ईराज (2 वर्ष), आरुषि (3 वर्ष), ऋषभ (4 वर्ष), प्रथम (1.5 वर्ष), अनुयान (3 वर्ष), वर्षा (35 वर्ष), पंकज (36 वर्ष), रजनी (32 वर्ष), और इद्दू (4 वर्ष) के रूप में हुई है।
बचाव अभियान और चुनौतियां
हादसे की सूचना मिलते ही तेलंगाना अग्निशमन विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 11 फायर टेंडर, एक अत्याधुनिक फायर रोबोट, ब्रोंटो स्काईलिफ्ट हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म और 70 से अधिक कर्मचारियों को मौके पर भेजा। बचाव अभियान में कुल 17 फायर ऑफिसर भी शामिल थे।
अग्निशमन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमें सुबह 6:30 बजे आग लगने की सूचना मिली और हम तुरंत मौके पर पहुंचे। बचाव अभियान में कई चुनौतियां थीं, जैसे – संकरी गलियां, इमारत तक पहुंचने में कठिनाई और धुएं के कारण श्वसन में परेशानी। कई लोग बेहोश मिले, जिन्हें तुरंत विभिन्न अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया।”
रिपोर्ट के अनुसार, “अग्निशमन अधिकारियों और कर्मियों ने फंसे हुए लोगों को बचाने, आग बुझाने और इसे फैलने से रोकने के लिए कड़ी मेहनत की।” मौके पर मौजूद एक गवाह ने बताया कि जब आग लगी, तब अधिकांश लोग सो रहे थे, जिससे बचने का समय नहीं मिला।
सरकार की प्रतिक्रिया और राहत उपाय
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को फंसे लोगों को बचाने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, “घायलों को तुरंत अस्पतालों में स्थानांतरित करने और उचित चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।”
केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद पत्रकारों को बताया कि हादसे में कुछ बच्चों सहित 17 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा, “यह एक अत्यंत दुखद घटना है। हम पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं और हर संभव सहायता प्रदान करेंगे।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में कहा, “हैदराबाद, तेलंगाना में आग की त्रासदी से जान गंवाने वालों के लिए गहरा दुख है। जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है, उन्हें मेरी संवेदनाएं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।”
एआईएमआईएम के एक विधायक ने पत्रकारों को बताया कि लगभग 20 लोगों को अस्पतालों में ले जाया गया, जिनमें से कई बच्चे हैं। यशोदा अस्पताल मलकपेट में मृतकों को लाया गया, जिनमें चार बच्चे भी शामिल हैं।
हादसे के संभावित कारण और जांच
पुलिस के अनुसार, आग लगने के संभावित कारणों की जांच जारी है और क्षतिग्रस्त संपत्ति का मूल्य अभी आंका जाना बाकी है। प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि शॉर्ट सर्किट या किसी अन्य बिजली से संबंधित कारण से आग लग सकती है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि इमारत में कई परिवार रहते थे और संकरी गलियों के कारण बचाव अभियान में कठिनाई आई। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हम सुबह लगभग 6:30 बजे चीखने की आवाज सुनकर जागे। जब हमने बाहर देखा तो इमारत से घना धुआं निकल रहा था। हमने तुरंत फायर ब्रिगेड को फोन किया, लेकिन संकरी गलियों के कारण दमकल की गाड़ियों को आने में कठिनाई हुई।”
हैदराबाद में पिछले आग के हादसे
यह इस महीने हैदराबाद में हुआ दूसरा बड़ा आग का हादसा है। इससे पहले 14 मई को बेगम बाजार में एक तीन मंजिला इमारत में भी भीषण आग लग गई थी। उस हादसे में अग्निशमन कर्मियों ने सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचकर एक महिला को बचाया था। ऐसे हादसे शहर में आग सुरक्षा उपायों और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र पर गंभीर सवाल उठाते हैं।
पिछले वर्ष भी हैदराबाद में कई आग के हादसे हुए थे, जिनमें कई लोगों की जानें गईं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी इमारतों में अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी, अतिक्रमण और अवैध निर्माण ऐसी दुर्घटनाओं के मुख्य कारण हैं।
उत्तर प्रदेश में बस में आग लगने का हादसा
इसी सप्ताह 15 मई को उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज क्षेत्र में एक निजी बस में आग लगने से दो महिलाओं, दो बच्चों और एक पुरुष सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना लखनऊ के बाहरी इलाके में स्थित किसान पथ नामक प्रमुख राजमार्ग पर सुबह लगभग 5 बजे घटी थी।
पुलिस के अनुसार, बस बिहार के बेगूसराय से दिल्ली जा रही थी और उसमें लगभग 80 यात्री सवार थे। सहायक पुलिस आयुक्त (मोहनलालगंज) रजनीश वर्मा ने बताया, “प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि बस के गियरबॉक्स में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग सकती है।”
पुलिस के अनुसार, आग लगने के समय अधिकांश यात्री सो रहे थे और आग तेजी से फैल गई। बचाव कार्य में पुलिस को पता चला कि बस के आपातकालीन निकास द्वार में खराबी थी, जिससे पीछे बैठे यात्री फंस गए थे।
अग्नि सुरक्षा के महत्वपूर्ण उपाय
इस तरह की दुर्घटनाओं को देखते हुए, अग्नि सुरक्षा विशेषज्ञों ने इमारतों में आग से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं:
- अग्नि अलार्म सिस्टम: हर इमारत में कार्यशील अग्नि अलार्म लगाना अनिवार्य होना चाहिए, जो आग का पता लगाते ही सभी निवासियों को सतर्क कर सके।
- निकास मार्ग: सभी इमारतों में स्पष्ट रूप से चिह्नित आपातकालीन निकास मार्ग होने चाहिए, जो आग लगने की स्थिति में सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करें।
- अग्निशमन उपकरण: हर इमारत में अग्निशमन उपकरण, जैसे अग्निशामक यंत्र, होना अनिवार्य है और सभी निवासियों को इसके उपयोग का प्रशिक्षण होना चाहिए।
- नियमित जांच: इमारतों में बिजली के उपकरणों और तारों की नियमित जांच होनी चाहिए, क्योंकि अधिकांश आग के हादसे शॉर्ट सर्किट से होते हैं।
- जागरूकता अभियान: नागरिकों को आग से बचाव और आपातकालीन स्थिति में क्या करें, इस बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
समुदाय की प्रतिक्रिया और सहायता
हैदराबाद के नागरिकों ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त किया है और पीड़ित परिवारों की मदद के लिए आगे आए हैं। कई स्थानीय संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता पीड़ितों के परिवारों को भोजन, आश्रय और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान कर रहे हैं।
एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “यह हमारे समुदाय के लिए एक बड़ा झटका है। हम सभी पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेंगे। इस त्रासदी से हमें यह सीखने की जरूरत है कि अग्नि सुरक्षा को गंभीरता से लेना कितना महत्वपूर्ण है।”
स्थानीय अस्पतालों ने भी घायलों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था की है। यशोदा अस्पताल के एक प्रवक्ता ने बताया, “हम सभी घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा देखभाल प्रदान कर रहे हैं। हमारी विशेषज्ञ टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही है।”
विशेषज्ञों की राय
अग्नि सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पुरानी इमारतों में आग लगने की घटनाएं अक्सर सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण होती हैं। तेलंगाना फायर सेफ्टी एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, “पुरानी इमारतों में अक्सर आधुनिक अग्नि सुरक्षा उपायों का अभाव होता है। हमें राज्य सरकार से आग्रह है कि वह सभी इमारतों, विशेष रूप से पुराने शहर के क्षेत्रों में स्थित इमारतों का नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करे।”
उन्होंने आगे कहा, “इमारतों में अतिक्रमण, संकरी गलियां और अनियोजित विस्तार आग की स्थिति में बचाव कार्य में बाधा डालते हैं। नगर निगम और अग्निशमन विभाग को मिलकर इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए।”
शोक संतप्त परिवारों की कहानियां
इस त्रासदी में कई परिवारों ने अपने कई सदस्यों को खो दिया है। 35 वर्षीय शीतल और उनके 4 वर्षीय बेटे प्रियांश दोनों की इस हादसे में मौत हो गई। उनके पड़ोसी ने बताया, “शीतल एक मेहनती महिला थीं और अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाने का सपना देखती थीं। उनका पति काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ था और जब उसे यह खबर मिली, वह टूट गया।”
एक अन्य परिवार ने अपने तीन बच्चों – आरुषि (3), ऋषभ (4) और प्रथम (1.5) – को इस त्रासदी में खो दिया। उनके रिश्तेदार ने आंसुओं के साथ कहा, “यह परिवार पिछले महीने ही यहां आया था। बच्चे बहुत प्यारे थे और पूरे मोहल्ले में अपनी मासूमियत के लिए जाने जाते थे।”
सरकार से अपील और आगे की कार्रवाई
स्थानीय नागरिक समूहों ने सरकार से पुराने शहर में अग्नि सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की अपील की है। उनकी मांग है कि:
- सभी इमारतों, विशेष रूप से पुराने शहर की इमारतों का नियमित अग्नि सुरक्षा ऑडिट होना चाहिए।
- संकरी गलियों में आपातकालीन सेवाओं के लिए विशेष वाहन और उपकरण उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
- अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
- नागरिकों को अग्नि सुरक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया के बारे में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
तेलंगाना सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
हैदराबाद के चारमीनार के पास गुलजार हाउस में हुई इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर अग्नि सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया है। 8 बच्चों सहित 17 लोगों की मौत ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है और लोगों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंता पैदा की है।
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता की घोषणा की गई है, लेकिन जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके लिए यह क्षति अपूरणीय है। इस त्रासदी से सबक लेकर, सरकार और नागरिकों को मिलकर अग्नि सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।