
Published on: 25/06/2025
भारत में जन्मे इंजीनियर नोशीर शेरियारजी गोवाडिया, जिन्होंने बी-2 स्पिरिट बमबर्स की स्टील्थ प्रणोदन प्रणाली विकसित की, को गुप्त सैन्य जानकारियाँ लीक करने के आरोप में 32 साल जेल
एक भारत में जन्मे इंजीनियर, नोशीर शेरियारजी गोवाडिया, जिन्होंने अमेरिका के बी-2 स्पिरिट बमबर्स के स्टील्थ प्रणोदन सिस्टम के विकास में अहम भूमिका निभाई थी, को गुप्त सैन्य जानकारियाँ चीन और अन्य देशों को लीक करने के आरोप में 32 साल की जेल की सजा सुनाई गई। अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि उनके खुलासों ने चीन को स्टील्थ क्रूज मिसाइल तकनीक विकसित करने में मदद की।
नोशीर गोवाडिया का जन्म मुंबई (पहले बॉम्बे) में 11 अप्रैल, 1944 को हुआ। उन्होंने 1963 में अमेरिका आकर 1969 में नागरिकता ग्रहण की और नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन कॉर्पोरेशन में डिज़ाइन इंजीनियर के रूप में कार्य किया। 32 वर्षों की कैद, जो उन्हें 2011 में सुनाई गई, गुप्त रक्षा जानकारियों को लीक करने के आरोपों पर आधारित है।
चीन सरकार के अलावा, गोवाडिया ने जर्मनी, इज़राइल और स्विट्ज़रलैंड के व्यक्तियों को भी वर्गीकृत डिज़ाइन जानकारियाँ बेचीं। इन जानकारियों में विशेष रडार-शोषित सामग्रियाँ, एग्जॉस्ट कॉन्फ़िगरेशन, और इंजन हीट सिग्नेचर कम करने वाली तकनीकें शामिल थीं।
विश्लेषकों का मानना है कि चीन के H-20 लंबी दूरी वाले स्टील्थ बॉम्बर के विकास में गोवाडिया द्वारा साझा की गई इन जानकारियों का सीधा योगदान था। चीन ने H-20 का आधिकारिक खुलासा 2016 में किया, पर इसकी विकास प्रक्रिया 2000 के दशक की शुरुआत में ही तेज़ हो चुकी थी।
बी-2 बमबर्स प्रोजेक्ट में गोवाडिया की भूमिका
गोवाडिया ने बी-2 स्पिरिट बमबर्स की रडार, इन्फ्रारेड और दृश्य पहचान को कम करने वाली तकनीकों पर काम किया। इन तकनीकों में रडार अवशोषक सामग्री, गर्मी के निशान घटाने वाले एग्जॉस्ट डिज़ाइन, और विशेष थर्मल कोटिंग शामिल थी। उनके डिज़ाइन ने विमान को “उड़ता फ्रिसबी” जैसा रडार प्रोफ़ाइल प्रदान किया।
2003 से 2005 के बीच, गोवाडिया दो बार चीन गया, जहाँ उसने मिसाइल प्रणोदन डिज़ाइन की कमजोरियों पर ब्रीफिंग्स दीं। रिपोर्टों के अनुसार, उसने इन सत्रों के एवज़ में लगभग $110,000 (करीब ₹91 लाख) की रॉयल्टी प्राप्त की, जिसका उपयोग उसने माउई में एक लग्ज़री प्रॉपर्टी के बकाये अदा करने में किया।
कानूनी लड़ाई और गिरफ्तारी
अक्टूबर 2005 में गोवाडिया की गिरफ्तारी हुई, जब विधि-व्यवस्था अधिकारियों ने उनके घर पर छापा मारा और उन्हें राष्ट्रीय रक्षा सूचना लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया। नवंबर 2006 में होंolulu में मिले सरकारी दस्तावेज़ों ने आरोपों को पुष्ट किया। जनवरी 2011 में उन्हें अमेरिकी जिला न्यायालय, हवाई में 14 चार्जेस में दोषी ठहराया गया और उसी वर्ष 32 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
सुरक्षा और कूटनीतिक प्रभाव
गोवाडिया के खुलासों ने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को गहरा झटका दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि B-2 जैसे महंगे और संवेदनशील प्लेटफॉर्म को बचाने के लिए यूएसए को अतिरिक्त खर्च करना पड़ा। साथ ही, इस केस ने अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव बढ़ाया और सैन्य तकनीक के निर्यात नियंत्रण पर कड़े प्रश्न खड़े किए।
गोवाडिया वर्तमान में मॅर्शल कर रहा है और 2043 तक रिहा नहीं होगा। उनका केस यह दर्शाता है कि हाई-एंड डिफेंस तकनीक में मानव कारकों पर कितना अधिक निर्भरता है और टेक्नोलॉजी की चोरी से राष्ट्रों की सामरिक क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ता है।