
Published on: 02/09/2025
क्या आपने ध्यान दिया है कि सेब, केला, संतरा या कीवी पर छोटे-छोटे रंगीन स्टिकर लगे होते हैं? ज्यादातर लोग इन्हें सिर्फ ब्रांड/लोगो समझकर नजरअंदाज़ कर देते हैं, जबकि इन स्टिकर्स में फल की खेती, गुणवत्ता और पैकिंग से जुड़ी जरूरी जानकारी छिपी होती है. इन्हें “प्राइस लुक-अप (PLU) कोड” कहा जाता है—यानी एक यूनिक नंबर जो बताता है कि फल कैसे उगाया गया, किस तरह तैयार किया गया और किस श्रेणी का है.
स्टीकर पर लिखे नंबरों का मतलब
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक फलों के स्टिकर पर छपा PLU कोड खेती की प्रकृति दिखाता है. समझिए कैसे—
4 अंकों वाला कोड (जैसे 4011):
यह बताता है कि फल पारंपरिक/सामान्य खेती से उगाया गया है. इसमें कीटनाशक, रसायन या उर्वरकों का उपयोग हो सकता है. बाजार में ज्यादातर फल इसी श्रेणी के मिलते हैं.5 अंकों का कोड जो 9 से शुरू हो (जैसे 94011):
यह फल ऑर्गेनिक है—यानी रासायनिक कीटनाशकों/उर्वरकों के बिना प्राकृतिक तरीके से उगाया गया. ये सेहतमंद माने जाते हैं, हालांकि कीमत आमतौर पर ज्यादा होती है.5 अंकों का कोड जो 8 से शुरू हो (जैसे 84011):
यह जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) फल है—जिसका डीएनए वैज्ञानिक तरीके से बदला गया है (जैसे ज्यादा पैदावार या कीट-प्रतिरोध के लिए). ऐसे फल आमतौर पर कम ही दिखते हैं.
स्टिकर से और क्या जानकारी मिलती है?
PLU कोड के अलावा कई स्टिकर्स पर यह भी लिखा होता है कि फल कहां से आया, किस ब्रांड/कंपनी ने पैक किया, यह ऑर्गेनिक है या सामान्य, और कभी-कभी कटाई/पैकिंग की तारीख भी—ताकि आप ताजगी समझ सकें और बेहतर फैसला ले सकें.
क्या स्टिकर नकली भी हो सकते हैं?
बाजार में मिलावटी/फर्जी दावों के मामले बढ़ रहे हैं. कुछ विक्रेता नकली ऑर्गेनिक दिखाने के लिए जाली स्टिकर भी चिपका देते हैं. इसलिए सिर्फ स्टिकर पर निर्भर न रहें; खुशबू, रंग, सख्ती/नरमी, दाग-धब्बे और ताजगी जैसे प्राकृतिक संकेत भी देखें.
खरीदते समय क्या करें?
स्टिकर को बिना पढ़े मत फेंकें. कोड समझेंगे तो आप अपने और परिवार के लिए ज्यादा सुरक्षित और सूझबूझ वाले विकल्प चुन पाएंगे. जागरूक ग्राहक बनने से ही बाजार में सही उत्पादों को बढ़ावा मिलता है और सेहत सुरक्षित रहती है.
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को उपलब्ध स्रोतों से सत्यापित करें।