114 साल के फौजा सिंह की प्रेरणादायक कहानी
02/08/2025
114 साल की उम्र में भी दौड़ते रहे ‘टर्बन्ड टोरनेडो’ फौजा सिंह

114 साल की उम्र में भी दौड़ते रहे ‘टर्बन्ड टोरनेडो’ फौजा सिंह

नलिनी मिश्रा
Author Name:
Published on: 15/07/2025

फौजा सिंह का नाम सुनते ही एक ऐसे इंसान की तस्वीर सामने आती है, जिसने उम्र के सभी बंधनों को तोड़कर दुनिया को दिखा दिया कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। ‘टर्बन्ड टोरनेडो’ और ‘सिख सुपरमैन’ के नाम से मशहूर फौजा सिंह ने 89 साल की उम्र में अपना पहला मैराथन रन किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। दुखद है कि 14 जुलाई 2025 को 114 साल की उम्र में पंजाब के अपने गांव बेअस पिंड में एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया।

फौजा सिंह का प्रारंभिक जीवन

बचपन और चुनौतियां

फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के जालंधर के बेअस पिंड गांव में हुआ था। उनका बचपन चुनौतियों से भरा था:

  • 5 साल की उम्र तक वह ठीक से चल नहीं पाते थे
  • कमजोर पैरों के कारण उन्हें ‘डंडा’ के नाम से चिढ़ाया जाता था
  • स्कूल जाने का मौका नहीं मिला और वह अनपढ़ रहे
  • जवानी में खेती-किसानी का काम करते थे

फौजा सिंह ने अपने जीवन में दोनों विश्व युद्धों और भारत-पाकिस्तान विभाजन का दर्द भी देखा। वह कहते थे, “मेरी जवानी में मुझे ‘मैराथन’ शब्द का भी पता नहीं था। मैं एक किसान था और अपना ज्यादातर समय खेतों में बिताता था।”

दौड़ने की शुरुआत – दुख से निकली हिम्मत

पुनः शुरुआत

फौजा सिंह के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब:

  • 1992 में पत्नी ज्ञान कौर के निधन के बाद वे लंदन चले गए
  • 1994 में अपने पांचवें बेटे कुलदीप सिंह की मृत्यु देखने के बाद उन्होंने दौड़ना शुरू किया
  • शोक से निकलने के लिए वे रोज़ाना कई घंटे पैदल चलने लगे
  • इल्फोर्ड (लंदन) में हरमंदर सिंह से मिलकर उन्होंने मैराथन ट्रेनिंग शुरू की

“अगर मैं हरमंदर सिंह से नहीं मिला होता, तो मैं कभी मैराथन रनिंग में नहीं आता,” फौजा सिंह ने कहा था।

अभूतपूर्व उपलब्धियां

रिकॉर्ड्स और सम्मान

89 साल की उम्र में फौजा सिंह ने 2000 में अपना पहला लंदन मैराथन 6 घंटे 54 मिनट में पूरा किया। इसके बाद उन्होंने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए:

  • 100 साल की उम्र में 2011 में टोरंटो में एक ही दिन में 8 विश्व रिकॉर्ड बनाए
  • 100 मीटर को 23.14 सेकंड, 200 मीटर को 52.23 सेकंड, और 400 मीटर को 2:13.48 में पूरा किया
  • 100+ वर्ष की आयु में मैराथन पूरा करने वाले पहले व्यक्ति बने (टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन, 8 घंटे 11 मिनट)
  • 2012 लंदन ओलंपिक में टॉर्चबेयरर के रूप में शामिल हुए
  • महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से 100वें जन्मदिन पर बधाई पत्र मिला
  • डेविड बेकहम और मुहम्मद अली के साथ एडिडास के विज्ञापन अभियान में शामिल हुए

जीवनशैली और प्रेरणा

स्वस्थ जीवन के राज

फौजा सिंह एक शाकाहारी थे और उनकी जीवनशैली बहुत अनुशासित थी:

  • रोज़ सुबह 4 बजे उठना
  • नियमित रूप से व्यायाम और दौड़ना
  • सादा और पौष्टिक भोजन
  • रोज़ाना कई किलोमीटर पैदल चलना
  • बीबीसी से जून 2025 में हुई बातचीत में उन्होंने कहा था, “मैं अब भी अपने पैरों को मजबूत रखने के लिए गांव के चारों ओर टहलता हूं। इंसान को अपने शरीर की देखभाल खुद करनी पड़ती है।”

विरासत और प्रभाव

फौजा सिंह की विरासत कई तरह से जिंदा है:

  • ‘टर्बन्ड टोरनेडो’ नामक उनकी जीवनी 7 जुलाई 2011 को प्रकाशित हुई
  • PETA अभियान में शामिल होने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति बने
  • 2003 में नस्लीय सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए एलिस आइलैंड मेडल ऑफ ऑनर प्राप्त करने वाले पहले गैर-अमेरिकी बने
  • 2011 में ‘प्राइड ऑफ इंडिया’ का खिताब मिला
  • ‘सिख्स इन द सिटी’ नामक चैरिटी और रनिंग क्लब के माध्यम से कई लोगों को प्रेरित किया

101 साल की उम्र में, 2013 में हांगकांग में 10 किमी दौड़कर उन्होंने प्रतिस्पर्धी दौड़ से संन्यास लिया, लेकिन रोज़ाना चलना-फिरना जारी रखा।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को उपलब्ध स्रोतों से सत्यापित करें।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं