भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि E20 ईंधन से वाहन की वारंटी और इंश्योरेंस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार के E20 कार्यक्रम को लेकर उठ रहे सवालों पर सुरक्षा, माइलेज और कम्पैटिबिलिटी को लेकर विस्तृत स्पष्टीकरण दिया गया है—और यही कार्यक्रम किसानों की आमदनी बढ़ाने, उत्सर्जन घटाने और फ़ॉरेक्स बचाने में मदद कर रहा है।
30 अगस्त 2025 की प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या हुआ?
30 अगस्त 2025 को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेल कंपनियाँ, ऑटोमोबाइल निर्माता, डिस्टिलरीज़, ARAI और iCAT जैसी सर्टिफिकेशन एजेंसियाँ, और BIS जैसे रेगुलेटरी निकाय एक मंच पर आए (Photo-NDTV)
30 अगस्त 2025 को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेल कंपनियाँ, ऑटोमोबाइल निर्माता, डिस्टिलरीज़, ARAI और iCAT जैसी सर्टिफिकेशन एजेंसियाँ, और BIS जैसे रेगुलेटरी निकाय एक मंच पर आए। सरकार के नेतृत्व में चल रहे एथनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम ने कार्बन उत्सर्जन कम करने, कच्चे तेल के आयात को घटाने, विदेशी मुद्रा की बचत और किसानों की कमाई बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
इंडस्ट्री का स्टैंड: E20 के साथ कम्पैटिबिलिटी पर भरोसा
पैनल ने बताया कि ऑटो उद्योग लगातार सरकारी Ethanol Blended Petrol Programme (EBP) के अनुरूप वाहनों को तय ब्लेंडेड फ्यूल के साथ कम्पैटिबल बना रहा है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय महत्व का है और समय के साथ वाहनों की तकनीक भी उसी हिसाब से तैयार की जा रही है।
फिर से स्पष्टीकरण क्यों ज़रूरी पड़ा?
हालाँकि E20 को लेकर पहले भी कई बार सफाई दी जा चुकी है, फिर भी ARAI, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) और OEMs ने मिलकर एक बार फिर मुद्दों पर स्पष्ट बात रखने की ज़रूरत महसूस की, ताकि भ्रम दूर हो सके।
दो दशकों की मानक-आधारित यात्रा: सुरक्षा और टिकाऊपन पर कोई समझौता नहीं
भारत में E20 की शुरुआत पिछले दो दशकों में एक कैलिब्रेटेड, स्टैंडर्ड-बैक्ड सफर रही है। इसका मकसद आयात निर्भरता घटाना, ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाना, बायोजेनिक कंटेंट से कार्बन उत्सर्जन कम करना और किसानों की आय बढ़ाना है—वह भी वाहनों की सुरक्षा और टिकाऊपन से समझौता किए बिना।
दुनिया से सीखी सीख: ब्राज़ील से लेकर भारतीय परिस्थितियाँ
ब्राज़ील सहित कई देशों के सफल अनुभवों से सीखकर यह कार्यक्रम डिज़ाइन किया गया। भारतीय परिस्थितियों में विस्तृत अध्ययन के बाद ही इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ: किसानों को भुगतान, फ़ॉरेक्स में बचत
EBP कार्यक्रम ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ट्रांसफ़ॉर्मेटिव असर डाला है। कच्चे तेल पर खर्च होने वाला पैसा अब किसानों—“ऊर्जादाता”—तक पहुँच रहा है।
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E20 (20% ब्लेंडिंग) पर, सिर्फ इस वर्ष किसानों को लगभग ₹40,000 करोड़ का भुगतान होने का अनुमान है और लगभग ₹43,000 करोड़ की विदेशी मुद्रा बचत होगी।
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कार्यक्रम से अब तक लगभग 736 लाख मीट्रिक टन CO₂ उत्सर्जन में कमी आई—जो करीब 30 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
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पिछले 11 वर्षों में EBP के जरिए ₹1.44 लाख करोड़ फ़ॉरेक्स की बचत हुई और 245 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल का सब्स्टीट्यूशन हुआ—जो मौजूदा जियोपॉलिटिकल परिदृश्य में ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद अहम है।
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साथ ही, यह पहल किसान आत्महत्या जैसी चुनौती से निपटने में भी सहायक बताई गई है।
हाई ऑक्टेन का फ़ायदा: तेज़ पिक-अप, बेहतर परफ़ॉर्मेंस
एथनॉल का ऑक्टेन नंबर 108.5 है, जबकि पेट्रोल का 84.4। इस वजह से हाई-कम्प्रेशन इंजन ज़्यादा दक्षता से चलते हैं और तेज़ एक्सेलरेशन मिलता है—खासतौर पर शहरी ड्राइविंग में। इसकी हायर हीट ऑफ़ वेपराइज़ेशन इनटेक टेम्प्रेचर को कम करती है, जिससे वॉल्यूमेट्रिक एफिशिएंसी बढ़ती है।
RON में सुधार: BS-VI से 91, E20 के साथ 95
भारत ने पेट्रोल क्वालिटी को RON 88 से RON 91 (BS-VI) तक बढ़ाया है। E20 ब्लेंडिंग के साथ यह RON 95 तक पहुँची, जिससे एंटी-नॉकिंग और परफ़ॉर्मेंस दोनों बेहतर हुए हैं।
माइलेज का सच: बड़ा नुकसान नहीं, ड्राइविंग हैबिट ज़्यादा मायने रखती है
ड्रामेटिक माइलेज लॉस की बातें भ्रमित करती हैं। असल दुनिया में माइलेज पर ड्राइविंग स्टाइल, मेंटेनेंस, वाहन की उम्र, टायर कंडीशन, AC लोड जैसे कारक ज़्यादा असर डालते हैं। पुराने वाहनों पर हुए टेस्ट में सिर्फ मामूली गिरावट दर्ज की गई।
‘वाटर इन्ग्रेस’ वाली अफ़वाहें: कोई वैज्ञानिक आधार नहीं
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में एथनॉल-ब्लेंडेड पेट्रोल से फ्यूल टैंक में पानी घुसने जैसी कथित एडवाइज़रीज़ का ज़िक्र था। स्पष्ट किया गया कि इन दावों का न तो कोई वैज्ञानिक आधार है, न ही OMCs की ओर से कोई ऐसी एडवाइज़री जारी हुई। बाद में ऐसे पोस्ट हटा दिए गए। हाल में ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (AIPDA) और तीनों OMCs ने बताया कि ग्राहकों से ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली।
सरकार और सभी स्टेकहोल्डर्स ने दोहराया कि E20 से वाहन की वारंटी और इंश्योरेंस वैध रहते हैं, और कार्यक्रम मानकों के अनुरूप, सुरक्षित और टिकाऊ तरीके से आगे बढ़ रहा है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को उपलब्ध स्रोतों से सत्यापित करें।