16/06/2025

AI वोकल रिमूवर का क्रांतिकारी संगीत बदलाव

नलिनी मिश्रा
Author Name:
Published on: 15/06/2025

आज के डिजिटल युग में तकनीकी नवाचार लगातार हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रहे हैं। संगीत उद्योग भी इससे अछूता नहीं है, और हाल ही में AI वोकल रिमूवर तकनीक ने इस क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। यह लेख इस आधुनिक तकनीक की विस्तृत जानकारी, इसके लाभ, चुनौतियां और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालेगा।

वर्ष 2025 में AI वोकल रिमूवर तकनीक की खोज गूगल ट्रेंड्स पर 9,800% की अविश्वसनीय वृद्धि दर्ज कर रही है, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता का स्पष्ट संकेत है। यह तकनीक मूल रूप से किसी भी ऑडियो ट्रैक से मानव आवाज़ को अलग करने की क्षमता रखती है, जिससे संगीत और वोकल को अलग-अलग लेयर्स में विभाजित किया जा सकता है। इस तकनीकी चमत्कार के पीछे मशीन लर्निंग और डीप न्यूरल नेटवर्क का जटिल समन्वय है।

AI वोकल रिमूवर तकनीक

AI वोकल रिमूवर तकनीक

दिल्ली के प्रसिद्ध संगीत निर्माता राहुल शर्मा कहते हैं, “AI वोकल रिमूवर ने हमारे काम करने के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन ला दिया है। पहले जहां हमें गाने के अलग-अलग ट्रैक्स की जरूरत होती थी, वहीं अब हम किसी भी गाने से वोकल्स को आसानी से निकाल सकते हैं, जिससे रीमिक्स बनाना या उसे फिर से प्रोड्यूस करना बहुत आसान हो गया है।”

इस तकनीक का व्यापक प्रभाव संगीत उद्योग के विभिन्न पहलुओं पर पड़ा है। संगीत प्रोड्यूसर्स, डीजे, कवर आर्टिस्ट, और यहां तक कि आम संगीत प्रेमी भी इस तकनीक का लाभ उठा रहे हैं। मुंबई की एक युवा गायिका प्रिया वर्मा बताती हैं, “मैंने अपने यूट्यूब चैनल के लिए कई कवर गाने बनाए हैं, और AI वोकल रिमूवर ने मुझे मूल गानों के इंस्ट्रूमेंटल वर्जन तैयार करने में मदद की है, जिससे मैं अपनी आवाज़ के साथ प्रयोग कर पाती हूं।”

भारतीय संगीत बाजार में इस तकनीक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, पिछले एक साल में भारत में AI आधारित संगीत टूल्स के उपयोग में 350% की वृद्धि हुई है, जिसमें वोकल रिमूवर टूल्स सबसे आगे हैं। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे महानगरों में यह तकनीक विशेष रूप से लोकप्रिय है, जहां संगीत प्रोडक्शन स्टूडियो इसे अपने दैनिक कार्यों में शामिल कर रहे हैं।

हालांकि, हर तकनीकी नवाचार की तरह, AI वोकल रिमूवर भी कुछ महत्वपूर्ण नैतिक और कानूनी प्रश्न उठाता है। सबसे बड़ा मुद्दा कॉपीराइट उल्लंघन से संबंधित है। जब कोई व्यक्ति किसी गाने से वोकल निकालकर उसे अपने तरीके से इस्तेमाल करता है, तो क्या यह मूल कलाकार के अधिकारों का उल्लंघन है? इस प्रश्न पर अभी भी विभिन्न देशों में बहस जारी है।

संगीत उद्योग के विशेषज्ञ अनिल कपूर कहते हैं, “हमें यह समझना होगा कि तकनीक स्वयं में न तो अच्छी है और न ही बुरी। यह इसके उपयोग पर निर्भर करता है। AI वोकल रिमूवर एक शक्तिशाली टूल है जिसका उपयोग रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है, लेकिन साथ ही इसका दुरुपयोग भी संभव है।”

भारतीय कॉपीराइट कानून के तहत, किसी भी संगीत रचना का अनधिकृत उपयोग या परिवर्तन कानूनी मुद्दों को जन्म दे सकता है। हालांकि, निजी उपयोग के लिए या शैक्षिक उद्देश्यों के लिए इस तकनीक का उपयोग आमतौर पर स्वीकार्य माना जाता है। फिर भी, व्यावसायिक उपयोग के मामले में, उचित लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है।

एक अन्य दिलचस्प पहलू इस तकनीक का कराओके उद्योग पर प्रभाव है। भारत में कराओके बार और लाउंज तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, और AI वोकल रिमूवर ने इस व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है। अब व्यवसायिक स्वामी किसी भी गाने का इंस्ट्रूमेंटल वर्जन तैयार कर सकते हैं, जिससे उनके ग्राहकों के लिए विकल्प बढ़ गए हैं।

चेन्नई के एक कराओके बार के मालिक सुरेश रामन बताते हैं, “पहले हमें सीमित संख्या में कराओके ट्रैक्स पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब हम अपने ग्राहकों की मांग के अनुसार किसी भी गाने का कराओके वर्जन तैयार कर सकते हैं। इससे हमारा व्यवसाय 40% तक बढ़ गया है।”

AI वोकल रिमूवर तकनीक का एक अन्य महत्वपूर्ण उपयोग संगीत शिक्षा के क्षेत्र में है। संगीत विद्यार्थी अब किसी भी गाने के अलग-अलग हिस्सों को सुनकर उन्हें बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। इससे उन्हें विभिन्न वाद्य यंत्रों की भूमिका, हार्मनी, और संगीत संरचना को समझने में मदद मिलती है।

कोलकाता के प्रसिद्ध संगीत शिक्षक प्रणब मुखर्जी कहते हैं, “मैं अपने छात्रों को किसी गाने के इंस्ट्रूमेंटल भाग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं, और AI वोकल रिमूवर इसमें बहुत मददगार साबित हुआ है। यह एक प्रकार का रेवर्स इंजीनियरिंग है जो उन्हें संगीत की बारीकियों को समझने में मदद करता है।”

AI वोकल रिमूवर के शीर्ष भारतीय स्टार्टअप्स ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। बेंगलुरु स्थित ‘SoundSplit’ और मुंबई आधारित ‘VoxClear’ जैसे स्टार्टअप्स ने अपने उन्नत एल्गोरिदम के साथ वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। इन कंपनियों ने भारतीय संगीत की विविधता और जटिलता को ध्यान में रखते हुए अपने प्रोडक्ट्स विकसित किए हैं, जो विशेष रूप से भारतीय क्लासिकल, फिल्मी और लोक संगीत के लिए अनुकूलित हैं।

SoundSplit के संस्थापक विवेक मेहता बताते हैं, “हमने अपने एल्गोरिदम को विशेष रूप से भारतीय संगीत के लिए प्रशिक्षित किया है, जहां कई वाद्य यंत्र एक साथ बजते हैं और वोकल अक्सर जटिल होते हैं। हमारा AI मॉडल इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम है और 95% से अधिक सटीकता के साथ वोकल्स को अलग कर सकता है।”

इस तकनीक के भविष्य की बात करें तो विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल शुरुआत है। जैसे-जैसे AI अधिक परिष्कृत होता जाएगा, वोकल रिमूवल की प्रक्रिया और भी सटीक और प्रभावी होती जाएगी। इसके अलावा, आने वाले समय में यह तकनीक न केवल वोकल्स को अलग करेगी बल्कि विभिन्न वाद्य यंत्रों को भी अलग-अलग करने में सक्षम होगी।

हैदराबाद के AI रिसर्चर डॉ. सुनील रेड्डी का कहना है, “अगले पांच वर्षों में हम ऐसे AI मॉडल देखेंगे जो किसी भी संगीत को उसके मूल घटकों में विभाजित कर सकेंगे – ड्रम, बास, गिटार, कीबोर्ड, और वोकल्स। यह संगीत निर्माण और शिक्षा के क्षेत्र में एक और क्रांति लाएगा।”

इस तकनीक का एक अन्य संभावित विकास AI-संचालित म्यूजिक रीकंपोजिशन है। भविष्य में, उपयोगकर्ता न केवल वोकल्स को अलग कर सकेंगे बल्कि AI के माध्यम से पूरे संगीत की पुनर्रचना कर सकेंगे, जिससे वे अपनी पसंद के अनुसार नए संगीत निर्माण में सक्षम होंगे।

हालांकि, इस विकास के साथ चिंताएं भी बढ़ रही हैं। कई संगीतकार और गायक इस बात से चिंतित हैं कि AI तकनीक उनकी रचनात्मकता और बौद्धिक संपदा के मूल्य को कम कर सकती है। यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी गाने को आसानी से विघटित और पुनर्निर्मित कर सकता है, तो मूल निर्माताओं के अधिकार और आर्थिक हित कैसे सुरक्षित रहेंगे?

इन चिंताओं को संबोधित करने के लिए, कई तकनीकी कंपनियां और संगीत संगठन मिलकर नए मानदंड और नियम विकसित कर रहे हैं। भारतीय संगीत उद्योग संघ (IMIA) ने हाल ही में AI तकनीक के उचित उपयोग के लिए एक दिशानिर्देश जारी किया है, जिसमें कॉपीराइट संरक्षण और उचित मुआवजे पर जोर दिया गया है।

IMIA के अध्यक्ष राजीव सिन्हा कहते हैं, “हमारा उद्देश्य तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करना और साथ ही कलाकारों के अधिकारों की रक्षा करना है। हम मानते हैं कि AI वोकल रिमूवर जैसी तकनीकें संगीत उद्योग को समृद्ध कर सकती हैं, बशर्ते इनका उपयोग नैतिक और कानूनी तरीके से किया जाए।”

इस तकनीक का एक अन्य दिलचस्प पहलू इसकी वहनीयता है। पहले, वोकल सेपरेशन जैसी तकनीकें केवल महंगे प्रोफेशनल स्टूडियो में उपलब्ध थीं, लेकिन अब बजट-फ्रेंडली और यहां तक कि फ्री AI वोकल रिमूवर टूल्स भी उपलब्ध हैं। यह लोकतंत्रीकरण संगीत निर्माण को अधिक सुलभ बना रहा है।

जयपुर के एक स्वतंत्र संगीतकार आदित्य सिंह बताते हैं, “मैं अपने घर में एक छोटा सा होम स्टूडियो चलाता हूं, और AI वोकल रिमूवर ने मुझे प्रोफेशनल क्वालिटी के काम करने में मदद की है। पहले ऐसी सुविधाएं केवल बड़े स्टूडियो में ही संभव थीं।”

इस तकनीक के सामाजिक प्रभाव भी उल्लेखनीय हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ‘नो वोकल चैलेंज’ और ‘AI रीमिक्स’ जैसे ट्रेंड्स तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जहां लोग अपने पसंदीदा गानों के इंस्ट्रूमेंटल वर्जन बनाकर उन पर अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। इससे संगीत प्रेमियों के बीच एक नया समुदाय विकसित हुआ है।

अहमदाबाद की एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर नेहा पटेल कहती हैं, “मेरे इंस्टाग्राम पर ‘वीकली वोकल रिमूव चैलेंज’ बहुत लोकप्रिय है, जहां मैं हर हफ्ते एक नया गाना चुनती हूं और लोग उसका अपना वर्जन बनाकर शेयर करते हैं। इससे न केवल मनोरंजन होता है बल्कि लोगों को अपनी छिपी हुई प्रतिभा दिखाने का मौका भी मिलता है।”

शिक्षा के क्षेत्र में, कई संगीत विश्वविद्यालय और संस्थान अब अपने पाठ्यक्रम में AI वोकल रिमूवर और संबंधित तकनीकों को शामिल कर रहे हैं। पुणे के प्रतिष्ठित संगीत विश्वविद्यालय ने हाल ही में ‘AI इन म्यूजिक प्रोडक्शन’ नामक एक नया पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें वोकल सेपरेशन तकनीक का विशेष महत्व है।

विश्वविद्यालय के डीन प्रो. संजय शर्मा कहते हैं, “हमारा उद्देश्य ऐसे संगीतकार और प्रोड्यूसर तैयार करना है जो पारंपरिक कौशल और आधुनिक तकनीक दोनों में माहिर हों। AI वोकल रिमूवर जैसी तकनीकें उन्हें अधिक प्रयोगात्मक और नवोन्मेषी बनने में मदद करेंगी।”

अंत में, यह कहना उचित होगा कि AI वोकल रिमूवर तकनीक ने संगीत उद्योग में एक नया अध्याय खोल दिया है। यह उन अनगिनत तकनीकी नवाचारों में से एक है जो कला और विज्ञान के बीच की खाई को पाटने में मदद कर रहे हैं। जैसे-जैसे यह तकनीक विकसित होगी, हम संगीत निर्माण, संपादन और अनुभव के नए तरीके देखेंगे।

जैसा कि हमने इस लेख में देखा, AI वोकल रिमूवर के लाभ और संभावनाएं अपार हैं, लेकिन इसके साथ ही कुछ चुनौतियां भी हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है। सही दिशा-निर्देशों और नियमों के साथ, यह तकनीक भारतीय और वैश्विक संगीत परिदृश्य को समृद्ध कर सकती है, और संगीत के प्रति हमारे अनुभव को और अधिक आनंददायक बना सकती है।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं