
Published on: 14/09/2025
संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक नई रिपोर्ट ने नॉर्थ कोरिया-North Korea की डरावनी हकीकत को उजागर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, किम जोंग उन की तानाशाही सरकार न केवल अपने नागरिकों पर हाई-टेक निगरानी कर रही है, बल्कि विदेशी फिल्में और टीवी शो साझा करने वालों को सार्वजनिक रूप से फांसी तक दी जा रही है।
कड़ी निगरानी और मौत की सजा
16 पन्नों की यह रिपोर्ट शुक्रवार को यूएन ह्यूमन राइट्स ऑफिस ने जारी की। इसमें कहा गया कि आज की दुनिया में कोई भी आबादी इतनी कठोर पाबंदियों में नहीं जी रही, जितनी नॉर्थ कोरिया की 2.6 करोड़ जनता।
रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया में मौत की सजा अब और ज्यादा कानूनी रूप से मान्य और लागू की जा रही है। यह निष्कर्ष 2014 के बाद देश से भाग निकले 314 पीड़ितों और गवाहों के इंटरव्यू के आधार पर निकाला गया है।
विदेशी कंटेंट पर पाबंदी
UN रिपोर्ट बताती है कि नॉर्थ कोरिया में विदेशी मीडिया—खासतौर पर साउथ कोरियन ड्रामा, म्यूजिक और फिल्में—शेयर करना अब मौत की सजा तक दिला सकता है। सरकार ने 2018 से ऐसे कंटेंट पर और कड़ा शिकंजा कसना शुरू किया और 2020 के बाद हालात और खराब हो गए।
लोगों में डर फैलाने और उन्हें सबक सिखाने के लिए सरकार सार्वजनिक ट्रायल और फांसी का सहारा ले रही है।
तकनीक से बढ़ा दमन
कम्युनिस्ट नॉर्थ कोरिया में मीडिया पूरी तरह सरकार के कंट्रोल में है। अब नई टेक्नोलॉजी की मदद से लोगों की निगरानी और भी मजबूत की गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि नागरिकों को साप्ताहिक आत्म-आलोचना सेशन में हिस्सा लेना अनिवार्य है, जिसका मकसद सामूहिक निगरानी और विचारधारा थोपना है।
एक फरार नागरिक ने शोधकर्ताओं से कहा—
“ये निगरानी लोगों की आंख और कान बंद करने के लिए थी, ताकि कोई असंतोष या शिकायत सामने न आए।”
घर-घर छापेमारी और इंटरनेट पर पाबंदी
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने कंप्यूटर, रेडियो, टीवी और घरों की अचानक तलाशी लेना आम कर दिया है। किसी वारंट की जरूरत नहीं होती। सरकार इसे “एंटी-सोशलिस्ट व्यवहार” रोकने और “राष्ट्रीय सुरक्षा” बचाने का कारण बताती है।
सार्वजनिक इंटरनेट तक पहुंच लगभग ना के बराबर है। देश में केवल एक कंट्रोल्ड नेशनल इंट्रानेट है, जिसका इस्तेमाल मुख्यतः सरकारी अधिकारी और रिसर्च संस्थान करते हैं।
नए कानून और आज़ादी पर खतरा
रिपोर्ट में कहा गया कि नॉर्थ कोरिया के नए कानून विदेशी जानकारी तक पहुंच को अपराध मानते हैं। किसी भी “दुश्मन देश” की फिल्म, गाना या किताब रखने पर कठोर सजा, यहां तक कि मौत की सजा तक दी जा सकती है।
यूएन का कहना है कि यह सब नागरिकों की अभिव्यक्ति की आज़ादी और सूचना तक पहुंच के अधिकार का गंभीर उल्लंघन है।
लोग फिर भी देख रहे हैं विदेशी कंटेंट
खतरे और बढ़ती सजा के बावजूद, रिपोर्ट बताती है कि नॉर्थ कोरिया में लोग अभी भी गुपचुप तरीके से विदेशी फिल्में और संगीत देख-सुन रहे हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को उपलब्ध स्रोतों से सत्यापित करें।