
Published on: 12/09/2025
काठमांडू: नेपाल की राजनीति एक बार फिर बड़े भूचाल की ओर बढ़ रही है। हाल ही में केपी शर्मा ओली की सरकार गिरने के बाद से ही देश में राजनीतिक अस्थिरता और युवाओं के विरोध-प्रदर्शन लगातार तेज हो गए हैं। अब खबर है कि नेपाल के छह पूर्व प्रधानमंत्रियों को जबरन सक्रिय राजनीति से बाहर करने की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि यह कदम देश को नए नेतृत्व और नई सोच की ओर ले जाने के लिए उठाया जा रहा है।
पुराने नेताओं पर तलवार लटक रही
नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल मौजूदा हालात पर नजर रखे हुए हैं। जेन-जेड पीढ़ी के प्रदर्शनों ने सरकार और राजनीतिक दलों दोनों पर दबाव बढ़ा दिया है। इसी कड़ी में अब नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, माओवादी केंद्र और यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी जैसे दलों की दूसरी पीढ़ी के नेताओं ने एक बड़ा प्रस्ताव रखा है। उनका कहना है कि दशकों से सत्ता पर काबिज नेताओं को रिटायर करना ही राजनीतिक सुधार का पहला कदम होगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, छह पूर्व प्रधानमंत्रियों— केपी शर्मा ओली, शेर बहादुर देउबा, पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’, माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल और बाबूराम भट्टाराई—के खिलाफ ही यह बड़ा कदम उठाया जा सकता है। इन नेताओं पर आरोप है कि देश की राजनीति लंबे समय से इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती रही है, और अब नए नेतृत्व को मौका मिलना चाहिए।
संयुक्त बयान की तैयारी
जानकारी के अनुसार, राजनीतिक दलों में आंतरिक चर्चा तेज है और छह पूर्व प्रधानमंत्रियों से दबाव में एक संयुक्त बयान जारी कराने की कोशिश चल रही है। इस बयान में उनसे सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करने को कहा जाएगा। वामपंथी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि बातचीत जारी है और सभी छह नेताओं को यह साफ संदेश दिया जाएगा कि अब देश को नई दिशा देने के लिए वे किनारे हटें।
क्यों बढ़ा युवाओं का गुस्सा?
नेपाल में लगातार हो रहे प्रदर्शनों के पीछे युवाओं की नाराज़गी अहम कारण है। जेन-जेड पीढ़ी का कहना है कि पुराने नेता देश को नई दिशा देने में विफल रहे हैं। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता ने युवाओं को सड़कों पर ला खड़ा किया है। उनका मानना है कि अगर पुराने नेता राजनीति से बाहर हो जाते हैं तो नए चेहरों और नई नीतियों के जरिए स्थिरता लाई जा सकती है।
अंतरिम सरकार का रास्ता साफ
इसी बीच, नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने की संभावना सबसे प्रबल है। राष्ट्रपति कार्यालय शीतल निवास ने कर्मचारियों को उनके स्वागत की तैयारी शुरू करने का निर्देश भी दे दिया है।
सुशीला कार्की, जो नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं, एक प्रतिष्ठित न्यायविद मानी जाती हैं। माना जा रहा है कि उनका प्रधानमंत्री बनना राजनीतिक अस्थिरता के बीच संतुलन बनाने और जनता में विश्वास बहाल करने में मददगार होगा। गृह मंत्रालय को भी इस दिशा में आवश्यक व्यवस्थाएं शुरू करने का आदेश दिया गया है।
नए युग की शुरुआत?
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर छह पूर्व प्रधानमंत्रियों को सचमुच राजनीति से जबरन रिटायर कर दिया जाता है, तो यह नेपाल की राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव होगा। दशकों से चले आ रहे पुराने नेतृत्व के दौर का अंत होगा और युवा नेतृत्व को अपनी नीतियों और दृष्टिकोण से देश को नई दिशा देने का मौका मिलेगा।
फिलहाल सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ओली, प्रचंड, देउबा, माधव नेपाल, खनल और भट्टाराई सचमुच राजनीति से संन्यास की घोषणा करेंगे या फिर यह सिर्फ दबाव की रणनीति साबित होगी। लेकिन इतना तय है कि नेपाल की राजनीति इस समय एक बड़े मोड़ पर खड़ी है और आने वाले दिनों में घटनाक्रम बेहद दिलचस्प हो सकता है।