मराठा आरक्षण: मनोज जरांगे पाटिल ने अनशन खत्म किया
29/09/2025
“अब पूरे महाराष्ट्र को आरक्षण का हक़!”—जरांगे का अनशन खत्म, सरकार ने 8 में से 6 मांगें मानी

“अब पूरे महाराष्ट्र को आरक्षण का हक़!”—जरांगे का अनशन खत्म, सरकार ने 8 में से 6 मांगें मानी

नलिनी मिश्रा
Author Name:
Published on: 03/09/2025

अनशन खत्म, भावुक हुए जरांगे

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार को अपना अनशन समाप्त कर दिया। सरकार ने उनकी 8 में से 6 मांगें मानते हुए अध्यादेश जारी किया, जिसके बाद जरांगे मंच पर भावुक होकर रो पड़े। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई आसान नहीं थी, लेकिन मराठा समाज की एकजुटता ने ऐतिहासिक जीत दिलाई।

उपवास के पांच दिन से अधिक समय तक जरांगे सरकार पर दबाव बनाए हुए थे। उनका कहना था कि ठोस फैसले के बिना वे पीछे नहीं हटेंगे। आखिरी पलों में उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आकर उन्हें जूस पिलाने की मांग भी दोहराई—“आए तो दुश्मनी खत्म, नहीं आए तो वैर बना रहेगा।” अंततः मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल की मौजूदगी में उन्होंने नींबू पानी पीकर उपवास तोड़ा।

“विजय की घोषणा”

मंच से जरांगे ने कहा, “हमने पहले ही 2 करोड़ मराठों को आरक्षण दिलाया है। अब सातारा गज़ट के अनुसार पश्चिम महाराष्ट्र के मराठे भी आरक्षण के दायरे में आएंगे। मैंने कभी महाराष्ट्र को हिस्सों में बाँटकर नहीं देखा—पूरा महाराष्ट्र मेरा है। समाज का साथ मिला, तभी यह जीत संभव हुई।”

सरकार का अध्यादेश: 5 अहम बिंदु जो हर मराठा को जानना चाहिए

  1. मराठवाड़ा का विशेष ऐतिहासिक महत्व
    मराठवाड़ा की सामाजिक–भौगोलिक–सांस्कृतिक पृष्ठभूमि अलग रही है। सातवाहन, चालुक्य, यादव जैसे राजवंशों का शासन, अजंठा–वेरूळ गुफाएं और नांदेड गुरुद्वारा इसकी पहचान हैं।

  2. संत परंपरा और धार्मिक विरासत
    यह भूमि संत नामदेव, ज्ञानेश्वर, एकनाथ, मुक्ताबाई की कर्मभूमि रही है। यहां सहिष्णु परंपरा सदियों से जीवित है, इसलिए इसे “संतों की भूमि” भी कहा जाता है।

  3. निजाम काल और कुणबी नोंदी
    निजाम शासन में मराठवाड़ा की प्रशासनिक व्यवस्था अलग थी। कुणबी जाति को यहां “कापू” कहा जाता था और मुख्य व्यवसाय खेती था। अब इन नोंदियों को आरक्षण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण आधार माना जाएगा।

  4. शिंदे समिति की सिफारिशें
    न्यायमूर्ति संदीप शिंदे समिति ने मराठवाड़ा और अन्य क्षेत्रों से कुणबी–मराठा समाज के रिकॉर्ड संकलित किए। सरकार ने सिफारिशें स्वीकार कर नियमों में सुधार किए हैं, ताकि जाति प्रमाणपत्र बनवाने की प्रक्रिया आसान हो।

  5. हैदराबाद/सातारा/बॉम्बे गज़ट का लागू होना
    मराठवाड़ा के साथ सातारा और बॉम्बे गज़ट को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इससे कुणबी–मराठा प्रमाणपत्र बनना सरल होगा और आरक्षण का दायरा और व्यापक होगा।

मराठा समाज में खुशी—लेकिन चेतावनी भी

फैसले के बाद आंदोलन स्थल पर जश्न का माहौल रहा। भीड़ ने नारेबाज़ी की और समर्थन जताया। साथ ही जरांगे ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर आगे किसी तरह की गड़बड़ी हुई तो वे फिर से आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर “गुलाल” की पुनरावृत्ति हुई, तो वे विखे पाटिल के घर जाकर सवाल करेंगे।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को उपलब्ध स्रोतों से सत्यापित करें।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञतानलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञतानलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं