
Published on: 15/08/2025
वैश्विक राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का में मिलने वाले हैं। इस महत्वपूर्ण बैठक की पृष्ठभूमि में छिपा है एक ऐतिहासिक कनेक्शन – वह अलास्का जो कभी रूस का था और जिसे 1867 में अमेरिका को बेच दिया गया था।
ट्रम्प की बड़ी चेतावनी: “अगर बात न बनी तो मैं चला जाऊंगा”
अलास्का में होने वाली पुतिन-ट्रम्प मीटिंग से पहले ही ट्रम्प ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है, “मुझे उम्मीद है कि हमारी बातचीत अच्छी तरह से चलेगी। लेकिन अगर बात नहीं बनी, तो मैं बैठक छोड़कर चला जाऊंगा।” यह चेतावनी दर्शाती है कि वे इस बैठक को गंभीरता से ले रहे हैं और यूक्रेन संकट के समाधान के लिए एक ठोस परिणाम चाहते हैं।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, ट्रम्प का उद्देश्य पुतिन को वार्ता के लिए तैयार करना है, न कि “यूक्रेन के लिए बातचीत” करना। इस बैठक के बाद, अगर परिणाम सकारात्मक रहा तो यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ त्रिपक्षीय बातचीत हो सकती है।
अलास्का: रूस-अमेरिका के रिश्तों का ऐतिहासिक केंद्र

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अलास्का में ट्रम्प-पुतिन मीटिंग का स्थान चुनना कोई संयोग नहीं है। यह वही अलास्का है जिसे रूस ने 158 साल पहले अमेरिका को 7.2 मिलियन डॉलर में बेच दिया था। लेकिन रूस ने ऐसा क्यों किया?
1800 के दशक में, रूस अलास्का को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में असमर्थ था। क्रीमियन युद्ध (1853-1856) में हार के बाद, रूस की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। अलास्का रूसी राजधानी से बहुत दूर था और प्रशासनिक चुनौतियां बढ़ रही थीं। साथ ही, ब्रिटेन (जो उस समय कनाडा पर नियंत्रण रखता था) से अलास्का पर कब्जा किए जाने का खतरा भी था।
इन सभी कारणों से, जार अलेक्जेंडर II ने अमेरिका को अलास्का बेचने का निर्णय लिया। एक ऐसा निर्णय जिसने आज से 158 साल बाद रूस-अमेरिका संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है।
अलास्का मीटिंग का समय और संभावित परिणाम
ट्रम्प-पुतिन मीटिंग का टाइम 15 अगस्त 2025 को निर्धारित किया गया है। यह बैठक अलास्का के एंकरेज शहर में जॉइंट बेस एलमेंडोर्फ-रिचर्डसन में होगी। भारतीय समयानुसार, यह बैठक देर रात होगी।
इस महत्वपूर्ण बैठक से क्या परिणाम निकलेंगे, यह देखना बाकी है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के अनुसार, निम्न परिणाम संभावित हैं:
- यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम की घोषणा
- रूस-यूक्रेन शांति वार्ता के लिए रोडमैप
- अमेरिका-रूस द्विपक्षीय संबंधों में सुधार
- आर्थिक प्रतिबंधों पर पुनर्विचार
क्रेमलिन के प्रवक्ता यूरी उशाकोव के अनुसार, अलास्का का चुनाव “तार्किक” है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच भौगोलिक निकटता का प्रतीक है, जहां दोनों देश बेरिंग जलसंधि द्वारा अलग किए गए पड़ोसी हैं।
इतिहास का चक्र और वर्तमान राजनीति
इतिहास कभी-कभी अद्भुत चक्र पूरा करता है। अलास्का, जिसे कभी “सीवर्ड की मूर्खता” कहा जाता था (विलियम सीवर्ड, जिन्होंने अलास्का खरीदने का सौदा किया था, के नाम पर), आज वैश्विक कूटनीति का केंद्र बन गया है।
जब रूस ने अलास्का बेचा, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन वही स्थान रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे गंभीर संघर्ष के समाधान का केंद्र बनेगा। इतिहास और वर्तमान का यह संगम आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नई दिशा दे सकता है।
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