
Published on: 09/07/2025
सिनेमा हमेशा से समाज के ऐसे विषयों को छूने का साहस करता आया है, जिन पर बात करने से अक्सर लोग हिचकिचाते हैं। ऐसा ही एक विषय है परिपक्व महिला और युवा पुरुष के बीच प्रेम संबंध, जिसे कई फिल्मों में बड़ी संवेदनशीलता के साथ दिखाया गया है। आइए जानते हैं ऐसी ही 5 प्रमुख फिल्मों के बारे में, जिन्होंने इस विषय को अपने-अपने तरीके से परदे पर उतारा है।
1. द रीडर (2008)
केट विंसलेट और डेविड क्रॉस अभिनीत यह फिल्म एक 36 वर्षीय महिला और 15 वर्षीय लड़के के बीच के संबंध की कहानी है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जर्मनी में बसी इस कहानी में, हन्ना श्मिट्ज़ (केट विंसलेट) और माइकल बर्ग (डेविड क्रॉस) के बीच का रिश्ता दर्शकों को झकझोर कर रख देता है। फिल्म न केवल प्रेम और यौन आकर्षण की जटिलताओं को दिखाती है, बल्कि युद्ध अपराधों और मानवीय नैतिकता जैसे गंभीर विषयों को भी छूती है।
2. द ग्रैजुएट (1967)
हॉलीवुड की इस क्लासिक फिल्म में एन बैनक्रॉफ्ट और डस्टिन हॉफमैन मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म एक हाल ही में ग्रैजुएट हुए युवा बेंजामिन ब्रैडॉक (डस्टिन हॉफमैन) और उसकी प्रेमिका की मां मिसेज रॉबिन्सन (एन बैनक्रॉफ्ट) के बीच के संबंध की कहानी है। फिल्म ने अपने समय में बड़ा विवाद खड़ा किया था, लेकिन आज यह सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है।
3. हेरोल्ड एंड मौड (1971)
हाल एशबी द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक 20 वर्षीय आत्महत्या से प्रभावित युवक हेरोल्ड और 79 वर्षीय जीवन से प्यार करने वाली मौड के बीच के अनूठे रिश्ते की कहानी है। यह फिल्म न केवल उम्र के अंतर को लेकर समाज की धारणाओं को चुनौती देती है, बल्कि जीवन, मृत्यु और प्रेम के गहरे दर्शन को भी प्रस्तुत करती है।
4. द मदर (2013)
ऐनी फोंटेन द्वारा निर्देशित यह फ्रेंच फिल्म दो परिपक्व महिलाओं और उनके दोस्तों के बेटों के बीच के संबंधों की कहानी है। नाटेली पोर्टमैन और रॉबिन राइट अभिनीत इस फिल्म में प्रेम, विश्वासघात और मित्रता की जटिलताओं को बड़ी गहराई से दिखाया गया है।
5. क्वीन (2013)
विकास बहल द्वारा निर्देशित यह हिंदी फिल्म हालांकि सीधे इस विषय को नहीं छूती, लेकिन कंगना रनौत के किरदार की फ्रांस यात्रा के दौरान एक युवा शेफ के साथ उनके संबंध की झलक दिखाती है। फिल्म सशक्तिकरण और आत्म-खोज की यात्रा को दिखाती है, जहां रानी (कंगना रनौत) अपने जीवन के नए अध्याय की शुरुआत करती हैं।
इन फिल्मों ने न केवल उम्र के अंतर वाले प्रेम संबंधों को दिखाया है, बल्कि समाज के रूढ़िवादी विचारों को चुनौती देकर दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया है। ये फिल्में साबित करती हैं कि प्रेम किसी भी उम्र में हो सकता है, और कभी-कभी परंपरागत धारणाओं से परे जाकर ही हम जीवन के सच्चे अर्थ को समझ पाते हैं।
सिनेमा समाज का दर्पण है, और इन फिल्मों ने बड़ी संवेदनशीलता के साथ ऐसे विषयों को छुआ है जो अक्सर हमारे समाज में वर्जित माने जाते हैं। इन कहानियों की सुंदरता इनकी जटिलता में है, जो दर्शकों को अपने पूर्वाग्रहों से परे सोचने के लिए प्रेरित करती हैं।
फिल्म समीक्षकों और दर्शकों द्वारा इन फिल्मों की सराहना इस बात का प्रमाण है कि अच्छी कहानियां हमेशा दिलों को छू लेती हैं, चाहे वे कितनी भी विवादास्पद क्यों न हों।