
Published on: 02/07/2025
नई दिल्ली: भारत में एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए केंद्र सरकार ने निजी बाइक-दोपहिया वाहनों को बाइक टैक्सी के रूप में चलाने की अनुमति दे दी है। रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मंत्रालय ने इसके लिए संशोधित ‘मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025’ को अधिसूचित किया है। हालांकि, इसके लिए राज्य सरकारों की मंजूरी अनिवार्य होगी।
राज्य सरकारों को मिला महत्वपूर्ण अधिकार
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, मोटर वाहन अधिनियम की धारा 67(3) के तहत राज्य सरकारों को निजी उपयोग के लिए पंजीकृत दोपहिया वाहनों को एकत्रित करने का अधिकार मिला है। सरकार का मानना है कि इस निर्णय से:
- यातायात भीड़ और प्रदूषण में कमी आएगी
- आम लोगों को किफायती परिवहन विकल्प मिलेगा
- बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे
राज्य सरकारें तय करेंगी शुल्क
धारा 23.3 के अंतर्गत राज्य सरकारों को लाइसेंस प्रदान करने के लिए एग्रीगेटर्स से दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक शुल्क वसूलने का अधिकार होगा। हालांकि, यह शुल्क अनिवार्य नहीं है और राज्य सरकारें अपनी इच्छानुसार निर्णय ले सकती हैं।
रैपिडो, ओला, उबर जैसी कंपनियों को मिली कानूनी मान्यता!
इस निर्णय से रैपिडो, ओला और उबर जैसी बाइक टैक्सी सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को कानूनी मान्यता मिलने का रास्ता साफ हो गया है। वर्तमान में ये सेवाएं कई राज्यों में चल रही हैं, लेकिन वास्तविक कार्यान्वयन संबंधित राज्य सरकारों के निर्णय पर निर्भर करेगा।
रैपिडो ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “विकसित भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर” बताया है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे, साथ ही यातायात भीड़ और प्रदूषण जैसी समस्याओं का भी समाधान मिलेगा। कंपनी ने सभी राज्य सरकारों से निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार इस पहल को लागू करने में सहयोग करने का अनुरोध किया है।
चालकों के लिए सख्त शर्तें
निजी दोपहिया वाहन चलाने वाले चालकों के लिए अन्य एग्रीगेटर चालकों के समान ही नियम लागू होंगे:
- पुलिस सत्यापन (कम से कम 7 दिन पहले)
- चिकित्सा परीक्षण (आंखों की जांच, मानसिक स्थिरता परीक्षण)
- न्यूनतम 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा
- 10 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस
- 40 घंटे का प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करना
संशोधित दिशानिर्देशों का व्यापक ढांचा
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि 2020 में जारी मूल नियमों के बाद भारत के शेयर मोबिलिटी क्षेत्र में तेजी से हुए बदलावों के कारण यह संशोधन आवश्यक हो गया था। बाइक शेयरिंग, इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग, और ऑटो-रिक्शा सेवाओं में परिवर्तन से ग्राहक आधार में वृद्धि हुई है।
नए नियमों के अनुसार, एग्रीगेटर कंपनियों को नए लाइसेंस के लिए 5 लाख का शुल्क और नवीनीकरण के लिए 25 हजार का लाइसेंस शुल्क जमा करना होगा।
यह निर्णय न केवल यात्रियों और चालकों के लिए लाभदायक होगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा। अब आम नागरिक भी अपनी निजी बाइक का उपयोग करके अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।