Published on: 23/06/2025
भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पूरे एशिया में हलचल मचा दी है। यह अभियान विशेष रूप से पाकिस्तान और तुर्की को परेशान कर रहा है, लेकिन सबसे अधिक चिंतित है चीन, जिसकी चालें अब उसी पर भारी पड़ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, चीन ने भारत को सीधी धमकी दी है कि अगर (PL1)पीएल1 मिसाइल वापस नहीं की गई तो वह संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के विरुद्ध वीटो का इस्तेमाल करेगा। यह धमकी दोनों देशों के बीच पहले से चल रहे कूटनीतिक तनाव को और बढ़ा सकती है, जिसका प्रभाव पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता पर पड़ सकता है।
चीन की खतरनाक मिसाइल और पाकिस्तान का प्रयोग
इस पूरे प्रकरण की जड़ है चीन की अत्याधुनिक पीएल1 (PL1) मिसाइल। चीन ने इसे पाकिस्तान को दिया था ताकि वह भारतीय वायुसेना के विरुद्ध इसका उपयोग कर सके। हाल ही में, पाकिस्तान ने अपने JF-17 लड़ाकू विमान से यह मिसाइल भारत के सुखोई जेट पर दागी।
“पाकिस्तान चीन के हथियारों का परीक्षण स्थल बन गया है,” एक वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक ने कहा।
लेकिन भारतीय पायलटों ने अपनी कुशलता दिखाते हुए सुखोई के जैमर तकनीक का इस्तेमाल करके मिसाइल को निष्प्रभावी कर दिया। परिणामस्वरूप, मिसाइल बिना विस्फोट के जमीन पर गिर गई और भारत को एक महत्वपूर्ण सबूत मिल गया।
भारत के पास चीन का रहस्य
अब भारत के पास वह मिसाइल है जिसे चीन अपनी गोपनीय तकनीक का प्रतीक मानता था। भारत इसे विश्व के सामने लाकर चीन की वास्तविकता उजागर करने की तैयारी में है, जिससे चीन बेहद परेशान है।
चीन की प्रमुख चिंताएँ:
- पीएल1 मिसाइल की कमियों का विश्व स्तर पर उजागर होना
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में हथियारों की बिक्री पर प्रभाव
- अपनी सैन्य शक्ति की छवि को नुकसान
चीन अब भारत पर दबाव बना रहा है कि पीएल1 मिसाइल वापस कर दी जाए, अन्यथा वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के विरुद्ध वीटो का प्रयोग करेगा।
भारत का दृढ़ निश्चय
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह मिसाइल की तकनीकी जांच के पश्चात ही इसे लौटाएगा। वास्तव में, चीन की यह रणनीति नई नहीं है। जब भी भारत स्वतंत्र रूप से मजबूत कदम उठाता है, चीन किसी न किसी प्रकार से बाधा डालने का प्रयास करता है।
“नया भारत किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा। हम अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लेंगे,” एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया।
रिवर्स इंजीनियरिंग और भारत की नई शक्ति
भारतीय वैज्ञानिक इस मिसाइल की ‘रिवर्स इंजीनियरिंग’ कर रहे हैं – अर्थात इसे विस्तृत रूप से समझकर इसकी तकनीक को पराजित करने का उपाय खोज रहे हैं। भारत का उद्देश्य चीन की ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ (BVR) मिसाइलों को निष्क्रिय करना है, ताकि वायु युद्ध में चीन की यह तकनीक निष्फल हो जाए।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चीन की चिंता
विश्व के अनेक देश, जैसे जापान और फ्रांस, इस मिसाइल के अवशेषों में रुचि दिखा रहे हैं। यही कारण है कि चीन अत्यधिक चिंतित है। उसका वास्तविक भय यह है कि विश्व को उसके हथियारों की सच्चाई का पता चल जाएगा।
भारत की नवीन मिसाइल तकनीक
साथ ही, भारत अपनी मिसाइल तकनीक में निरंतर प्रगति कर रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ‘प्रोजेक्ट विष्णु’ के अंतर्गत एक नई हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण करने वाला है, जिसकी गति लगभग 11,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
DRDO की हाइपरसोनिक मिसाइल के प्रमुख विशेषताएँ:
- गति: लगभग 11,000 किमी/घंटा
- मारक क्षमता: 1,500 किलोमीटर से अधिक
- विशेषता: किसी भी मिसाइल रक्षा प्रणाली को भेदने की क्षमता
नया भारत, नई नीति
भारत अब वह पुराना भारत नहीं जो दबाव में झुक जाए। नया भारत सीधी बात करता है और किसी भी प्रकार के मोलभाव में नहीं पड़ता। आज का भारत प्रत्युत्तर देना जानता है, चाहे विरोधी कोई भी हो – पाकिस्तान या चीन।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह सत्य को सामने लाएगा, चाहे कोई कितनी भी धमकी दे। अब देखना यह है कि चीन की अगली चाल क्या होगी और भारत कैसे उसका सामना करेगा। वर्तमान परिस्थितियों में यह स्पष्ट है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।