Published on: 28/05/2025
पंचकूला: हरियाणा के पंचकूला में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक ही परिवार के 7 सदस्यों ने कर्ज से परेशान होकर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। सोमवार देर रात पंचकूला के सेक्टर 27 में एक कार में 6 लोगों के शव मिले, जबकि सातवें सदस्य की अस्पताल में मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, 42 वर्षीय कर्ज में डूबे व्यापारी प्रवीण मित्तल ने सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने इन मौतों की पूरी जिम्मेदारी ली है।
परिवार का दर्दनाक अंत: एक साथ जाना चुना
घटना की जानकारी के अनुसार, प्रवीण मित्तल की पत्नी रीना (40), उनके माता-पिता देशराज और बिमला (60+), बेटा हार्दिक (13), और जुड़वां बेटियां दिलाशा और ध्रुविता (11) के शव स्थानीय निवासियों द्वारा उस समय खोजे गए जब परिवार ने कथित तौर पर कार में जहर खा लिया। प्रवीण, जो कार के बाहर अर्ध-बेहोश अवस्था में मिले, ने गिरने से पहले एक राहगीर से कहा: “हम कर्ज में हैं… किसी रिश्तेदार ने हमारी मदद नहीं की।” बाद में अस्पताल में उनकी भी मौत हो गई।
15 करोड़ का कर्ज बना जान लेने का कारण
पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, लेकिन प्रारंभिक जांच से पता चला है कि परिवार ने संभवतः जहर खाकर अपनी जान दी है। एसीपी विक्रम नेहरा ने बताया कि पुलिस को दो सुसाइड नोट मिले हैं, जिन्हें कथित तौर पर प्रवीण ने लिखा था। इनमें उन्होंने कहा है कि वह दिवालिया हो गए थे और चाहते थे कि उनके अंतिम संस्कार लुधियाना में रहने वाले उनके चचेरे भाई द्वारा किए जाएं।
कार में सोडियम नाइट्रेट आधारित रसायन, खाली पानी की बोतलें और एक सॉफ्ट ड्रिंक पाई गई। लैब के परिणामों का अभी इंतजार है।
बार-बार मिली असफलता ने तोड़ दिया हौसला
प्रवीण, जो मूल रूप से हिसार के बरवाला के रहने वाले थे, बार-बार वित्तीय विफलताओं का सामना कर रहे थे – बद्दी में एक बंद स्क्रैप यूनिट से लेकर देहरादून में टूर एंड ट्रैवल व्यवसाय के पतन तक। रिश्तेदारों के अनुसार, लगभग 12-15 करोड़ रुपये के कर्ज ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया था। वह एक एनजीओ के साथ भी काम करते थे और बाद में पंचकूला में ड्राइवर बन गए थे।
देहरादून पुलिस के अनुसार, प्रवीण सात महीने पहले चंडीगढ़ जाने से पहले चार साल तक कौलागढ़ में रहते थे। उन्होंने गंभीर सिंह नेगी से एक कार उधार ली थी, जिन्होंने कहा कि उन्होंने मित्तल के अनुरोध पर अपने नाम पर वाहन का वित्तपोषण किया था, और मित्तल ने ईएमआई का भुगतान करने का वादा किया था।
“सोमवार सुबह कहा था तीन दिन के लिए बाहर जा रहे हैं”
पड़ोसी और स्थानीय लोग स्तब्ध थे। “लड़कियां बहुत प्यारी थीं। वे पार्क में घूमती थीं,” मनीष चौधरी ने कहा, जिन्होंने परिवार को 8,000 रुपये महीने के किराये पर साकेत्री में दो कमरों का एक सेट किराए पर दिया था। “उन्होंने मुझे सोमवार सुबह बताया कि वे तीन दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं।”
पुलिस ने बताया कि परिवार ने उस दिन पहले सेक्टर 5 में बागेश्वर धाम का कार्यक्रम देखा था और स्थानीय लोगों द्वारा इस क्षेत्र में पार्क देखे गए थे, जिन्होंने शुरू में माना कि वे होटल की कमी के कारण आराम कर रहे थे।
“आत्महत्या से पहले बागेश्वर धाम के कार्यक्रम में गए थे”
घटना के गवाहों ने बताया कि परिवार सेक्टर 5 में बागेश्वर धाम के कार्यक्रम में शामिल हुआ था। कार्यक्रम के बाद वे लोग अपनी कार में बैठे दिखे थे। स्थानीय लोगों ने उन्हें देखा, लेकिन शुरू में उन्होंने सोचा कि शायद वे आराम कर रहे हैं या होटल की व्यवस्था न होने के कारण कार में ही रात बिताने की सोच रहे हैं। किसी ने सोचा भी नहीं था कि वे एक ऐसा कदम उठाने जा रहे हैं जो पूरे इलाके को हिला देगा।
एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, “मैंने उन्हें शाम को कार में बैठे देखा था। वे सामान्य लग रहे थे। बच्चे भी खुश दिख रहे थे। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि कुछ घंटों बाद ऐसी दर्दनाक घटना घट जाएगी।”
“हमारी मदद किसी ने नहीं की” – प्रवीण के अंतिम शब्द
प्रवीण मित्तल, जिन्हें अर्ध-बेहोश अवस्था में कार के बाहर पाया गया था, ने अपने अंतिम क्षणों में एक राहगीर से कहा, “हम कर्ज में डूबे हैं… हमारी मदद किसी रिश्तेदार ने नहीं की।” ये शब्द उनकी पीड़ा का प्रतीक बन गए हैं।
परिवार के पास से मिले सुसाइड नोट में भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त की गई थीं। प्रवीण ने अपने नोट में लिखा था कि वह दिवालिया हो गए हैं और आर्थिक संकट से उबरने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। उन्होंने यह भी लिखा कि वह चाहते हैं कि उनके अंतिम संस्कार लुधियाना में रहने वाले उनके चचेरे भाई द्वारा किए जाएं।
एक-एक करके टूटते गए व्यावसायिक सपने
प्रवीण मित्तल का जीवन व्यावसायिक असफलताओं से भरा रहा। हिसार के बरवाला से होने वाले प्रवीण ने कई व्यवसाय शुरू किए, लेकिन सभी एक-एक करके असफल हो गए। बद्दी में उनकी स्क्रैप यूनिट बंद हो गई। फिर देहरादून में टूर एंड ट्रैवल का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन वह भी पतन की ओर चला गया।
रिश्तेदारों के अनुसार, इन व्यावसायिक असफलताओं के कारण प्रवीण पर लगभग 12-15 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था। इस आर्थिक बोझ ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया था। वह एक एनजीओ के साथ भी काम करते थे और बाद में अपना गुजारा चलाने के लिए पंचकूला में ड्राइवर बन गए थे।
“वह बहुत अंतर्मुखी हो गए थे”
प्रवीण के रिश्तेदारों ने बताया कि वह काफी समय से अंतर्मुखी हो गए थे और आर्थिक रूप से बोझिल थे। चचेरे भाई अंकित मित्तल ने याद किया कि लंबे समय तक संपर्क नहीं होता था और व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के कई प्रयास विफल हो गए थे।
अंकित ने बताया, “हम लोगों से वह बहुत कम बात करते थे। कई बार फोन करते, लेकिन वह उठाते नहीं थे। पिछले कुछ महीनों में तो उनसे मिलना भी मुश्किल हो गया था। हम जानते थे कि वह आर्थिक परेशानी में हैं, लेकिन इतना बड़ा कदम उठा लेंगे, यह कभी नहीं सोचा था।”
प्रवीण के ससुराल वालों के साथ संबंध तनावपूर्ण थे, जिसके कारण उन्होंने अपने अंतिम नोट में अपने ससुर को अंतिम संस्कार से बाहर रखा।
पुलिस जांच में मदद कर रहे पंचकूला के कपड़ा व्यापारी भाई
प्रवीण के भाई जितेंद्र, जो पंचकूला में कपड़े का व्यापार करते हैं, पुलिस की जांच में सहायता कर रहे हैं। जितेंद्र ने बताया कि प्रवीण से उनकी बात अक्सर होती थी, लेकिन प्रवीण ने कभी भी अपनी आर्थिक परेशानियों के बारे में विस्तार से नहीं बताया था।
जितेंद्र ने कहा, “मैं जानता था कि वह आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे, लेकिन इतनी गंभीर स्थिति है, यह मुझे नहीं पता था। अगर मुझे पता होता, तो मैं जरूर उनकी मदद करता। यह त्रासदी हमारे परिवार के लिए एक बड़ा झटका है।”
समाजशास्त्री कहते हैं – “समाज में अलगाव की प्रवृत्ति बढ़ी है”
पूर्व पंजाब विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और समाजशास्त्री रजनीश गिल ने इस त्रासदी को सामाजिक अलगाव का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा, “अब कोई सहायता प्रणाली नहीं है – न विस्तारित परिवार, न पड़ोस जिस पर भरोसा किया जा सके।”
उन्होंने आगे कहा, “वयस्क संघर्ष कर सकते हैं, लेकिन बच्चों के लिए आत्महत्या अकल्पनीय है, जब तक कि वे अनजान न हों।” समाजशास्त्री के अनुसार, आज के समय में लोग अपनी समस्याओं को अपने तक ही सीमित रखते हैं और दूसरों से मदद मांगने में संकोच करते हैं, जिससे ऐसी दुखद घटनाएं होती हैं।
पिछली बार देहरादून में रहे थे प्रवीण
देहरादून पुलिस के अनुसार, प्रवीण चंडीगढ़ जाने से पहले चार साल तक कौलागढ़ में रहते थे। वहां उनका टूर एंड ट्रैवल का व्यवसाय था, जो बाद में बंद हो गया। सात महीने पहले वह अपने परिवार के साथ चंडीगढ़ आ गए थे और पंचकूला के साकेत्री इलाके में रहने लगे थे।
प्रवीण ने गंभीर सिंह नेगी से एक कार उधार ली थी। नेगी ने बताया कि उन्होंने मित्तल के अनुरोध पर अपने नाम पर वाहन का वित्तपोषण किया था, और मित्तल ने ईएमआई का भुगतान करने का वादा किया था। यही कार अब इस दर्दनाक घटना का साक्षी बन गई है।
पड़ोसियों ने कहा – “कभी नहीं लगा कि इतनी बड़ी परेशानी में हैं”
पड़ोसियों और स्थानीय लोगों के लिए यह घटना एक बड़ा झटका थी। मनीष चौधरी, जिन्होंने परिवार को साकेत्री में दो कमरों का एक सेट किराए पर दिया था, ने कहा, “लड़कियां बहुत प्यारी थीं। वे पार्क में घूमती थीं। बच्चे बहुत अच्छे थे और हमेशा मुस्कुराते रहते थे।”
मनीष ने आगे बताया, “उन्होंने मुझे सोमवार सुबह बताया कि वे तीन दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं। वे सामान्य लग रहे थे और कोई परेशानी नहीं दिख रही थी। मुझे कभी नहीं लगा कि वे इतनी गंभीर आर्थिक परेशानी में हैं।”
एक अन्य पड़ोसी ने कहा, “हम अक्सर उन्हें देखते थे। प्रवीण अपने बच्चों के साथ शाम को घूमने जाते थे। वे एक सामान्य और खुशहाल परिवार लगते थे। यह जानकर बहुत दुख हुआ कि उन्होंने इतना चरम कदम उठाया।”
घटना के बाद क्षेत्र में सन्नाटा
इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे इलाके में सन्नाटा पसर गया है। स्थानीय लोग इस बात से स्तब्ध हैं कि कैसे एक पूरा परिवार इस तरह अपना जीवन समाप्त कर सकता है। कई लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या समाज में ऐसे लोगों की मदद के लिए बेहतर तंत्र की आवश्यकता है जो आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं।
एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे समाज में कहीं न कहीं कमी है। हमें ऐसे लोगों की पहचान और मदद करने के लिए बेहतर तंत्र विकसित करने की जरूरत है जो आर्थिक या मानसिक संकट से गुजर रहे हैं।”
“जो होना था हो गया, अब कोई फायदा नहीं” – सुसाइड नोट में लिखा था
पुलिस द्वारा बरामद किए गए सुसाइड नोट में प्रवीण ने लिखा था, “जो होना था हो गया, अब कोई फायदा नहीं। मैं इन सभी मौतों के लिए जिम्मेदार हूं। मैंने अपने परिवार को इस स्थिति में पहुंचाया और अब मैं उन्हें इस दुनिया से ले जा रहा हूं।”
इस दर्दनाक नोट में प्रवीण ने अपने चचेरे भाई से अनुरोध किया था कि वह उनके अंतिम संस्कार करे और उनके ससुर को इसमें शामिल न करे। उन्होंने यह भी लिखा था कि वह अपने कर्ज का भुगतान नहीं कर पाए और इससे उनके परिवार पर बहुत दबाव आया।
“बच्चों को इस बारे में कुछ नहीं पता था” – पुलिस का अनुमान
पुलिस का मानना है कि शायद बच्चों को इस आत्महत्या के बारे में कुछ नहीं पता था। उन्हें संभवतः यह बताया गया होगा कि वे कोई दवा या पेय पदार्थ ले रहे हैं। पुलिस ने कार में मिली सॉफ्ट ड्रिंक की बोतल के आधार पर यह अनुमान लगाया है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमें लगता है कि बच्चों को शायद यह नहीं पता था कि वे क्या पी रहे हैं। यह एक बहुत ही दुखद स्थिति है जहां माता-पिता ने अपने बच्चों को भी अपने साथ ले जाने का फैसला किया।”
आर्थिक संकट और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध
मनोचिकित्सकों का कहना है कि आर्थिक संकट और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है। जब लोग गंभीर आर्थिक संकट से गुजरते हैं, तो वे अक्सर अवसाद और निराशा का अनुभव करते हैं, जो कुछ मामलों में आत्मघाती विचारों की ओर ले जा सकता है।
डॉ. अनुपम वर्मा, एक प्रमुख मनोचिकित्सक, ने कहा, “आर्थिक संकट लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। जब लोग भारी कर्ज में होते हैं और कोई रास्ता नहीं दिखता, तो वे अक्सर गहरे अवसाद में चले जाते हैं। ऐसे समय में, उन्हें पेशेवर मदद की आवश्यकता होती है।”
उन्होंने आगे कहा, “समाज को ऐसे संकेतों पर ध्यान देने की जरूरत है और मदद की पेशकश करनी चाहिए। कई बार, सिर्फ बात करना और समर्थन देना भी किसी के जीवन को बचा सकता है।”
सरकार ने व्यक्त की संवेदना, वित्तीय संकट से निपटने के लिए हेल्पलाइन की घोषणा
इस दुखद घटना के बाद, सरकार ने परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है और वित्तीय संकट से गुजर रहे लोगों के लिए एक विशेष हेल्पलाइन की घोषणा की है। यह हेल्पलाइन वित्तीय परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करेगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह एक बहुत ही दुखद घटना है। हम चाहते हैं कि ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति इतना चरम कदम न उठाए। हमारी नई हेल्पलाइन वित्तीय संकट से गुजर रहे लोगों को परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान करेगी।”
समाज को मिला गंभीर संदेश
इस त्रासदी ने समाज को एक गंभीर संदेश दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि हमें आर्थिक संकट से गुजर रहे लोगों के प्रति अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है और उन्हें समय पर सहायता प्रदान करनी चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता सुनीता शर्मा ने कहा, “यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हमें अपने आसपास के लोगों के प्रति अधिक सजग रहने की आवश्यकता है। अगर कोई व्यक्ति परेशानी में है, तो हमें उसकी मदद करनी चाहिए और उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।”
क्या करें अगर आप वित्तीय संकट में हैं
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप वित्तीय संकट में हैं, तो पहला कदम अपनी समस्या के बारे में बात करना है। अपने परिवार, दोस्तों या पेशेवर सलाहकारों से बात करें। कई संगठन हैं जो नि:शुल्क वित्तीय परामर्श प्रदान करते हैं।
वित्तीय सलाहकार राजीव शर्मा ने कहा, “कर्ज में डूबे होने पर भी आत्महत्या कोई समाधान नहीं है। इसके बजाय, वित्तीय पुनर्गठन और कर्ज समाधान के कई विकल्प हैं। सरकारी और गैर-सरकारी संगठन ऐसे लोगों की मदद करते हैं जो वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “वित्तीय संकट अस्थायी होता है, लेकिन आत्महत्या एक स्थायी समाधान है जो परिवार के लिए और भी अधिक दर्द और पीड़ा लाता है।”
पंचकूला की इस घटना ने फिर खड़े किए कई सवाल
पंचकूला की यह दर्दनाक घटना एक बार फिर कई सवाल खड़े करती है। क्या हमारा समाज वित्तीय संकट से गुजर रहे लोगों के लिए पर्याप्त सहायता प्रदान कर रहा है? क्या हमारे पास ऐसे लोगों की पहचान और मदद के लिए कोई तंत्र है? क्या बैंक और वित्तीय संस्थान कर्ज में डूबे लोगों के साथ अधिक संवेदनशीलता से व्यवहार कर सकते हैं?
ये सवाल अब केवल चर्चा के विषय नहीं रह गए हैं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बन गए हैं जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रवीण मित्तल और उनके परिवार की त्रासदी हमें याद दिलाती है कि वित्तीय संकट सिर्फ पैसों का मामला नहीं है, बल्कि यह जीवन और मृत्यु का मामला भी बन सकता है।
शोक में डूबा पूरा इलाका
इस दुखद घटना के बाद पूरा इलाका शोक में डूब गया है। स्थानीय निवासी अभी भी इस बात से स्तब्ध हैं कि कैसे एक पूरा परिवार इस तरह से चला गया। कई लोग घटनास्थल पर जाकर श्रद्धांजलि दे रहे हैं और परिवार की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह बहुत दुखद है। बच्चे बहुत छोटे थे और उन्हें जीवन के बारे में बहुत कुछ सीखना था। यह सोचकर दिल टूट जाता है कि उन्हें क्या हुआ होगा।”
अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब
प्रवीण मित्तल और उनके परिवार के अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। प्रवीण के चचेरे भाई अंकित मित्तल ने उनकी इच्छा के अनुसार अंतिम संस्कार की व्यवस्था की। कई लोगों ने इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त किया और परिवार की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
अंतिम संस्कार के दौरान, प्रवीण के कई दोस्त और रिश्तेदार भावुक हो गए। एक मित्र ने कहा, “प्रवीण एक अच्छे इंसान थे। वह हमेशा दूसरों की मदद करते थे। यह बहुत दुखद है कि उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ा।”