
Published on: 21/05/2025
भारतीय सिनेमा के महान निर्देशक सत्यजित रे की क्लासिक फिल्म ‘अरण्येर दिन रात्रि’ (जंगल के दिन और रातें – Aranyer Din Ratri) का नया रिस्टोर किया गया 4K संस्करण फ्रांस के प्रतिष्ठित कान फिल्म महोत्सव 2025 में दिखाया गया। इस विशेष स्क्रीनिंग में फिल्म की मुख्य कलाकार शर्मिला टैगोर और सिमी गरेवाल ने भी शिरकत की, जिससे इस आयोजन का महत्व और भी बढ़ गया।
78वें कान फिल्म महोत्सव के ‘कान क्लासिक्स’ सेक्शन के अंतर्गत प्रदर्शित की गई इस फिल्म के पुनर्निर्माण में प्रसिद्ध हॉलीवुड फिल्मकार वेस एंडरसन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। एंडरसन, जो लंबे समय से सत्यजित रे के काम के प्रशंसक रहे हैं, ने न केवल स्क्रीनिंग का परिचय दिया बल्कि इस फिल्म के छह साल लंबे पुनर्निर्माण प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
‘अरण्येर दिन रात्रि’: रे की मास्टरपीस का पुनर्जन्म
मूल रूप से 1970 में रिलीज़ हुई ‘अरण्येर दिन रात्रि’ सत्यजित रे के सबसे प्रशंसित कार्यों में से एक है। इस फिल्म का पुनर्निर्माण द फिल्म फाउंडेशन के वर्ल्ड सिनेमा प्रोजेक्ट, इतालवी फिल्म रेस्टोरेशन संस्था एल’इमेजिन रित्रोवाता, और फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में जैनस फिल्म्स और क्राइटेरियन कलेक्शन ने भी सहयोग किया, जिसमें गोल्डन ग्लोब फाउंडेशन द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
फिल्म का यह नया संस्करण एक विशेष 4K टेक्नोलॉजी से पुनर्निर्मित किया गया है, जिससे फिल्म का दृश्य और ध्वनि गुणवत्ता में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। इस प्रक्रिया में मूल नेगेटिव से प्रत्येक फ्रेम को बारीकी से संरक्षित किया गया है, जिससे दर्शकों को फिल्म का अनुभव ऐसे मिल सके जैसा निर्देशक ने कभी कल्पना की थी।
रेड कार्पेट पर भारतीय प्रतिभाएं
कान फिल्म महोत्सव के प्रतिष्ठित रेड कार्पेट पर शर्मिला टैगोर ने हरे रंग की साड़ी पहनकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनके साथ उनकी बेटी सबा अली खान भी थीं, जिन्होंने चमकीले पीले रंग का पारंपरिक परिधान पहना था। इस अवसर पर सिमी गरेवाल भारतीय फैशन लेबल कार्लियो द्वारा डिज़ाइन किए गए सफेद गाउन में नज़र आईं।
शर्मिला टैगोर, जिन्होंने फिल्म में अपर्णा का किरदार निभाया था, ने अपने सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम के कुछ तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “55 साल बाद फिर से ‘अरण्येर दिन रात्रि’ के साथ कान्स में होना एक अद्भुत अनुभव है। इस फिल्म ने मेरे करियर को एक नई दिशा दी थी और आज भी यह मेरे दिल के करीब है।”
सिमी गरेवाल ने इस अवसर पर कहा, “सत्यजित रे के साथ काम करना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा था। ‘अरण्येर दिन रात्रि’ में दुली का किरदार निभाना मेरे अभिनय करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण और यादगार अनुभवों में से एक था। आज इसे फिर से बड़े पर्दे पर देखना बहुत भावुक कर देने वाला है।”
वेस एंडरसन का सत्यजित रे के प्रति सम्मान
हॉलीवुड के प्रतिष्ठित फिल्मकार वेस एंडरसन, जिन्होंने ‘द ग्रैंड बुडापेस्ट होटल’, ‘मूनराइज़ किंगडम’ और ‘द फ्रेंच डिस्पैच’ जैसी अनोखी फिल्में बनाई हैं, स्क्रीनिंग से पहले वैरायटी से बातचीत में ‘अरण्येर दिन रात्रि’ को रे की फिल्मोग्राफी में एक “छिपा हुआ खजाना” बताया।
एंडरसन ने कहा, “सत्यजित रे द्वारा हस्ताक्षरित हर चीज़ को संजोया और संरक्षित किया जाना चाहिए। लगभग भुला दी गई ‘डेज़ एंड नाइट्स इन द फॉरेस्ट’ एक विशेष रत्न है… महान सौमित्र चटर्जी: खोए हुए लेकिन खोज रहे हैं। महान शर्मिला टैगोर: रहस्यमयी, बौद्धिक, मंत्रमुग्ध करने वाली। मास्टर से, एक और मास्टरपीस।”
एंडरसन ने आगे बताया कि वे 1990 के दशक के मध्य में पहली बार सत्यजित रे की फिल्मों से परिचित हुए थे और तब से उनके काम से प्रभावित रहे हैं। उन्होंने कहा, “रे के पास कहानी कहने की एक अद्वितीय क्षमता थी जो सार्वभौमिक थी और साथ ही गहराई से बंगाली। उनके काम में मानवता और करुणा का एक ऐसा तत्व है जो समय और सीमाओं को पार करता है।”
‘अरण्येर दिन रात्रि’: एक क्लासिक का विश्लेषण
सुनील गंगोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित यह फिल्म कलकत्ता के चार पुरुषों की कहानी बताती है जो पलामाऊ के जंगलों में विश्राम और मनोरंजन की तलाश में एक यात्रा करते हैं। फिल्म में शर्मिला टैगोर ने अपर्णा का किरदार निभाया है, जो शहर की एक संयत और बौद्धिक महिला है, जबकि सिमी गरेवाल ने दुली का किरदार निभाया है, जो एक जीवंत आदिवासी महिला है।
फिल्म में अन्य प्रमुख कलाकारों में सौमित्र चटर्जी, सुभेंदु चटर्जी, समित भांजा, रबि घोष और अपर्णा सेन शामिल हैं। रे की इस फिल्म को उनकी सबसे अधिक मनोवैज्ञानिक रूप से जटिल कृतियों में से एक माना जाता है, जिसमें शहरी और ग्रामीण जीवन के बीच के अंतर, और आधुनिकता के सामने परंपरा के संघर्ष को सूक्ष्मता से दर्शाया गया है।
फिल्म में एक प्रसिद्ध मेमरी गेम सीक्वेंस है, जिसे सिनेमा के इतिहास में सबसे यादगार दृश्यों में से एक माना जाता है। इस दृश्य में, चार पुरुष और दो महिलाएँ एक खेल खेलते हैं जिसमें वे अपनी पसंद और नापसंद को याद रखते हैं। यह सीक्वेंस चरित्रों के बीच की जटिल गतिशीलता को उजागर करता है और फिल्म के केंद्रीय विषयों को आगे बढ़ाता है।
भारतीय सिनेमा का अंतरराष्ट्रीय मंच पर जश्न
इस वर्ष के कान फिल्म महोत्सव में ‘अरण्येर दिन रात्रि’ की स्क्रीनिंग भारतीय सिनेमा के प्रति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते सम्मान का प्रतीक है। यह पहली बार नहीं है जब सत्यजित रे की फिल्मों को इस प्रतिष्ठित मंच पर सम्मानित किया गया है। 1956 में, उनकी पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ ने कान में ‘सर्वश्रेष्ठ मानवीय दस्तावेज़’ का पुरस्कार जीता था, जिससे विश्व सिनेमा के मानचित्र पर भारतीय फिल्म निर्माण का स्थान सुनिश्चित हुआ था।
फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के संस्थापक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर, जो इस रिस्टोरेशन प्रोजेक्ट में शामिल थे, ने कहा, “सत्यजित रे की फिल्में भारतीय सिनेमा का अमूल्य खजाना हैं। ‘अरण्येर दिन रात्रि’ जैसी क्लासिक्स को संरक्षित करना और नई पीढ़ी के दर्शकों तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। इस फिल्म के 4K रिस्टोरेशन में छह साल लगे, लेकिन परिणाम हर मिनट के प्रयास के लायक है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा लक्ष्य न केवल फिल्म के दृश्य और ध्वनि गुणवत्ता को बहाल करना था, बल्कि रे के दृष्टिकोण के प्रति सच्चे रहना भी था। हमने मूल नेगेटिव से काम किया और रिस्टोरेशन प्रक्रिया के हर चरण में अत्यधिक सावधानी बरती।”
सत्यजित रे की विरासत
सत्यजित रे, जिन्हें अक्सर भारतीय सिनेमा के सबसे महान निर्देशकों में से एक माना जाता है, का जन्म 2 मई, 1921 को कलकत्ता में हुआ था। एक प्रतिभाशाली कलाकार, संगीतकार, और लेखक होने के साथ-साथ, रे ने अपने फिल्मी करियर के दौरान 36 फिल्में बनाईं, जिनमें फीचर फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म शामिल हैं।
उनकी फिल्में अक्सर सामाजिक-राजनीतिक विषयों को छूती हैं और मानवीय अनुभवों की विविधता को दर्शाती हैं। ‘अपु त्रिलॉजी’, ‘चारुलता’, ‘महानगर’, और ‘प्रतिद्वंद्वी’ जैसी फिल्में उनके कार्यों के उदाहरण हैं जो दर्शकों और आलोचकों द्वारा समान रूप से प्रशंसित हैं।
1992 में अपनी मृत्यु से कुछ ही सप्ताह पहले, रे को अकादमी पुरस्कार (ऑस्कर) से सम्मानित किया गया था, जिसे उन्होंने अपने अस्पताल के बिस्तर से स्वीकार किया था। उनकी विरासत न केवल भारतीय सिनेमा में बल्कि विश्व सिनेमा में भी जारी है, जिसका प्रमाण कान में ‘अरण्येर दिन रात्रि’ की विशेष स्क्रीनिंग है।
कान 2025 में भारतीय सिनेमा का प्रभाव
इस वर्ष के कान फिल्म महोत्सव में भारतीय सिनेमा की उपस्थिति केवल ‘अरण्येर दिन रात्रि’ तक ही सीमित नहीं है। अनुपम खेर से लेकर उर्वशी रौतेला तक, कई भारतीय हस्तियां इस प्रतिष्ठित आयोजन में शामिल हुई हैं।
फेस्टिवल में इंडिया पवेलियन का भी आयोजन किया गया है, जो भारतीय फिल्म उद्योग की विविधता और जीवंतता को प्रदर्शित करता है। यह पवेलियन न केवल भारतीय फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रोत्साहित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, बल्कि वैश्विक फिल्म निर्माताओं के साथ सहयोग के अवसर भी पैदा करता है।
भारतीय फिल्म महासंघ के अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा, “कान जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय सिनेमा की लगातार बढ़ती उपस्थिति हमारे फिल्म उद्योग की ताकत और क्षमता का प्रमाण है। ‘अरण्येर दिन रात्रि’ जैसी क्लासिक फिल्मों की रिस्टोरेशन और प्रदर्शन हमारी समृद्ध सिनेमाई विरासत को संरक्षित करने और उसे वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाने के महत्व को रेखांकित करता है।”
कान फिल्म महोत्सव: एक वैश्विक मंच
1946 में शुरू हुआ कान फिल्म महोत्सव दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में से एक है। हर साल, यह फेस्टिवल दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं, और सिनेमा प्रेमियों को आकर्षित करता है।
इस वर्ष का 78वां कान फिल्म महोत्सव 14 से 25 मई, 2025 तक आयोजित किया जा रहा है। महोत्सव की प्रतिष्ठित पाल्मे डी’ओर (सर्वोच्च पुरस्कार) के लिए दुनिया भर की कई उत्कृष्ट फिल्में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।
फेस्टिवल का ‘कान क्लासिक्स’ सेक्शन, जिसमें ‘अरण्येर दिन रात्रि’ का प्रदर्शन किया गया, सिनेमा के इतिहास में महत्वपूर्ण फिल्मों को श्रद्धांजलि देने का एक तरीका है। यह सेक्शन न केवल क्लासिक फिल्मों के रिस्टोर किए गए संस्करणों को प्रदर्शित करता है, बल्कि फिल्म संरक्षण के महत्व पर भी प्रकाश डालता है।
बदलते समय में अमर कला
कान फिल्म महोत्सव 2025 में ‘अरण्येर दिन रात्रि’ के रिस्टोर किए गए संस्करण का प्रदर्शन भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह न केवल सत्यजित रे की प्रतिभा का सम्मान है, बल्कि फिल्म संरक्षण के महत्व पर भी प्रकाश डालता है।
शर्मिला टैगोर और सिमी गरेवाल की उपस्थिति, वेस एंडरसन के समर्थन के साथ, इस आयोजन को और भी यादगार बना देती है। यह फिल्म, जो पहली बार 55 साल पहले रिलीज़ हुई थी, आज भी अपनी कलात्मक और सांस्कृतिक प्रासंगिकता बनाए हुए है।
जैसे-जैसे नई तकनीकें विकसित होती हैं, क्लासिक फिल्मों को संरक्षित करने और पुनर्जीवित करने के लिए नए अवसर खुलते हैं। ‘अरण्येर दिन रात्रि’ का 4K रिस्टोरेशन इस बात का प्रमाण है कि कैसे महान कला समय की परीक्षा में खरी उतरती है और नई पीढ़ियों के दर्शकों को प्रेरित करना जारी रखती है।
सत्यजित रे की फिल्में केवल भारतीय सिनेमा का ही नहीं, बल्कि विश्व सिनेमा का भी एक अमूल्य हिस्सा हैं। ‘अरण्येर दिन रात्रि’ की रिस्टोरेशन और पुन: प्रदर्शन से यह सुनिश्चित होता है कि उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवित रहेगी।