15/05/2025

पाकिस्तान देगा Terrorist मसूद अजहर को 14 Crore का मुआवजा

पाकिस्तान सरकार अब एक ऐसे आदमी को 14 करोड़ रुपये का मुआवजा देने जा रही है, जिसे पूरी दुनिया Terrorist मानती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर की, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने भी आतंकवादी घोषित किया हुआ है। पिछले दिनों भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में अजहर के परिवार के 14 सदस्य मारे गए थे। इसी के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हर मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है।

हैरानी की बात यह है कि पाकिस्तान के पीएम ने यह घोषणा ऐसे समय की है, जब उनका देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है। लेकिन जैसा कि हम सब जानते हैं, पाकिस्तान के लिए आतंकवाद एक रणनीतिक संपत्ति रही है, और शायद यही कारण है कि वे मसूद अजहर जैसे खूंखार आतंकी के परिवार को इतनी बड़ी रकम देने को तैयार हैं।

ऑपरेशन सिंदूर: भारत का सटीक हमला

7 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बहावलपुर में स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है, जहां ‘जामिया मस्जिद सुभान अल्लाह’ (जिसे उस्मान-ओ-अली कैंपस भी कहा जाता है) स्थित है।

सूत्रों के अनुसार, इस हमले में मसूद अजहर की बड़ी बहन और उनके पति, एक भतीजे और उनकी पत्नी, एक भतीजी और उनके विस्तारित परिवार के पांच बच्चे शामिल थे। ऐसे में, पाकिस्तानी पीएम की घोषणा के अनुसार, अजहर को अब मारे गए 14 परिवार के सदस्यों के लिए 1-1 करोड़ रुपये, यानी कुल 14 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।

भारत-पाक संबंधों पर पड़ेगा असर

यह खबर ऐसे समय आई है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पहले से ही चरम पर है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त कदम उठाते हुए पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। भारतीय अधिकारियों ने बार-बार दोहराया है कि 7 मई को किए गए हमले केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए थे और किसी भी नागरिक इलाके को नुकसान नहीं पहुंचाया गया था।

लेकिन अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री न सिर्फ इन “आतंकियों” के परिवारों को मुआवजा दे रहे हैं, बल्कि उन घरों को फिर से बनाने का भी वादा कर रहे हैं, जो भारत के हमलों में नष्ट हुए थे। यह कदम कई सवाल खड़े करता है।

राजनीतिक विश्लेषक कमल शर्मा कहते हैं, “पाकिस्तान का यह कदम साफ दिखाता है कि वे आतंकवाद को किस तरह से प्रायोजित करते हैं। एक तरफ वे दुनिया के सामने आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का दिखावा करते हैं, और दूसरी तरफ आतंकियों के परिवारों को करोड़ों का मुआवजा देते हैं। यह दोहरा मापदंड है।”

मसूद अजहर: एक खूंखार आतंकवादी का प्रोफाइल

जिस मसूद अजहर के परिवार को अब पाकिस्तान सरकार 14 करोड़ रुपये देने जा रही है, वह कौन है? आइए समझते हैं इस आतंकवादी के बारे में।

मसूद अजहर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर का रहने वाला है। वह जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का संस्थापक और प्रमुख है, जिसे भारत, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है।

1999 में भारतीय विमान IC-814 के अपहरण के बाद अजहर को रिहा किया गया था। इस अपहरण में 155 यात्री और चालक दल के सदस्य बंधक बनाए गए थे। भारत को तीन खतरनाक आतंकियों – मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा करना पड़ा था।

रिहाई के बाद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की और भारत में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया, जिनमें 2001 में भारतीय संसद पर हमला, 2016 में पठानकोट वायु सेना बेस पर हमला और 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला शामिल हैं। पुलवामा हमले में 40 जवान शहीद हुए थे।

संयुक्त राष्ट्र ने किया था प्रतिबंधित

2019 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। इसके बावजूद पाकिस्तान ने अजहर के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उल्टे, कई रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी ISI ने मसूद अजहर और उसके संगठन को संरक्षण दिया है।

अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. राजेश शर्मा कहते हैं, “पाकिस्तान का अजहर के परिवार को मुआवजा देना उनकी आतंकवाद समर्थक नीतियों की पुष्टि करता है। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने उनकी विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगाता है।”

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने अभी तक पाकिस्तान के इस फैसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा सकता है और पाकिस्तान पर आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने का आरोप लगा सकता है।

विदेश मामलों के विशेषज्ञ अनिल त्रिपाठी का कहना है, “भारत को यह मामला फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के सामने उठाना चाहिए, जो आतंकवाद के वित्तपोषण पर नज़र रखता है। पाकिस्तान पहले ही FATF की ग्रे लिस्ट में है, और इस तरह के कदम से उनकी स्थिति और खराब हो सकती है।”

पाकिस्तान पीएम का बयान: घरों के पुनर्निर्माण का वादा

शहबाज शरीफ ने घोषणा की है कि वे न केवल मृतकों के परिवारों को मुआवजा देंगे, बल्कि भारतीय हमलों में नष्ट हुए घरों का पुनर्निर्माण भी कराएंगे। यह घोषणा संदेह पैदा करती है।

भारत के साथ सभी बैठकों में अधिकारियों ने दोहराया है कि 7 मई के हमले केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए थे, और किसी भी नागरिक इलाके को नुकसान नहीं पहुंचाया गया था।

पाकिस्तान में राजनीतिक विश्लेषक हमीद मीर का कहना है, “यह मुआवजा केवल एक राजनीतिक कदम है। शहबाज सरकार अपने देश के कट्टरपंथी तत्वों को खुश करना चाहती है, खासकर जब देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है और बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन जोर पकड़ रहा है।”

बलूचिस्तान का मुद्दा भी गर्माया

जहां एक ओर पाकिस्तान आतंकियों के परिवारों को करोड़ों का मुआवजा दे रहा है, वहीं बलूचिस्तान में स्थिति और गंभीर होती जा रही है। हाल ही में बलूच नेता ने घोषणा की है कि “बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है” और पाकिस्तान से स्वतंत्रता की मांग की है।

यह विरोधाभास दर्शाता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को तो पनाह और सुरक्षा देता है, लेकिन अपने ही नागरिकों के अधिकारों की अनदेखी करता है।

रक्षा विश्लेषक मेजर जनरल (रिटायर्ड) अजय सिंह कहते हैं, “पाकिस्तान की यह दोहरी नीति उसके लिए आत्मघाती साबित हो सकती है। एक तरफ वे आतंकवादियों को संरक्षण दे रहे हैं, और दूसरी तरफ बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में अपने ही नागरिकों से दुर्व्यवहार कर रहे हैं।”

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अभी तक पाकिस्तान के इस निर्णय पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की प्रतिबद्धता पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं।

अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देश पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाते रहे हैं कि वह अपनी धरती पर पल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे। इस संदर्भ में, आतंकियों के परिवारों को मुआवजा देने का यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि को और खराब कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण मिश्रा कहते हैं, “यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के लिए शर्मनाक है। जब एक देश वैश्विक आतंकवादी घोषित व्यक्ति के परिवार को करोड़ों का मुआवजा देता है, तो यह उसकी आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।”

निष्कर्ष: पाकिस्तान की दोहरी नीति

पाकिस्तान द्वारा मसूद अजहर के परिवार को 14 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्णय एक बार फिर उसकी दोहरी नीति को उजागर करता है। एक ओर, वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का समर्थन करने का दावा करता है, और दूसरी ओर, वह आतंकवादियों और उनके परिवारों को संरक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

भारत के लिए यह एक और प्रमाण है कि पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवाद को खत्म करने के बजाय, उसे बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में, भारत को अपनी सुरक्षा और रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है।

आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। जब तक पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता स्थापित करना मुश्किल होगा।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं