03/05/2025

सुप्रीम कोर्ट: पीजी मेडिकल प्रवेश में डोमिसाइल कोटा असंवैधानिक

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पोस्टग्रेजुएट (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रमों में राज्य कोटा के अंतर्गत डोमिसाइल आधारित आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया है। यह निर्णय देश भर के मेडिकल छात्रों और शिक्षा प्रणाली पर दूरगामी प्रभाव डालेगा।

फैसले की मुख्य बातें

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डोमिसाइल आधारित आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।
  2. अब पीजी मेडिकल कोर्सेस में प्रवेश केवल मेरिट के आधार पर होगा, जिसमें NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) स्कोर मुख्य मानदंड होगा।
  3. यह फैसला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक पूर्व निर्णय की पुष्टि करता है।

न्यायालय का तर्क

जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने अपने फैसले में कहा, “हम सभी भारत के क्षेत्र में निवासी हैं। हम सभी भारत के निवासी हैं। एक देश के नागरिकों और निवासियों के रूप में हमारा साझा बंधन हमें न केवल भारत में कहीं भी निवास चुनने का अधिकार देता है, बल्कि भारत में कहीं भी व्यापार और व्यवसाय या पेशा करने का अधिकार भी देता है। यह हमें भारत भर के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश लेने का अधिकार भी देता है।”

न्यायालय ने आगे कहा, “यदि ऐसे आरक्षण की अनुमति दी जाती है तो यह कई छात्रों के मौलिक अधिकारों पर आक्रमण होगा, जिनके साथ केवल इसलिए असमान व्यवहार किया जा रहा है कि वे संघ के एक अलग राज्य से संबंधित हैं! यह संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता खंड का उल्लंघन होगा और कानून के समक्ष समानता से इनकार करने के बराबर होगा।”

फैसले का प्रभाव

  1. यह निर्णय देश भर के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।
  2. अब राज्य कोटा के तहत सीटें केवल मेरिट के आधार पर भरी जाएंगी।
  3. यह फैसला मेडिकल शिक्षा में गुणवत्ता और समानता को बढ़ावा देगा।

पूर्व छात्रों और वर्तमान छात्रों के लिए राहत

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह फैसला उन छात्रों को प्रभावित नहीं करेगा जो पहले से ही डोमिसाइल आरक्षण के तहत पीजी कोर्स कर रहे हैं या जिन्होंने ऐसा कोर्स पूरा कर लिया है। न्यायालय ने कहा, “हम यह स्पष्ट करते हैं कि पीजी मेडिकल कोर्सों में निवास-आधारित आरक्षण की अस्वीकार्यता की हमारी घोषणा पहले से दी गई ऐसी आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगी, और छात्र पीजी पाठ्यक्रम कर रहे हैं या वर्तमान मामले में, सरकारी मेडिकल कॉलेज, चंडीगढ़ से पहले ही पास हो चुके हैं।”

विशेषज्ञों की राय

डॉ. अनिल चंद्रकर, एक वरिष्ठ मेडिकल शिक्षाविद्, कहते हैं, “यह फैसला मेडिकल शिक्षा में एक नया अध्याय लिखेगा। अब हमें देश भर से सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने का मौका मिलेगा, जो अंततः रोगी देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाएगा।”

वहीं, छात्र नेता रोहित शर्मा का कहना है, “यह फैसला कुछ छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन लंबे समय में यह सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि केवल सबसे योग्य छात्र ही विशेषज्ञ बनें।”

आगे की राह

  1. राज्य सरकारों और मेडिकल कॉलेजों को अपनी प्रवेश नीतियों में बदलाव करना होगा।
  2. NEET परीक्षा की भूमिका और महत्व बढ़ जाएगा।
  3. छात्रों को अब अधिक प्रतिस्पर्धी होने की आवश्यकता होगी।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय मेडिकल शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा। यह न केवल प्रवेश प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाएगा, बल्कि देश भर में मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगा। हालांकि, इस बदलाव के साथ कुछ चुनौतियां भी आएंगी, जैसे कि कुछ क्षेत्रों के छात्रों के लिए बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा। लेकिन अंततः, यह फैसला भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत करने में मदद करेगा।

यह फैसला भारतीय शिक्षा प्रणाली में समानता और मेरिट के महत्व को रेखांकित करता है। यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य के डॉक्टर केवल उनकी योग्यता के आधार पर चुने जाएं, न कि उनके निवास स्थान के आधार पर। इस प्रकार, यह फैसला न केवल मेडिकल छात्रों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बेहतर स्वास्थ्य सेवा की ओर ले जाएगा।

लेखक

  • Nalini Mishra

    नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं

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नलिनी मिश्रा: डिजिटल सामग्री प्रबंधन में विशेषज्ञता नलिनी मिश्रा डिजिटल सामग्री प्रबंधन की एक अनुभवी पेशेवर हैं। वह डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कुशलतापूर्वक काम करती हैं और कंटेंट स्ट्रैटेजी, क्रिएशन, और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती हैं