चीन ने ताइवान को अमेरिकी सैन्य सहायता के नवीनतम पैकेज पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, इसे ‘आग से खेलने’ के समान बताया है। अमेरिकी सरकार ने ताइवान को $345 मिलियन मूल्य की सैन्य सहायता की घोषणा की है, जिसमें पोर्टेबल वायु रक्षा प्रणालियाँ, खुफिया और निगरानी क्षमताएँ, साथ ही प्रशिक्षण शामिल हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से खतरे में डालता है। उन्होंने अमेरिका से ‘एक-चीन’ सिद्धांत का पालन करने और ताइवान को किसी भी प्रकार की सैन्य सहायता प्रदान न करने का आग्रह किया।
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह सहायता ताइवान की आत्मरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से है, विशेषकर चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर। यह पहली बार है जब बाइडेन प्रशासन ने ताइवान को प्रत्यक्ष सैन्य सहायता प्रदान की है, जो यूक्रेन और इज़राइल को दी जाने वाली सहायता के समान है।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने इस सहायता के लिए आभार व्यक्त किया है, इसे क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम ताइवान की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक होगा, लेकिन इससे अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।
चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और यदि आवश्यक हुआ तो बलपूर्वक उसे पुनः प्राप्त करने की बात कहता है, जबकि ताइवान स्वयं को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानता है। अमेरिका ‘एक-चीन’ नीति को मान्यता देता है, लेकिन ताइवान के साथ अनौपचारिक संबंध और रक्षा सहयोग बनाए रखता है।
यह सैन्य सहायता ऐसे समय में आई है जब ताइवान जलडमरूमध्य में चीनी सैन्य गतिविधियों में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है। अमेरिका ने ताइवान की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, जबकि चीन ने इस सहायता को अपने राष्ट्रीय हितों के लिए खतरा बताया है।
इस घटनाक्रम से अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में और खटास आने की संभावना है, विशेषकर ताइवान के मुद्दे पर। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है, क्योंकि यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।